JAC Class 10 History Chapter 2 | क्लास 10th भारत में राष्ट्रवाद सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर | Bharat Mein rashtrawad subjective question answer class 10th JAC Board

Welcome to Gurukul with Arya Gautam

JAC Class 10 History Chapter 2 | क्लास 10th भारत में राष्ट्रवाद सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर | Bharat Mein rashtrawad subjective question answer class 10th JAC Board
JAC Class 10 History Chapter 2 : आप सभी लोग झारखंड बोर्ड परीक्षा 2024 में देने वाले हैं आप कक्षा 10th सोशल साइंस इतिहास का 2 चैप्टर भारत में राष्ट्रवाद का लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिया गया है बोर्ड परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है भारत में राष्ट्रवाद का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर क्लास 10th का भी नीचे लिंक दिया गया है ,झारखंड बोर्ड क्लास 10th Social Science का सब्जेक्टिव क्वेश्चन ,झारखंड बोर्ड क्लास 10th इतिहास का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर इस पेज में दिया गया है।

भारत में राष्ट्रवाद लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

1.पिकेटिंग क्या है?

उत्तर :- विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।

2.’बहिष्कार’ शब्द का क्या तात्पर्य है ?


उत्तर :- आमतौर पर यह विरोध का एक रूप होता है बहिष्कार का अर्थ है किसी के साथ संपर्क रखने और जुड़ने से इन्कार करना गतिविधियों में हिस्सेदारी से स्वयं को अलग रखना तथा उसकी चीजों को खरीदने तथा इस्तेमाल करने से इनकार करना।

3.रालेट एक्ट क्या था?

उत्तर :- रालेट एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा 1919 में पारित किया गया एक काला कानून था । इस कानून के जरिए सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को बिना कोई मुद्दा मुकदमा के 2 साल तक जेल के अंदर रहने का सलाह मिल गया था

4. भारत आने के बाद गांधी जी द्वारा चलाया गया पहला आंदोलन कौन सा था ?


उत्तर :- दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद गांधीजी ने 1917 ईस्वी में बिहार के चंपारण से अपने पहले सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। गांधीजी ने यहां के दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया। यहां के किसान नील की खेती का विरोध कर रहे थे।

5. खिलाफत आंदोलन की शुरुआत किसने की ?


उत्तर :- खिलाफत आंदोलन की शुरुआत मोहम्मद अली और शौकत अली नामक दो अली बंधुओं ने की। जब उन्हें पता चला कि ऑटोमन तुर्की की हार के बाद ऑटोमन सम्राट पर एक सख्त संधि थोपी जाएगी, तब उनकी अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने 1919 में मुंबई में खिलाफत समिति का गठन कर आंदोलन की शुरुआत की।

6. महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन ही क्यों चलाया?


उत्तर :- महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक “हिंद स्वराज” में कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना भारतीयों के सहयोग से ही हुई थी और यह शासन इसी के सहयोग के कारण चल पा रहा था यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के भीतर ही ब्रिटिश शासन ढह जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी, इसलिए महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन चलाया।


7. साइमन कमीशन ( simon commission ) का गठन क्यों किया गया था ?


उत्तर :- सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन किया गया । राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में गठित किए गए इस आयोग को भारत की संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना था और उसके बारे में सुझाव देने थे।

8.असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से विदेशी वस्तुओं पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर :- वस्तुओं काअसहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी बहिष्कार किया गया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी । 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था, उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई । बहुत सारी स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों के व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इनकार कर दिया।

9.गांधी-इरविन समझौता कब हुआ ? इसकी कोई एक शर्त बताइए ।


उत्तर :- 5 मार्च 1931 को गांधीजी और इरविन के बीच समझौता हुआ था। इस समझौते में सरकार ने वचन दिया कि हिंसा के आरोप में गिरफ्तार लोगों को छोड़कर सभी राजनीतिक कैदि को रिहा कर दिया जाएगा।

10.स्वराज पार्टी’ का गठन किस उद्देश्य से किया गया था ?


