नीचे दिए गए हैं JAC Board Class 10 Science – Chapter 8: "जीव जनन कैसे करते हैं" के महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर (हिंदी में, बोर्ड पैटर्न अनुसार):
🔹 1 अंकों वाले प्रश्नों के उत्तर
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जनन किसे कहते हैं?
👉 जीवों द्वारा अपने जैसे नए जीवों को उत्पन्न करने की प्रक्रिया को जनन कहते हैं। -
कायिक जनन क्या होता है?
👉 जब जनन बिना युग्मनज (gametes) के होता है, तो उसे कायिक जनन कहते हैं। -
कायिक जनन के दो उदाहरण लिखिए।
👉 गुलाब, आलू -
फर्न एवं मॉस में जनन किस विधि से होता है?
👉 स्पोर (बीजाणु) के द्वारा। -
अमीबा में जनन किस प्रकार होता है?
👉 द्विखंडन (Binary fission) द्वारा। -
युग्मनज किसे कहते हैं?
👉 जब शुक्राणु और अंडाणु मिलते हैं तो वह एक कोषिका युग्मनज बनाती है। -
फूल के नर जनन अंग का नाम लिखिए।
👉 पुंकेसर (Stamen) -
मानव में भ्रूण कहाँ बनता है?
👉 गर्भाशय (Uterus) में। -
वृषण का कार्य क्या है?
👉 शुक्राणु बनाना और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन स्रावित करना। -
ओवरी का कार्य क्या है?
👉 अंडाणु बनाना और हार्मोन (एस्ट्रोजन/प्रोजेस्टेरोन) स्रावित करना।
🔸 2–3 अंकों वाले प्रश्नों के उत्तर
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अलैंगिक जनन और लैंगिक जनन में अंतर:
बिंदु | अलैंगिक जनन | लैंगिक जनन |
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1. | एक ही माता-पिता से | दो माता-पिता से |
2. | युग्मनज नहीं बनता | युग्मनज बनता है |
3. | तेजी से होता है | धीमा होता है |
4. | संतान एक जैसी होती है | संतान भिन्न होती है |
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द्विखंडन और बहिखंडन में अंतर:
द्विखंडन | बहिखंडन |
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एक जीव दो भागों में विभाजित होता है | एक जीव कई भागों में विभाजित होता है |
जैसे – अमीबा | जैसे – प्लाज्मोडियम |
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कायिक जनन के दो लाभ:
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तेजी से जनन होता है।
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बीज की आवश्यकता नहीं होती।
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क्लोन क्या होता है?
👉 क्लोन वे जीव होते हैं जो पूरी तरह अपने जनक के समान होते हैं, जैसे – डॉली भेड़।
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मानव में शुक्राणु व अंडाणु कहाँ बनते हैं?
👉
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शुक्राणु – वृषण में
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अंडाणु – अंडाशय (ओवरी) में
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पुष्प के चार भाग:
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बाह्यदलपुंज (सेपल)
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दलपुंज (पंखुड़ी)
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पुंकेसर (नर भाग)
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अंडप (स्त्री भाग)
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यौन संक्रामक रोग और बचाव:
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रोग: एड्स, सिफिलिस, गोनोरिया
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बचाव: सुरक्षित यौन संबंध, एक ही साथी, टीकाकरण, स्वच्छता
🔹 5 अंकों वाले प्रश्नों के उत्तर
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अलैंगिक जनन के प्रकार:
👉-
द्विखंडन (Amoeba)
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बहिखंडन (Plasmodium)
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कली बनना (Budding) – यीस्ट
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स्पोरुलन (बीजाणु द्वारा) – फफूंदी
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कायिक जनन – आलू, गुलाब
✍️ चित्र बनाएं: द्विखंडन (Amoeba), कली (Yeast)
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मानव प्रजनन तंत्र (नर एवं मादा):
👉 नर प्रजनन अंग:
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वृषण – शुक्राणु उत्पादन
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शुक्रवाहिनी
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लिंग
👉 स्त्री प्रजनन अंग:
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अंडाशय – अंडाणु उत्पादन
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अंडवाहिनी
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गर्भाशय
✍️ चित्र बनाएं: पुरुष और स्त्री प्रजनन तंत्र
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परागण और निषेचन:
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परागण – परागकणों का स्त्री अंग (वर्तिकाग्र) तक जाना
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निषेचन – शुक्राणु और अंडाणु का मिलन
👉 निषेचन के बाद युग्मनज बनता है → भ्रूण → बीज
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क्लोनिंग और डॉली भेड़:
👉
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क्लोनिंग एक तकनीक है जिसमें अनुवांशिक रूप से समान जीव बनाए जाते हैं।
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डॉली पहली क्लोन भेड़ थी, जिसे 1996 में स्कॉटलैंड में बनाया गया।
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परिवार नियोजन के उपाय:
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कंडोम का उपयोग
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गर्भनिरोधक गोलियां
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नसबंदी
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इन सभी से जनसंख्या नियंत्रण में मदद मिलती है।
प्रश्न उत्तर जीव जनन कैसे करते है
प्रश्न उत्तर जीव जनन कैसे करते है
1 . हाइड्रा में प्रजनन किस विधि से होता है ?
