मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार Subjective 10th



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मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 

दोस्तों इस पोस्ट में कक्षा 10 वीं भौतिक विज्ञान प्रश्न वाली 2 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार का महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर दिया गया है जो मैट्रिक बोर्ड परीक्षा के लिए काफी ही महत्वपूर्ण है तो आप इस बार मैट्रिक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आप इस पोस्ट को शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें|

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[1] प्रकाश के प्रकीर्णन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर — जब प्रकाश की किरण वायुमंडल से होकर गुजरती है तथा वायु के कण द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन होता है और प्रकाश पुंज के मार्ग को देख पाते हैं। वास्तविक विलयन से प्रकाश की किरणें गुजरती है तो प्रकाश किरणपुंज का भाग विलयन द्वारा प्रकीर्णित हो जाता है और विलियम पारदर्शी दिखती है।

[2] दृष्टि दोष क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है ?





Ans  सामान्य नेत्र द्वारा 25 सेमी० पर की वस्तु को स्पष्ट देखा जाता है जब इस स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी पर वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है तो कहा जाता है कि नेत्र में दृष्टिदोष है। यह मुख्यतः चार प्रकार का होता है—

(i) दीर्घ दृष्टिदोष
(ii) जरा दृष्टिदोष
(iii) अबिंदुकता
(iv) निकट दृष्टि दोष

[3] रेलवे सिग्नल में लाल रंग का प्रयोग क्यों किया जाता है ?

उत्तर — लाल रंग का तरंगदैध्र्य सब रंगों से अधिक होता है। अतः लाल रंग के प्रकाश का विचलन सबसे कम होता है। यही कारण है कि रेलवे सिग्नल का प्रकाश लाल रंग का होता है।

[3] टिंडल प्रभाव क्या है ?

उत्तर — जब किसी घने जंगल के वितान से सूर्य का प्रकाश गुजरता है तो टिंडल प्रभाव को देखा जाता है। जंगल के कुहासे में जल की सूक्ष्म बूंदे प्रकाश को प्रकीर्णन कर देती है।

[4] स्पेक्ट्रम क्या है ?

उत्तर — जब श्वेत प्रकाश (सूर्य का प्रकाश) किसी प्रिज्म से होकर गुजरता है तो यह सात रंगों में विभाजित हो जाता है। प्रकाश के अवयवी वर्णों के इस पैटर्न को स्पेक्ट्रम कहते हैं।

[5] दीर्घ दृष्टिदोष तथा निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं ?

उत्तर — दीर्घ दृष्टि दोष युक्त व्यक्ति दूर की वस्तुओं को अस्पष्ट देख पाता है लेकिन निकट की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है।
निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति निकट की वस्तुओं को आसानी से देख पाता है लेकिन दूर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है।




[6] आंखों की सुग्राहिता का क्या अर्थ है ?

उत्तर — मद्धिम प्रकाश में भी वस्तु को देखने वाली आंख को सुग्राही आंख कहा जाता है। यह गुण सुग्राहिता कहलाती है।

[7] निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में किन्ही तीन अंतर को लिखें।

उत्तर — (i) दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की चीजों को स्पष्ट देखता है लेकिन निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की वस्तुओं को नहीं देख पाता है।

(ii) दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति नजदीक के वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है लेकिन निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आसानी से स्पष्ट देख पाता है।

(iii) दूर दृष्टि के निवारण में चश्मे में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है लेकिन निकट दृष्टि दोष वाले के निवारण हेतु चश्मे में अवतल लेंस का उपयोग होता है

[8] नेत्र में जरा दृष्टि दोष का क्या कारण है ?

उत्तर — यह बुढ़ापे का नेत्र दोष है। इस उम्र में नेत्र में सिलियरी पेशियों का लचीलापन समाप्त हो जाता है। नेत्र में संधान शक्ति की कमी के कारण दूर बिंदु और निकट बिंदु का समंजन नहीं हो पाता है।

[9] मोतियाबिंद क्या है ?

