विधुत Subjective Question 10th




welcome to Gurukul with Arya Gautam

विधुत Subjective Question

Class 10th Vidyut Dhara | विधुत Subjective Question ,

[1] प्रतिरोध क्या है? इसका S.I मात्रक लिखें।

उत्तर — जब परिपथ में विधुत धारा बहती है तो चालक के अंदर उपस्थित इलेक्ट्रॉनों पर आवेश के टक्कर के फलस्वरुप उष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है और धारा के बहने में रूकावट डालती है। अतः प्रतिरोध एक ऐसा गुण धर्म है जो किसी चालक में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह का विरोध है। यह विधुत धारा के प्रवाह को नियंत्रित करता है इसका S.I मात्रक ओम है।

[2] प्रतिवर्ती प्रतिरोध क्या है ?

उत्तर — स्रोत की बोल्टता में बिना कोई परिवर्तन किया परिपथ की धारा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले अवयव को प्रतिवर्ति प्रतिरोध कहते हैं।

[3] विधुत आवेश क्या है? विधुत आवेश कितने प्रकार के होते हैं ?



उत्तर — विधुत आवेश— आवेश कुछ मौलिक गुणों का अकाट्य गुण है जिसके कारण आवेशित कण आपस में बल लगाते हैं। अगर ऊन द्वारा एबोनाइट के छड़ को रगड़ा जाए तो ऊन पर धन आवेश और एबोनाइट पर ऋण आवेश मुक्त होते हैं। आवेश दो प्रकार के होते हैं — धन आवेश और ऋण आवेश।

[4] विधुत प्रतिरोधकता क्या है तथा इसका S.Iमात्रक लिखें।

उत्तर — विधुत प्रतिरोधकता किसी पदार्थ की अभिलाक्षणिक गुण है। धातुओं और मिश्रधातुओं के विधुत प्रतिरोधकता अत्यंत कम होती है।
विधुत प्रतिरोधकता का S.I मात्रक ओम – मीटर है।

[5] विधुत शक्ति की परिभाषा लिखें।

उत्तर — कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। अगर कोई कार्यकर्ता t सेकेण्ड में W कार्य करें तो

शक्ति = W / t
अथवा ऊर्जा के उपभुक्त होने की दर को शक्ति कहते हैं। शक्ति P को इस प्रकार व्यक्त करते हैं——
P = VI
अथवा P = VI = I²R = V²/R इसका S.I मात्रक वाट है।




[6] विधुत धारा की दिशा से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर — परिपाटी के अनुसार किसी विधुत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों जो ऋणावेशित है के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विधुत धारा की दिशा मानी जाती है।

[7] विधुत का तापन युक्तियों में जैसे ब्रेड – टोस्टर तथा विधुत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाए जाते हैं ?

उत्तर — शुद्ध धातुओं के प्रतिरोधकता और गलनांक मिश्रधातुओं के प्रतिरोधकता और गलनांक की तुलना में काफी कम होता है। अतः ब्रेड – टोस्टर तथा विधुत इस्तरी के चालक शुद्ध धातु का न बनाकर मिश्रधातु के बनाए जाते हैं। नाइक्रोम एक मिश्र धातु है जिसमें 60% निकेल, 26% लोहा, 12% क्रोमियम तथा 2% मैंग्नीज रहता है।
इस मिश्रधातु की प्रतिरोधकता और गलनांक काफी उच्च होते हैं।

[8] जूल का तापन नियम क्या है ?

उत्तर — जूल का तापन नियम :

  • (i) दिए गए प्रतिरोधक में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा उत्पन्न ताप के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है।
  • (ii) उत्पन्न ताप प्रतिरोधक के समानुपाती होती है।
  • (iii) उत्पन्न ताप समय के समानुपाती होती है जितने समय तक धारा प्रवाहित होती है।
    अगर चालक से बहने वाली विधुत धारा i हो चालक का प्रतिरोध R हो तथा समय t हो तो उत्पन्न ताप = H = I²Rt.