Ans – मुकुलन
2 . हाइड्रा में किस विधि द्वारा जनन होता है ?
Ans – पुनुरुदभवन
3 . DNA कहाँ पाया जाता है?
Ans – कोशिका के केन्द्रक में
4 . स्पाइरोगाइरा में प्रजनन किस विधि से होता है ?
Ans – खंडन विधि द्वारा
5 . हाइड्रा में प्रजनन किस विधि से होता है ?
Ans – मुकुलन
6 . यीस्ट कोशिका किस विधि द्वारा अलैगिक जनन करती है ?
Ans – मुकुलन द्वारा
7 . मलेरिया परजीवी का दूसरा नाम क्या है ?
Ans – प्लाजमोडियम
8 . एक अंडप्रजक जंतु का नाम लिखे –
Ans – मेढक
9 . मानव भ्रूण का विकास कहाँ होता है?
Ans – गर्भाशय में
10 . किसके द्वारा भ्रूण को माँ के रुधिर से पोषण मिलता है ?
Ans – अपरा
11 . गुड़हल कौन सा लिंगी है?
Ans – उभयलिंगी
12 . समान जीन-संरचना वाले जीवों को क्या कहते हैं ?
Ans – क्लोन
13 . उस प्रक्रिया का नाम बताये जिसके द्वारा जीव नए जीवो को जन्म देते हैं ?
Ans – प्रजनन
14 . एक ऐसे पौधे का नाम लिखे जिसमे जिसमे जड़ द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है ?
Ans – सागौन
15 . हाइड्रा कौन लिंगी जंतु है?
Ans – उभयलिंगी
16 . प्राणियों में नर युग्मक का नाम लिखे –
Ans – शुक्राणु
17 . पौधे के किस जनन अंग में बीजांड पाया जाता है ?
Ans – अंडाशय में
18 . निषेचन के बाद वाले उत्पाद का क्या नाम है ?
Ans – युग्मनज
19 . दो जीवों के नाम लिखे जिसमे प्रजनन मुकुलन विधि द्वारा होता है
Ans – यीस्ट तथा हाइड्रा
20 . जनन की मूल घटना क्या है?
Ans – DNA की प्रतिकृति बनना
जीव जनन कैसे करते है
प्रश्न . डी० एन० ए० प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है ?
उत्तर- जनन की मूल घटना डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना है | डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाने के लिए कोशिकाएँ विभिन्न रासायनिक क्रियाओं का उपयोग करती है | जनन कोशिका में इस प्रकार डी.एन.ए. की दो प्रतिकृतियाँ बनती है | जनन के दौरान डी.एन.ए. प्रतिकृति का जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाईन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो जीवों के विशिष्ट स्थान में रहने के योग्य बनाती है.
प्रश्न . जीवों में विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं क्यों?
उत्तर- जीवों पर परितंत्र के साथं पर निकेत का सीधा प्रभाव पड़ता है। किसी प्रजाति की समष्टि के स्थायित्व का संबंध जनन से है। जब निकेत में ऐसे परिवर्तन आ जाते हैं जो जीवों के नियंत्रण से बाहर होते हैं जो उग्र परिवर्तन दिखाई देते हैं। इसके परिणामस्वरूप समष्टि का समूल विनाश संभव होता है। यदि समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी तो उनके जीवित रहने की कुछ संभावना है। वैश्विक ऊष्मीकरण के कारण यदि जल का ताप अधिक बढ़ जाए तो शीतोष्ण जल में पाए जाने वाले जीवाणुओं का नाश हो जाएगा पर गर्मी को सहन कर सकने वाले जीवाणु जीवित रहेंगे और वृद्धि करेंगे। इसलिए विभिन्नताएँ स्पीशीज़ की उत्तर जीविता बनाए रखने में उपयोगी हैं। विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो लाभदायक है पर व्यष्टि के लिए यह आवश्यक नहीं है।
प्रश्न . द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – द्विखंडन
1. प्रत्येक जीव (कोशिका) विभक्त होकर दो संतति जीव बनता है
2. इसमें जीव सिस्ट नहीं बनाता
3. पैत्रक कोशिका टूटकर बिखर नहीं जाती है
4. उदाहरण– अमीबा, पैरामीशियम
बहुखंडन
1. एककोशिकीय जीव अनेकों संतति व्यष्टिकाओं/कोशिकाओं में विभक्त हो जाता है
2. इसमें जीव सिस्ट बनाता है
3. पैत्रक कोशिका टूटकर बिखर जाती है तथा बहुत-सी संतति कोशिकाओं को छोड़ देती है
4. उदाहरण– लेस्मानिया, प्लैज़्मोडियम
प्रश्न . बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर- बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उतपन्न करते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है। इनमें उतपन बीजाणुओं की संख्या अधिक होती है इसलिए उनके बचने की संभावना ज्यादा होती है। वे सरलता से विपरीत परिस्थितियों में पाए जा सकते हैं। नम सतह के संपर्क में आने पर वे वृद्धि करने लगते हैं।
प्रश्न. क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुदभवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ?
