प्रकाश परावर्तन तथा अपवर्तन Subjective 10th



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प्रकाश परावर्तन तथा अपवर्तन Subjective 10th 

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[1] सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है ?

उतर — क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैध्र्य के प्रकाश का अधिकांश भाग काणों द्वारा प्रकीर्णन हो जाता है। इसलिए हमारे नेत्रों तक पहुंचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैध्र्य का होता है। इसलिए सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।

[2] प्रधान फोकस और फोकस में क्या अंतर है ?

उत्तर — प्रधान फोकस दर्पण के प्रधान आज पर पाया जाता है। लेकिन प्रकाश की समानांतर किरणे दर्पण से परिवर्तित होने के बाद एक बिंदु पर फोकसित होती है। यह बिंदु फोकस कहलाता है। यह जरूरी नहीं है कि फोकस दर्पण के प्रधान अक्ष पर ही पड़े।

[3] पार्श्विक विस्थापन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर — किसी स्लैब से होकर गुजरने वाली किरण के लिए आपतित किरण और निर्गत किरण एक दूसरे के समानांतर होती है। इन दोनों किरणों के बीच की लाम्बिक दूरी को पार्श्विक विस्थापन कहते हैं।

[4] लेंस की क्षमता से क्या समझते हैं ?

उत्तर — किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों के अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उसकी क्षमता कहीं जाती है। लेंस की क्षमता डायोप्टर में मापी जाती है। 1 डायोप्टर उस लेंस की क्षमता है जिस की फोकस दूरी 1 मीटर है।

[5] उत्तल लेंस को सूर्य के सामने रखकर सूर्य देखना खतरनाक है क्यों ?

उत्तर — सूर्य से चलने वाला प्रकाश किरण समानांतर होती है। जब उत्तल लेंस पर समानांतर किरने पड़ती है तो F (फोकस) पर फोकसित होती है। यह संसृत प्रकाश आँख पर पड़ने पर आँख की पुतली जल सकती है। ऐसी हालत में उत्तल लेंस से सूर्य को देखना खतरनाक होगा।

[6] गोलीय विपथन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर — जब बड़े द्वारक (aperture) वाले गोलीय दर्पण में प्रधान अक्ष के समानांतर आपतित किरणें परावर्तन के बाद फोकस से नहीं गुजरती है, तो इसी दोष को गोलीय विपथन कहा जाता है। इस दोष से बचने के लिए समान्यतः परवलीय दर्पण का उपयोग किया जाता है।

[7] कौन सा लेंस वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार का प्रतिबिंब बनाता है।




उत्तर — उत्तल लेंस वास्तविक और आभासी दो प्रकार के प्रतिबिंब बनाता है। जब बिम्ब फोकस के बाहर हो तो लेंस वास्तविक प्रतिबिंब और जब बिम्ब फोकस के भीतर हो तो आभासी प्रतिबिंब बनाता है।






 
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[8] किरण क्या है ?

उत्तर — प्रकाश के बिंदुपथ को किरण कहते हैं। किरण तीन प्रकार के होते हैं — किरण पुंज , अपसृत किरण , पुंज और समांतर किरण पुंज। परवलयिक दर्पण संसृत किरण पुंज उत्पन्न करता है। उत्तल दर्पण द्वारा अपसृत किरण पुंज और समतल दर्पण द्वारा समांतर किरण पुंज उत्पन्न होता है।

[9] अवतल लेंस को अपसारी लेंस कहते हैं, क्यों ?

उत्तर — अवतल लेंस के द्वारा समांतर प्रकाश की किरणें आपतन के बाद अपवर्तित होकर आपस में फैलती जाती है। यानी अवतल लेंस प्रकाश के समांतर किरणों को अपसरित कर देता है। अवतल लेंस को इसी गुण के कारण अपसारी लेंस कहते हैं।

[10] लेंस कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर — मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं —— उत्तल लेंस और अवतल लेंस। उत्तल लेंस में वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार के प्रतिबिंब बनते हैं, लेकिन अवतल लेंस में केवल आभासी प्रतिबिंब बनते हैं।

[11] प्रकाश क्या है ?