उत्तर :- स्वराज पार्टी के गठन का उद्देश्य प्रांतीय विधायिका में प्रवेश कर सरकार पर दबाव बनाकर स्वराज की स्थापना के लिए प्रयास करना था।

11. अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?


उत्तर :- अल्लूरी सीताराम राजू जिसने आंध्र प्रदेश की गुम पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी किसानों के बीच आंदोलन का नेतृत्व किया था। जिन्होंने जंगलों में लगे प्रतिबंध को समाप्त करने के लिए 1920 के दशक में एक उग्र गोरिल्ला आंदोलन चलाया।

12.लोगों को एकजुट करने में तिरंगे झंडे की क्या भूमिका थी?


उत्तर :- राष्ट्रवादी नेता लोगों को एकजुट करने के लिए बंगाल में स्वदेशी आंदोलन के दौरान एक तिरंगा झंडा (हरा पीला लाल ) तैयार किया। इसमें ब्रिटिश भारत के 8 प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते हुए कमल के 8 फूल और हिंदुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते एक अर्धचंद्र दर्शाया गया था। 1921 तक गांधी जी ने भी तिरंगा सफेद, हरा और लाल जिस के मध्य चरखा था, तैयार कर लिया था, जिसने लोगों के भीतर राष्ट्रवाद की भावना को जागृत किया।

13.उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ?


उत्तर :- उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़े हुए थे जिसके कई कारण थे –

i. वियतनाम और दूसरे उपनिवेशों की तरह हमारे देश में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ जुड़ी हुई थी।

ii.औपनिवेशिक शासकों द्वारा उत्पीड़न और दमन के कारण विभिन्न समूह एक दूसरे के समीप आ गए थे और आपसी एकता का महत्व समझने लगे थे।

iii. शवाद का प्रभाव प्रत्येक समूह और वर्ग पर एक जैसा नहीं था, उनके लिए स्वतंत्रता के मायने भी अलग थे और अनुभव भी भिन्न थे। महात्मा गांधी इन सभी समूहों को एकत्र करके एक विशाल आंदोलन खड़ा करना चाहते थे।

14. पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया


उत्तर :- पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्नलिखित प्रकार से योगदान दिया-

i. प्रथम विश्वयुद्ध के कारण एक नई आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पैदा होने से रक्षा व्यय में काफी वृद्धि हुई।

ii. युद्ध में होने वाले खर्चे को पूरा करने के लिए कर्ज लिए गए. करों में वृद्धि की गई सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया और आप पर भी कर लगा दिया गया।

iii. युद्ध के समय कीमतें तेजी से बढ़ रही थी ।1913 से 1918 के बीच कीमतें दोगुनी हो चुकी थी, जिसके कारण जनसाधारण को मुसीबतों का सामना करना पड़ा।

iv. गांव में युवकों को जबरन सेना में भर्ती किया जा रहा था, जिसके कारण ग्रामीण इलाकों में व्यापक गुस्सा था।

v. 1918-19 और 1920-21 में देश के बहुत सारे भागों में फसल नष्ट हो गई थी, जिसके कारण खाद्य पदार्थों की भारी कमी पैदा हो गई। उसी समय फ्लू की महामारी फैल गई । 1921 की जनगणना के अनुसार इस महामारी और अकाल के कारण लगभग 120-130 लाख लोग मारे गए।

vi.अंग्रेजी सरकार ने भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ‘डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 ईस्वी में लागू किया। इसके बाद क्रांतिकारी आंदोलन कम होने के बजाप और तेज हो गया।

15. भारत के लोग रालेट एक्ट के विरोध में क्यों थे?


उत्तर :- रालेट एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा सन 1919 में लागू किया गया एक कानून था भारत के लोगों द्वारा रॉलेक्ट एक्ट के विरोध करने के निम्न कारण थे-

i. गांधीजी ने 1919 में रालेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन चलाया।

ii. भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इस कानून को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने बहुत जल्दबाजी में पारित कर दिया था। इस कानून के जरिए सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को 2 साल तक बिना मुकदमा जेल में बंद रखने का अधिकार दिया गया था।

iii. महात्मा गांधी ऐसे अन्याय पूर्ण कानूनों के विरुद्ध अहिंसक तरीके से नागरिक अवज्ञा चाहते थे। जिसे 6 अप्रैल को एक हड़ताल के साथ शुरू होना था ।

16. गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों किया ?