उत्तर- जटिल संरचना वाले जीवों में जनन भी जटिल होता है। पुनरुद्भवन एक प्रकार से परिवर्धन है जिसमें जीव के गुणों में अंतर नहीं आता। यह जनन के समान नहीं है। जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन के द्वारा किसी भी भाग को काट कर सामान्यतः वैसा जीव उत्पन्न नहीं कर सकते।
प्रश्न. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर- जटिल संरचना वाले जीवों में जनन भी जटिल होता है। पुनरुदभवन एक प्रकार से परिवर्धन है जिसमें जीव के गुणों में अंतर नहीं आता। यह जनन के समान नहीं है। जटिल संरचना वाले जीव पुनरदभवन के द्वारा किसी भी भाग को काट कर सामान्यत: वैसा जीव उतपन्न नहीं कर सकते। क्योंकि उन का शरीर अंगों और अंग तंत्रों में विभाजित होता है।
प्रश्न . DNA की प्रतिकृति बनाना जनेन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर- डी.एन.ए. आनुवांशिक पदार्थ है जो अपने गुण एक कोशिका से संतति कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के समय स्थानांतरित कर देता है। यह जीवन की निरंतरता बनाए रखता है। इस प्रकार से नए जीव वही गुण बनाए रखते हैं। यह किसी जाती विशेष के गुणों को बनाए रखता है।
पश्न . परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – परागण
(1) वह क्रिया जिसमें परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं, परागण कहलाती है।
(2) यह जनन क्रिया का प्रथम चरण है।
(3) परागण क्रिया दो प्रकार की होती है-स्व-परागणऔर पर-परागण।
(4) परागकणों के स्थानांतरण के लिए वाहकों की आवश्यकता होती है
(5) अनेक परागकणों का नुकसान होता है।
(6) इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता होती है।
(7) इस क्रिया के पूरा हो जाने पर निषेचन क्रिया पूरी होने की आशा होती है।
निषेचन
(1) वह क्रिया जिसमें नर युग्मक और मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं, निषेचन कहलाती है।
(2) यह जनन क्रिया का दूसरा चरण है।
(3) निषेचन क्रिया भी दो प्रकार की होती है-बाह्य निषेचन एवं आंतरिक निषेचन
(4) इस क्रिया में वाहकों की कोई आवश्यकता नहीं होती।
(5) इसमें परागकणों का नुकसान नहीं होता।
(6)इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता नहीं होती।
(7) इस क्रिया के पश्चात बीजों और फल बनने की संभावना हो जाती है।
प्रश्न . शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
उत्तर- शुक्राशय के कार्य
1. शुक्राशय से स्त्रावित द्रव वीर्य का लगभग भाग बनाता है। इस द्रव में फ्रुक्टोज, सिटरेट तथा अनेक प्रोटीन होते हैं।
2. इस द्रव में उपस्थित प्रोस्टग्लैंड़ंज शुक्राणुओं को उत्तेजित कर देते हैं।
3. यह योनि में संकुचन को उद्दीपित करता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि के कार्य
1. प्रोस्टेट से स्त्रावित द्रव वीर्य का लगभग भाग बनाता है।
2. यह शुक्राणुओं को पोषण प्रदान कर उन्हें उत्तेजित करता है।
3. यह मूत्र की अम्लीयता को भी उदासीन कर देता है, जो शुक्राणुओं को मार सकती है।