उत्तर — दृष्टि के भौतिक अनुभूति को प्रकाश कहते हैं — प्रकाश वस्तुओं को दृश्यमान बनाता हैं। कोई वस्तु उस पर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित करती है और वह परावर्तित प्रकाश हमारी आँखो द्वारा ग्रहण होता है तब हमें वस्तुओं को देखने योग्य बनाता है।

[12] अवतल , उत्तल एवं समतल दर्पण के दो- दो उपयोग को लिखे।

उत्तर — अवतल दर्पण का उपयोग

(i) दाढ़ी बनाने के लिए चेहरा देखने में,

(ii) डॉक्टर इसका उपयोग कान, मुंह आदी के अंदर प्रकाश फोकस कर अंदर की बीमारी का पता लगाते हैं।

(iii) मोटर गाड़ी के अग्रदीपो में

उत्तल दर्पण का उपयोग 

(i) साइड मिरर के रूप में।

(ii) रोड लाइट में परावर्तक सतह के रूप में।

(iii) अपसारी किरण उत्पन्न करने में।

समतल दर्पण के दो उपयोग 

(i) सोलर कुकर में परावर्तक सतह के रूप में।

(ii) चेहरा देखने में।







[13] वास्तविक प्रतिबिंब क्या है ?

उत्तर — किसी स्रोत से आने वाला प्रकाश परावर्तन अपवर्तन के बाद एक बिंदु पर मिलती है तो वास्तविक प्रतिबिंब बनता है। वास्तविक प्रतिबिम्ब हमेशा उल्टा और पर्दे पर आसानी से लिया जा सकता है। हमारा नेत्र रेटिना पर वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है।

[14] प्रकाश किरण और प्रकाश पुंज में क्या अंतर है ?

उत्तर — प्रकाश के बिंदुपथ को प्रकाश किरण कहते हैं। किरणों के समूह को प्रकाश पुंज कहते हैं। टॉर्च से निकलने वाली किरणें प्रकाश पुंज का उदाहरण है।

[15] नई कार्तीय चिह्न परिपाटी के अनुसार गोलीय लेंस में आवर्धन किस प्रकार बदलता है ?

उत्तर — किसी उत्तल लेंस के प्रकरण में आवर्धन जब प्रतिबिम्ब आभासी होता है तब धनात्मक तथा जब प्रतिबिंब वास्तविक होता है तब ऋणात्मक होता है। किसी अवतल लेंस के प्रकरण में आवर्धन अवतल लेंस द्वारा सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाने के कारण सदैव धनात्मक होता है।

[16] विवर्तन क्या है ?

उत्तर — यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मोड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है— इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।

[17] सोलर कुकर में बड़े-बड़े अवतल दर्पणों का व्यवहार किया जाता है, क्यों ?

उत्तर — ऐसा करने से सूर्य से आने वाली प्रकाश की समांतर किरणों को और उन किरणों के साथ आने वाले ऊष्मीय विकिरण को दर्पण के फोकस पर अभीसरित करती है; जिस उष्मा का उपयोग भोजन पकाने में होता है।

[18] तारे टिमटिमाते हैं, किंतु ग्रह नहीं टिमटिमाते हैं। क्यों ?

उत्तर —- ग्रह तारों की अपेक्षा हमारे बहुत समीप है। अतः इनसे इतना पर्याप्त प्रकाश मिलता है कि वायुमंडलीय परतों के घनत्व के अस्थायित्व के प्रभाव के चलते प्राप्त किरणों की संख्या में अपेक्षाकृत कम ही कम आती है और वे लगभग स्थाई रूप में चमकते दिखते हैं। तारों से चलने वाले प्रकाश किरण वायुमंडल के विभिन्न घनत्व वाले परतों से गुजरने पर किरणों के पथ में विचलन होता है और तारे का प्रकाश विभिन्न क्षणों में अपवर्तित होते हैं और टिमटिमाते नजर आते हैं।

[19] बिना स्पर्श के उत्तल लेंस , अवतल लेंस तथा काँच के वृत्ताकार प्लेट की पहचान कैसे की जाती है ?

उत्तर — दोनों तरह के लेंसों और कांच की प्लेट को बारी – बारी से अपने हाथ से पकड़कर किसी पुस्तक के छपे पृष्ठ के निकट लाते हैं और इन से होकर छपे अक्षरों को देखते हैं —

(i) यदि पुस्तक के छापे अक्षर अपने वास्तविक आकार से बड़े दिखाई पड़ते हैं, तो यह उत्तल लेंस है।

(ii) यदि पुस्तक के छापे अक्षर अपने वास्तविक आकार के बराबर दिखाई पड़ते हैं, तो यह कांच का प्लेट है

(iii) यदि पुस्तक के छापे अक्षर अपने वास्तविक आकार से छोटे दिखाई पड़ते हैं, तो यह अवतल लेंस है।

[20] प्रकाशिक घनत्व क्या है ?