[9] कुलाॅम नियम क्या है ?

उत्तर—दो आवेश के बीच लगनेवाला बल उन दो आवेशों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
मान लिया कि दो आवेश q1 और q2 के बीच की दूरी r हैं और उनके बीच लगने वाला बल F है तो कूलाॅम नियम से F= kq1q2 /r² जहां पर k समानुपातिक स्थिरांक है।

[10] किसी चालक तार से बहने वाली विधुत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।



— किसी चालक तार से प्रति सेकंड बहने वाली आवेश को विधुत धारा की प्रबलता कहते हैं।
अगर किसी चालक तार से t सेकेण्ड में Q कूलॉम अरे प्रवाहित होती है तो विधुत धारा की प्रबलता I = Q/t धारा का मान एंपियर में मापी जाती है।

[11] विधुत विभव और विभवांतर में क्या अंतर है ?

उत्तर— विधुत विभव — इकाई धन आवेश को अनंत से विधुतीय क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में संपादित कार्य को उस बिंदु पर का विभव कहते हैं। इसका S.I मात्रक वोल्ट है।

विभवांतर — दो बिंदुओं के बीच के विभवों के अंतर को विभांतर कहते हैं। इसका भी S.I मात्रक वोल्ट है।

[12] किसी तार का प्रतिरोध उनकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होती है ?

उत्तर — किसी चालक तार के प्रतिरोधकता तार के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होती है। अगर अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल बढ़ा दी जाती है तो तार की प्रतिरोधकता घट जाती है और अगर तार काफी पतला हो तो चालक तार की प्रतिरोधकता बढ़ जाती है।

[13] उस युक्ति का नाम बतावें जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है ?

उत्तर — किसी चालक के सिरों पर विभांतर बनाए रखने के लिए सेल अपनी संचित रासायनिक ऊर्जा नियमित रूप से खर्चा करता है जिससे विधुत धारा निश्चित रहती है और चालकों के सिरों के बीच विभांतर बना रहता है। यह परिवर्ती प्रतिरोध द्वारा संपन्न होती है।




[14] चालक, चालक, अर्धचालक एवं अति चालक से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण व्याख्या करें।

उत्तर — चालक — जिन धातुओं के तार से विधुत धारा प्रवाहित होती है उन्हें चालक कहा जाता है। जैसे – लोहा , तांबा आदि के तार विधुत के अच्छे चालक है।

अचालक — जिन पदार्थों (धातुओं) के तार से विधुत धारा का प्रवाह नहीं होता है उन्हें अचालक कहा जाता है जैसे— एबोनाइट के छड़ तथा ऊन और सूती धागे से विधुत का प्रवाह नहीं होता है। ये विधुत के अचालक कहे जाते हैं।

अर्धचालक — ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता चालक पदार्थ की चालकता से कम और कुचालक पदार्थ की चालकता से अधिक हो अर्धचालक कहे जाते हैं जैसे — कार्बन, सिलिकॉन , जर्मेनियम आदी।

अतिचालक — अतिचालक ऐसे पदार्थ हैं जिनमें आती निम्न ताप पर धारा प्रवाहित करने पर बिना प्रतिरोध के अर्थात् बिना ऊर्जा क्षय के धारा बहती रहती है। ऐसे पदार्थ से धारा प्रवाह में विधुत ऊर्जा का नाश नहीं होता है। जैसे — बेरियम, और लैथनम से बना सेरामिक से धारा का प्रवाह निर्बाध गति से होता रहता है।

[15] विधुत परिपथ में फ्यूज तार का उपयोग क्यों किया जाता है ?

उत्तर — घर में लगे साधित्रो की सुरक्षा के लिए फ्यूज तार लगाया जाता है। यह उच्च विधुत धारा के कारण तार गल कर परिपथ को भंग करता है और साधित्रों (रेडियो, टीवी, बल्ब आदि) को जलने से बचाता है।


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.