प्रश्न . यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर- (i) शरीर के कुछ नए भागों जैसे काँख और जाँघों के मध्य जननांगी क्षेत्र में बाल गुच्छ निकल आते हैं।
(ii) हाथ, पैर पर महीन रोम आ जाते हैं।
(iii) त्वचा तैलीय हो जाती है। कभी-कभी मुहाँसे निकल आते हैं।
(iv) वक्ष के आकार में वृद्धि होने लगती है।
(v) स्तनाग्र की त्वचा का रंग गहरा भूरा होने लगता है।
(vi) अंडाशय में अंड परिपक्व होने लगते हैं।
(vii) रजोधर्म होने लगता है।
(viii) विपरीत लिंग की ओर आकर्षण होने लगता है।
(ix) ध्वनि सुरीली हो जाती है।
प्रश्न. माँ के शरीर में गर्भस्थ भूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर- गर्भस्थ भ्रूण को माँ के रुधिर से पोषण प्राप्त होता है। इसके लिए प्लेसेंटा की संरचना प्रकृति के द्वारा की गई है। यह एक तश्तरी नुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। इसमें भ्रूण की ओर से ऊतक के प्रवर्ध होते हैं। माँ के ऊतकों में रक्त स्थान होते हैं जो प्रवर्ध को ढांपते हैं। ये माँ से भ्रूण को ग्लूकोज, ऑक्सीजन और अन्य पदार्थ प्रदान करते हैं।
प्रश्न .यदि कोई महिला कॉपर-T का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर- नहीं, कॉपर-टी यौनि-संचरित रोगों से उसकी रक्षा नहीं करेगी। क्योंकि यह केवल एक गर्भनिरोधक युक्ति है जो गर्भधारण से बचाव करती है।
प्रश्न . अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है।
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लाज्मोडियम
(d) लेस्मानिया।
उत्तर- (b) यीस्ट।
प्रश्न . निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है? ।
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्र वाहिका
(d) डिंब वाहिनी।
उत्तर- (c) शुक्र वाहिका
प्रश्न . परागकोश में होते हैं
(a) बाह्य दल
(b) अंडाशय
(c) अंडप
(d) परागकण।
उत्तर- (d) परागकण।
प्रश्न . अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन का क्या लाभ है?
उत्तर- लैंगिक जनन निम्नलिखित कारणों से अलैंगिक जनन की अपेक्षा लाभकारी है
(i) लैंगिक जनन में नर और मादा से प्राप्त होने वाले नर युग्मक और मादा युग्मक के निषेचन से लैंगिक जनन होता है चूँकि ये दो भिन्न प्राणियों से प्राप्त होते हैं इसलिए संतान विशेषताओं की विविधता को प्रकट करते हैं।
(ii) विभिन्नताओं के बनने के साथ नए लक्षण उतपन्न होते हैं। इससे स्पीशीज़ के उद्भव में सहायता मिलती है। इसलिए यह विकास के लिए आवश्यक है।
(iii) लैंगिक जनन अलैंगिक जनन पर एक उन्नति/बढ़ावा है।
(iv) लैंगिक जनन से गुणसूत्रों के नए जोड़े बनते हैं। इससे विकासवाद की दिशा को नए आयाम प्राप्त होते हैं। इससे जीवों में श्रेष्ठ गुणों के उतपन्न होने के अवसर बढ़ते हैं।
प्रश्न . मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर- वृषण में नर जनन-कोशिका शुक्राणु का निर्माण होता है। टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन से उत्पादन एवं स्त्रावण में वृषण की महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रश्न . ऋतु स्राव क्यों होता है?