उत्तर — प्रकाशिक घनत्व का एक निश्चित संपृक्तार्थ होता है। यह द्रव्यमान घनत्व के समान नहीं है। जिस माध्यम का प्रकाशिक घनत्व अधिक होता है वह सघन माध्यम है , अन्यथा वह विरल माध्यम होगा। विरल माध्यम से प्रकाश किरण सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब की ओर मुड़ जाती है और जब सघन माध्यम से प्रकाश की किरणें विरल माध्यम में अपवर्तित होती है तो यह अभिलंब से दूर हट जाती है।

[21] गोलीय दर्पण द्वारा परावर्तन के लिए नयी कार्तीय चिन्ह परिपाटी दर्शायें।

उत्तर — (i) बिम्ब सदैव दर्पण के बायीं ओर रखा जाता है। इसका अर्थ है कि दर्पण पर बिम्ब से प्रकाश बाईं ओर से आपतित होता है।

(ii) मुख्य अक्ष के समानांतर सभी दूरियां दर्पण के ध्रुव से मापी जाती है।

(iii) मूल बिंदु के दाईं ओर (+ X – अक्ष के अनुदिश ) मापी गई सभी दूरियां धनात्मक मानी जाती है जबकि मूल बिंदु के बाईं ओर ( — X – अक्ष के अनुदिश ) मापी गई दूरियां ऋणात्मक मानी जाती है।







[22] समतल दर्पण में बना प्रतिबिंब का साइज और प्रकृति कैसा होता है ?

उत्तर — समतल दर्पण (Plane Mirror) द्वारा बना प्रतिबिंब ———

(i) बिम्ब (object) के समान प्रतिबिंब का साइज होता है।

(ii) प्रतिबिंब दर्पण के उतना ही पीछे बनता है जितनी दूरी पर वस्तु समतल दर्पण के सामने होती है।

(iii) काल्पनिक (virtual ) प्रतिबिंब बनता है।

[23] अवतल दर्पण का उपयोग दाढ़ी बनाने के रूप में क्यों किया जाता है ?

उत्तर —— चेहरे को अवतल दर्पण के फोकस के भीतर रखने पर सीधा, काल्पनिक एवं बड़ा प्रतिबिंब बनता है। ऐसी परिस्थिति में छोटी छोटी दाढ़ी लंबी मालूम पड़ती है। दाढ़ी बनाने में इस दर्पण के उपयोग से दाढ़ी नहीं छूटती है। यही कारण है कि दाढ़ी बनाने में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है।

[24] अवतल दर्पण, उत्तल दर्पण और समतल दर्पण को छूकर एवं बिना छुए हुए कैसे पहचान करेंगे ?

उत्तर — अवतल दर्पण को छूने पर पता चलता है कि इसका प्रवर्तक सतह नत होता है। उत्तल दर्पण का परावर्तक सतह उभरा होता है। समतल दर्पण का परावर्तक सतह समतल होता है। तीनों दर्पणों के फोकस के भीतर एक वस्तु पिन को बारी-बारी से रखा जाता है। जिस दर्पण में वस्तु पिन का प्रतिबिंब आभासी, सीधा और बड़ा दिखाई पड़े वह अवतल दर्पण है। जिस दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब आभासी, सीधा छोटा दिखाई पड़े , वह उत्तल दर्पण है। जिस दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब आभासी, सीधा और वस्तु के आकार के बराबर दिखाई पड़े, वह समतल दर्पण है।

[25] लेंस के प्रकरण में आवर्धन की गणना लिखें।

उत्तर — उत्तल लेंस में आवर्धन m उस स्थिति में धनात्मक होती है जब उसके द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी है तथा उस स्थिति में ऋणात्मक होता है जब उसके द्वारा बना प्रतिबिंब वास्तविक है। लेकिन अवतल लेंस में आवर्धन सदैव ही धनात्मक होता है।

[26] लेंस में कितने मुख्य फोकस होते हैं ?

उत्तर — जैसा कि हम जानते हैं कि प्रकाश लेंस के दोनों ओर से होकर जा सकता है। अतः यही कारण है कि प्रत्येक लेंस में दो मुख्य फोकस होते हैं। लेंस के दोनों और एक – एक फोकस होते हैं।

[27] आभासी प्रतिबिंब क्या है ?

उत्तर — किसी स्त्रोत से आने वाला प्रकाश परावर्तन या अपवर्तन के बाद एक बिंदु पर नहीं मिलता है, बल्कि परिवर्तित अथवा अपवर्तित किरणों को पीछे बढ़ाने पर एक बिंदु पर मिले, तो आभासी प्रतिबिंब बनता है। यह प्रतिबिंब हमेशा सीधा और पर्दे पर लेना असंभव है।

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