उत्तर — बढ़ती उम्र के कारण कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस धुंधला तथा दूधिया हो जाता है। इसके चलते नेत्र से किसी वस्तु को देखना आसान नहीं होता है। इसे मोतियाबिंद कहा जाता है। इस दोष को शल्य चिकित्सा से दूर किया जाता है।

[10] स्पेक्ट्रम में किस रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य महत्तम और किस रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य न्यूनतम होता हैं।

उतर — स्पेक्ट्रम में लाल रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य महत्तम होता है लेकिन बैंगनी रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य न्यूनतम होता है। अतः लाल रंग के प्रकाश का विचलन कम और बैंगनी रंग के प्रकाश का बिचलन महत्तम होता है।

[11] प्रकीर्णित प्रकाश का वर्ण किस पर निर्भर करती है ?

उतर — यह प्रकीर्णन करने वाले काणों के साइज पर निर्भर करता है। अत्यंत सूक्ष्म कण मुख्य रूप से नीले प्रकाश को प्रकीर्णन करते हैं जबकि बड़े साइज के काण अधिक तरंगदैर्घ्य के प्रकाश को प्रकीर्ण करते हैं।

[12] जरा दूरदृष्टिता क्या है ?

उतर — आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ मानव नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है। अधिकांश व्यक्तियों का निकट बिंदु दूर हट जाता है। संशोधक चश्मे के बिना उन्हें पास की वस्तुओं को आराम से देखने में कठिनाई होती है। इस दोष को जरा दूर- दृष्टता कहा जाता है। यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे दुर्बल होने तथा क्रिस्टलीय लेंस के लचीलेपन में कमी आने के कारण उत्पन्न होता है। कभी-कभी नेत्र में दोनों प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं जिन्हें द्विफोकसी लेंसों की सहायता से दूर किया जाता है।




[13] क्या कारण है कि सूर्य क्षैतिज के नीचे होते हुए भी हमको सूर्यास्त तथा सूर्योदय के समय दिखाई देता है ?

उतर — वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य हमें सूर्योदय से करीब 2 मिनट पहले दिख जाता है। इसी तरह वास्तविक सूर्यास्त के करीब 2 मिनट बाद तक सूर्य दिखाई देता रहता है। वास्तविक सूर्योदय से मतलब है , सूर्य का वास्तव में क्षैतिज दिशा में होना। इसी वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का गोला चपटा प्रतीत होता है।

[14] जरादूरदर्शित तथा दिर्घ दृष्टि दोष में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर — जरादृष्टि दोष को दूर करने के लिए चश्मे में द्विफोकसी लेंस का उपयोग किया जाता है। चश्मे के ऊपरी भाग में अवतल लेंस और इसी चश्मे के निचले भाग में उत्तल लेंस लगाया जाता है। इससे जरादृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की वस्तुओं को और नजदीक की वस्तुओं को आसानी से देख पाता है।

दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की वस्तुओं को देख पाता है लेकिन नजदीक की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है। अतः इस दोष वाले व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लेंस लगाया जाता है।

[15] किसी बिंब को देखने के लिए नेत्र का सामंजन किस प्रकार किया जाता है ?

उत्तर — अभिनेत्र लेंस की वक्रता में कुछ सीमाओं तक पक्ष्माभी पेशियों द्वारा रूपांतरित किया जा सकता है। इसकी वक्रता में परिवर्तन होने से इसकी फोकस दूरी भी बदल जाती है। जब पेशियाँ शिथिल होती है तो अभिनेत्र लेंस पतला हो जाता है। ऐसी दशा में फोकस दूरी बढ़ जाती है। अतः दूर रखी वस्तुओं को देखने में समर्थ होते हैं। जब हम पास की वस्तुओं को देखते हैं तो पक्ष्माभी पेशियां सिकुड़ जाती है। अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी घट जाती है। इससे निकट रखी वस्तु को स्पष्ट देख पाते हैं।

[16] जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी बढ़ा देते हैं तो नेत्र से प्रतिबिंब की दूरी को क्या होता है ?

उत्तर — नेत्र से वस्तु की दूरी बढ़ा देने पर भी आंख अपने समंजन शक्ति के द्वारा प्रतिबिंब को रेटिना पर बनाता है। यह स्वस्थ आँख के लिए संभव है। नेत्र और रेटिना के बीच की दूरी सदा स्थिर रहती है। दृष्टि परास 10 सेमी० से अनंत बिंदु तक होती है। इस परास पर कहीं भी वस्तु को रखा जाए तो प्रतिबिंब रेटिना पर ही बनेगा।

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