अथवा
जब अंड का निषेचन नहीं होता तो क्या होता है ? वर्णन करें।
उत्तर- आवर्त चक्र (लैंगिक चक्र) के अंतिम दिन से पहले 14वें दिन अंडाशय से अंड मोचित होता है। अंडाशय की भित्ति निषेचित अंड को ग्रहण करने के लिए स्वयं को तैयार करती है। गर्भाशय की भित्ति मोटी होती चली जाती है, इसमें प्रचुर रक्त कोशिकाएँ विद्यमान होती हैं।
लेकिन निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की आवश्यकता नहीं रहती, इसलिए यह पर्त धीरे-धीरे टूटकर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। भित्ति में उपस्तिथ रक्त कोशिकाएँ फट जाती हैं, इसलिए रक्तस्त्राव होता है जिसमें रक्त के साथ-साथ ऊतक तथा बहुत सारा पानी भी होता है इसे ऋतुस्त्राव कहते हैं। यह 2 से 8 दिन तक जारी रहता है।
इसके पश्चात गर्भाशय की भित्ति निषेचित अंड को ग्रहण करने के लिए तैयारी करने लगती है।
प्रश्न . पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
प्रश्न 8. गर्भनिरोधक की विभिन्न विधियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर- बच्चों के जन्म को नियमित करने के लिए आवश्यक है कि मादा का निषेचन न हो। इसके लिए मुख्य गर्भ । निरोधक विधियां निम्नलिखित हैं
(i) रासायनिक विधि- ये विधियाँ मादा द्वारा प्रयोग में ले जाती है | मादा मुखीय गोलियों द्वारा गर्भधारण को रोक सकती है | मुखीय गोलियों विशेषत : शरीर के हार्मोन्स में बदलाव उत्पन्न कर देती है परन्तु कई बार इनके बुरे प्रभाव भी पड़ जाते है |
(ii) अवरोधक विधियाँ – इन विधियों को शरीर करे बाहर अर्थात ऊपरी त्वचा पर प्रयोग किया जाता है जैसे – नर के लिए कंडोम , मादा के लिए मध्यपट ये शक्राणु को मादा के अंडोम से नहीं मिलने देती |
कॉपर- टी गर्भशय में स्थापित करके भी गर्भधारण को रोक जा सकता है |
प्रश्न . एक कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर- (a) एक-कोशिक जीवों में जनन सामान्यत: अलैंगिक जनन द्वारा होता है। इसकी विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित प्रकार से हैं: द्विखंडन, बहुखंडन, मुकुलन, समसूत्री विभाजन, असमसूत्री विभाजन। यह एकल पैतृक होता है।
नोट: इन एक-कोशिक जीवों में अधिकतर में लैंगिक जनन भी होता है।
(b) बहुकोशिक जीवों में अधिकतर में लैंगिक जनन होता है। यह द्वि-पैतृक होता है तथा इसमें युग्मक बनने तथा उनके संयोग करने की आवश्यकता भी पड़ती है। उनमें युग्मों के बनने के लिए गौनेड, युग्मकजननि की आवश्यकता होती है।
नोट: बहुकोशिक जीवों में पौधों, निम्न प्रकार के अकशेरुकियों में अलैंगिक जनन भी होता है।
प्रश्न . जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर- जनन की मूल रचना DNA की प्रतिर्कति बनाता है | कोशिकाएँ विभिन्न रासायनिक क्रियाएँ DNA की दो प्रतिर्कति बनती है यह जीव की संरचना एंव पैटर्न के लिए उत्तरदायी है DNA की ये प्रतिर्कतियाँ विलग होकर ‘विभाजित होती है | व दो कोशिकाओं का निर्माण करती है | इस प्रकार कुछ विभिन्नता आती है जो स्पीशीज के असितत्व के लाभप्रद है |
प्रश्न . गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर– (i) ये अवांछित गर्भ को रोकती हैं, इसलिए महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं।
(ii) ये जन्म-दर को नियंत्रित करने की अच्छी विधियाँ हैं तथा जनसंख्या विस्फोट को भी रोकती हैं।
(iii) कंडोम/निरोध जैसे गर्भनिरोधक यौन संचरित रोगों; जैसे एड्स, सुजाक, हिपेटाइटिस आदि से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
Class 10 science chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं
अध्याय 8 : जीव जनन कैसे करते हैं (How DO Organisms Reproduce)
Q1.) डी.एन.ए प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्व है ?
उत्तर:- डी.एन.ए प्रतिकृति का प्रजनन में निम्नलिखित महत्व है :-
- डी.एन.ए प्रतिकृति बन्ने से विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है | विभिन्नताओं से जैव विकास होता है |
- डी.एन.ए प्रतिकृति बन्ने से कोशिका विभाजन हटा है | जो प्रजनन के लिए अनिवार्य है |
- यह एक अनुवांशिक पदार्थ है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में गुणों को लेकर जाता है |
Q2.) जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परन्तु व्यष्टि के लिए आवश्यक नही है | क्यों ?
उत्तर:- क्योंकि अगर विभिन्नताएँ किसी जीव में उत्पन्न होती है तो वह मर सकता है | परंतु अगर किसी स्पीशीज में विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है तो उस जीव के जीवत रहने के कुछ आसार हैं | इसीलिए जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है| पर व्यष्टि के लिए नही |
Q3.) द्विखण्डन बहुखण्डन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:-
द्विखण्डन | बहुखण्डन |
1.द्विखण्डन विधि में एक जनक जीव विभाजित होकर दो नए जीवों को जन्म देती है | | 1. इस विधि में एक जनक जीव विभाजित होकर अनेक जीवों को जन्म देती है | |
2. ये अनुकूल परिस्थितियों में होता है | | 2. ये प्रतिकूल परिस्थितियों में होता है | |
3. यह एक ताल में होता है | | 3. ये विभिन्न तालो में होता है | |
Q4.) बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभदायक होता है ?
उत्तर:- बीजाणु जनन एकला जीवों में पाई जाती है | इसके द्वारा एक साथ कई जीवाणु विकसित होते हैं जो बीजाणु धनि के फटने पर दूर दूर तक उढ़कर चले जाते हैं और खुद को पुन: विकसित कर लेते हैं |इसी प्रकार जीवों की आबादी अचानक बढ़ती है तथा कुछ जीवाणुओं के नष्ट हो जाने पर स्पीशीज का आस्तित्व बना रहता है |
Q5.) क्या आप कुछ कारन सोंच सकते हैं जिससे पता चलता हो की जटिल सरंचना वाले जीव पुनरुदभवन द्वारा नै संतति उत्पन्न नही कर सकते हैं ?
उत्तर:- पुनस्दभवन सूक्ष्म जीवों में जनन की विधि है | क्योंकि उनकी शरीर संरचना अधिक जटिल नही होती है परन्तु जटिल संरचना वाले प्राणियों में पुनस्दभवन द्वारा जनन के समय क्रिया नही है |
Q6.) परागण क्रिया निषेचन क्रिया से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:-
परागण क्रिया | निषेचन क्रिया |
1. वह क्रिया जिसमे परागकण स्त्रीकेसर के वार्तिकाग्र तक पहुँचते हैं , परागण कहलाता है | | 1. वह क्रिया जिसमे नर भुग्मक और मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं ,, निषेचन कहलाता है | |
2. यह जनन क्रिया का प्रथम चरण है | | 2. यह जनन क्रिया का दूसरा चरण है | |
3. परागण क्रिया दो प्रकार की होती है – स्व परागण और पर परागण | 3. निषेचन क्रिया भी दो प्रकार की होती है – बाधा निषेचन और आतंरिक निषेचन | |
Q7.) शुक्राश्य ग्रांथी एंव प्रोस्टेट ग्रांथी क्या भूमिका है ?
उत्तर:-
शुक्राश्य ग्रांथी – शुक्राश्य से चिपचिपा गाढ़ा स्त्राव उत्पन्न होता है जो शुक्राणु को पोषित करता है |
प्रोस्टेट ग्रांथी – मनुष्यों में एक प्रोस्टेट ग्रांथी होती है | इससे स्त्रावित द्रव क्षारीय होता है | जो मूत्रमार्ग में स्त्रावित किया जाता है | वह द्रव मूत्रमार्ग की अम्लीयता को निष्क्रिय कर देता है |
Q8.) यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन से परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर:- यौवनारंभ के समय लड़कियों में निम्नलिखित परिवर्तन दिखाई देती है :-
- बगल एंव जाँघों में बालों के गुच्छे उत्पन्न होने लगती है |
- स्तनों के आकार में वृद्धि होने लगती है |
- ध्वनी सुरीली हो जाते हैं |
- ऋतुस्राव प्रारम्भ हो जाता है |
- अंडाश्य में अंड परिपक्कव आरंभ हो जाते हैं|
Q9.) कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर:-पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग निम्नलिखित कारणों से किया जाता है :-
- इसके द्वारा उगाये गये पौधे अनुवांशिक रूप से जनक पौधों के सामान होते हैं |
- इस विधि द्वारा उगाए गये पौधों में फल और फुल शीघ्र आते है |
- जिन पौधों में बिज उत्पन्न करने की क्षमता नही होती है | उन्हें इस विधि द्वारा उगाया जाता है |
Q10.) डी.एन.ए की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है ?
उत्तर:- डी.एन.ए की प्रतिकृति बनने से नई कोशिका में एक डी.एन.ए चला जाता है | तथा वह पूर्ण जीव के रूप में विकसित हो सकती है अथवा उसके विकास में योगदान दे सकती है | डी.एन.ए के बिना कोशिका जीवित नही रह सकती अत: इसलिए डी.एन.ए की प्रतिकृति का निर्माण अति आवश्यक है |
Q11.) माँ के शरीर में गर्भस्थ गुण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है ?
उत्तर:- माँ के शारीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण माँ के रुधिर से प्राप्त होता है | भ्रूण माँ के गर्भाशय में बने प्लेसेन्टा नामक उत्तक से चिपका होता है | इस उत्तक द्वारा भ्रूण माँ के रुधिर से पोशक तत्वों को ग्रहण करता है तथा वर्ज्य पदार्थ इसी प्लेसेन्टा के द्वारा माता के शारीर में चले जाते हैं |
Q12.) यदि कोई महिला कॉपर – टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन संचारित रोणों से रक्षा करेगा ?
उत्तर:- कॉपर – टी केवल शुक्राणु द्वारा अंडाणु के निषेचन को रिकता है | लेकिन यह यौन संचारित रोगों से महिला की रक्षा नही करती है |
Q1.)जनन क्या है ? यह क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:- किसी जीव द्वारा अपने जैसी संतान उत्पन्न करने की प्रक्रिया को जनन कहते हैं | जनन अपनी संतति की आबादी को कायम रखने के लिए आवश्यक है।
Q2.)मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ? कोई दो कार्य लिखें।
उत्तर:- मानव में वृषण के दो कार्य :-
- शुक्राणुओं का उत्पादन,
- नर जनन हॉर्मोन का संश्लेषण एवं स्रवण ।
Q3.)कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर:-
- सभी नए पौधे मातृ पौधे के समान होते हैं। इस प्रकार एक अच्छे गुणों वाले पौधे से कलम द्वारा उसके समान ही अनेक पौधे तैयार किये जाते हैं।
- फलों द्वारा उत्पन्न सभी बीज समान नहीं होते परन्तु कायिक जनन द्वारा उत्पन्न पौधों में पूर्ण समानता होती है।
- कायिक जनन द्वारा नए पौधे थोड़े समय में ही प्राप्त हो जाते हैं।
- वे पौधे जो बीज द्वारा सरलता से प्राप्त नहीं किए जा सकते, कायिक जनन द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं। जैसे- केला, अंगूर ।
Q4.)डी० एन० ए० की प्रतिकृति बनना जनन के लिए आवश्यक क्यों है ?
उत्तर:- डी० एन० ए० अणुओं में शरीर की डिजाइन, कार्यिकी आदि से संबंधित महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ होती हैं जिनके अनुसार शरीर की वृद्धि और उसका विकास होता है। डी० एन० ए० की प्रतिकृति बनने से नई कोशिका में भी एक डी० एन० ए० चला जाता है तथा वह पूर्ण जीव के रूप में विकसित हो सकती है अथवा उसके विकास में योगदान दे सकती है। डी० एन० ए० के बिना कोशिका जीवित नहीं रह सकती ।
Q5.)लैंगिक जनन के कोई दो लाभ लिखें।
उत्तर:- लैंगिक जनन के लाभ-
- लैंगिक जनन से जनन संतति में विविधता आती है।
- जीन के नए युग्मक बनते हैं जिसके कारण आनुवंशिक विविधता का विकास होता है।
Q6.)परागण व निषेचन क्रिया एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
परागण क्रिया | निषेचन क्रिया |
1.वह क्रिया जिसमें परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं, परागण कहलाते हैं । | 1.वह क्रिया जिसमें नर युग्मक और मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं, निषेचन कहलाती है। |
2.यह जनन क्रिया का प्रथम चरण है। | 2.यह जनन क्रिया का दूसरा चरण है। |
3.परागण क्रिया दो प्रकार की होती है- स्व परागण और पर परागण । | 3.निषेचन क्रिया भी दो प्रकार की है- बाह्य निषेचन एवं आंतरिक निषेचन । |
Q7.)निषेचन की परिभाषा लिख ।
उत्तर:- नर और मादा युग्मकों का संयुक्त होकर युग्मनज का निर्माण करना निषेचन कहलाता है।
Q8.)अपरा (प्लेसेन्टा) क्या है ? इसका क्या कार्य है ?
उत्तर:- रोपण के बाद भ्रूण और गर्भाशय के बीच एक विशेष ऊतक विकसित होता है, जिसे अपरा कहते हैं।
अपरा के कार्य- अपरा द्वारा भ्रूण को विकसित होने के लिए भोजन, श्वसन, उत्सर्जन इत्यादि आवश्यकताओं की पूर्ति मातृ शरीर से होती है।
Q9.) रजोनिवृति किसे कहते हैं ? महिलाओं में इसकी उम्र क्या है ?
उत्तर:- मानव मादा के जनन काल की उत्तरावस्था में जब रजोधर्म या ऋतुस्राव चक्र बन्द हो जाता हैं। रजोनिवृति कहलाती है।
स्त्रियों में प्रायः 50 वर्ष की आयु में यह अवस्था आती है।
Q10.) शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है ?
उत्तर:- शुक्राशय की भूमिका – शुक्राशय में शुक्राशय-द्रव का स्राव होता है। यह शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करता है एवं उनकी गति के लिए माध्यम की तरह कार्य करता है।
प्रोस्ट्रेट की भूमिका- यह पुरःस्थ द्रव का स्राव करती है। यह एक क्षारीय द्रव होता है। शुक्रद्रव एवं पुरःस्थ द्रव दोनों मिलते हैं और इन्हीं द्रवों के साथ शुक्राणु बाहर आते हैं।
Q11.)मुकुलन क्या है ? इस विधि द्वारा हाइड्रा में जनन को समझाएँ ।
उत्तर:- मुकुल से नए जीव का विकसित होना मुकुलन कहलाता है।
अलैंगिक जनन की इस विधि में कोशिका के किसी भाग में एक बल्ब जैसा उभार बनता है। कोशिका का केन्द्रक दो भागों में विभाजित हो जाता है और एक भाग इस बल्ब में आ जाता है। यह बल्ब जैसी रचना मूल कोशिका से अलग हो जाती है। अब इसे मुकुल कहते हैं। यीस्ट कोशिका एवं बहुकोशीय जंतु हाइड्रा में इस विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
चित्रात्मक प्रश्न
Q1.) चित्र का निरिक्षण करें और इसपर आधारित प्रश्नों के उत्तर दें –
(a) यह चित्र किस जंतु से संबंधित है ?
(b) चित्र में किस घटना को दर्शाया गया है |

उत्तर:- (a) प्लैनेरिया
(b ) चित्र प्लैनेरिया में पुनरुदभवन को दर्शाया गया है |
Q2.) दिए गये चित्र में ( a) और (b) को नामांकित करें तथा बताएँ की यह प्रजनन की किस विधि को दर्शाया है ?

उत्तर:- (a) स्पर्शक (b) मुकुलन
यह चित्र प्रजनन की मुकुलन विधि को दर्शाता है |
Q3.) दिए गए चित्र में (A) और (B) को नामांकित करें तथा (B) के दो कार्य लिखें।

उत्तर:- (A) दलपत्र, (B) अंडाशय।
अंडाशय के दो कार्य-
(i) यह स्त्रीकेशर का मुख्य भाग है एवं बीजांड को रखता है।
(ii) यह निषेचन की क्रिया में मुख्य रूप से भाग लेता है।
Q4.) चित्र का निरीक्षण करें और इसपर आधारित प्रश्नों के उत्तर दें-

(i) चित्र क्या दर्शाता है ?
(ii) चित्र में (a) का क्या नाम है ?
(iii) चित्र में दर्शाई गई पत्ती किस पौधे की हो सकती है ?
(iv) आलू में कायिक प्रवर्धन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:- (i) चित्र ब्रायोफिलम की पत्ती द्वारा वर्धि प्रचारण का होना दर्शाता है,
(ii) कलिका,
(iii) ब्रायोफिलम,
(iv) आलू के ऊपर अर्द्धचन्द्राकार आँखे होती है। इन आँखों में पत्र कलिकाएँ होती हैं। यदि आलू के आँखयुक्त टुकड़े काटे जाएँ और उन्हें मिट्टी में दबा दिया जाए तो आँखों के निचले भागों से जड़ें उत्पन्न होकर भूमि में जाती हैं। पत्र कलिकाएँ प्रकाश के प्रभाव में विकसित होकर प्ररोह का निर्माण करती हैं।
Q5.) चित्र में (a), (b), (c) तथा (d) जिन अंगों को इंगित करते हैं उन अंगों के नाम लिखें, तथा प्रत्येक के कार्य लिखें।

उत्तर:-
(a) परागकण,
(b) वर्तिका,
(c) निर्दिष्ठ केन्द्रक,
(d) अंडाशय ।
अंगों के कार्य-
(a) परागकण- परागण तथा निषेचन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना ।
(b) वर्तिका- परागकणों के अंकुरण के समय पराग नलिकाओं के बीजांड तक पहुँचने के मार्ग के रूप में कार्य करना ।
(c) निर्दिष्ठ केन्द्रक- निषेचन में भाग लेना ।
(d) अंडाशय- मादा जनन अंग के मुख्य भाग के रूप में निषेचन, फल तथा बीज निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना |
Q6.) दिए गए चित्र में (a) और (b) को नामांकित करें तथा (b) के कोई दो कार्य लिखें।

उत्तर:- चित्र में-
(a) अंडाशय,
(b) डिम्बवाहिनी (फालोपियन नलिका)
डिम्बवाहिनी के कार्य-
(a) अंडाणुओं को गर्भाशय तक पहुँचाना।
(b) निषेचन में सहायक होना ।