उत्तर :- असहयोग आंदोलन अपने पूरे जोरों पर चल रहा था जब महात्मा गांधी ने 1922 ईस्वी को उसे वापस ले लिया इस आंदोलन के

i. महात्मा गांधी अहिंसक ढंग से आंदोलन चलाना चाहते थे लेकिन उनकी आशा के विपरीत यह आंदोलन हिंसक होता जा रहा था और सत्याग्रहियों को व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता थी इसलिए महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेना ही उचित समझा।


ii. 1922 में गोरखपुर में स्थित चौरी चौरा में बाजार से गुजर रहे एक शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया, इस हिंसात्मक घटना के बारे में सुनते ही महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन रोकने का आह्वान किया।

iv. गावे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएंगे तो अंग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो उठेगी और आतंक का राज्य स्थापित हो जाएगा और अनेक निर्दोष लोग मारे जाएंगे। महात्मा गांधी जालियांवाला बाग जैसे हत्याकांड की पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते थे।

17.’सत्याग्रह’ के विचार का क्या मतलब है?

उत्तर :-

i.सत्याग्रह एक ऐसा विचार है, जिसमें सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता है। इसका अभिप्राय यह है, कि यदि आप का उद्देश्य सच्चा है यदि आप का संघर्ष अन्याय के विरुदध है तो उत्पीड़क का मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है।

ii. सत्याग्रह के विचार में प्रतिशोध या बदले की भावना लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के बल पर ही अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।

iii. इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झकझोरना चाहिए। उत्पीड़न शत्रु को ही नहीं अपितु सभी लोगों को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीकार करने की बजाय सच्चाई को देखने और सहज भाव को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अंततः सत्य की ही जीत होती है।

18. जालियांवाला बाग हत्याकांड पर टिप्पणी लिखें ।

उत्तर :-

i. रॉलेक्ट एक्ट के विरोध में महात्मा गांधी और सत्यपाल किचलू गिरफ्तार हो चुके थे। अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था । 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी पर्व के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में मेले का आयोजन किया गया था अमृतसर के सैनिक प्रशासन जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोषित कर दिया काफी लोग तो सरकार द्वारा लागू किए गए दमनकारी कानून का विरोध करने के लिए भी एकत्रित हुए थे।

ii.तब जनरल डायर ने बाग को चारों ओर से घेर कर सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दिया, इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई।

iii. इस हत्याकांड के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने एक हंटर आयोग स्थापित की और उस आयोग की रिपोर्ट के बाद जनरल डायर को सम्मानित किया। इससे महात्मा गांधी असहयोगी हो गए थे और उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाने का निश्चय किया था।

iv. जालियांवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास के सबसे दर्दनाक घटना थी। इससे पूरे भारत में रोष की लहर फूट पड़ी।

19.साइमन कमीशन पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर :-

i. 19 29 की आर्थिक मंदी का असर भारत पर भी पड़ा, कृषि उत्पादों की मांग गिरने से ग्रामीण क्षेत्र भारी उथल-पुथल गुजर रहे थे। से

ii. इसी पृष्ठभूमि में ब्रिटेन के नए टोरी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन कर दिया।

iii.राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में गठित किए गए इस आयोग को भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना और उसके बारे में सुझाव देना था। परंतु इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं थे, सारे अंग्रेज थे।

iv. 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत “साइमन कमीशन वापस जाओ” के नारों से किया गया । कांग्रेस, मुस्लिम लीग और अन्य सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।

v.पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया, पुलिस ने उन पर इतनी लाठियां बरसाई कि उनकी मृत्यु हो गई।

20.भारत माता की छवि और जर्मेनिया की छवि की तुलना करें ।

उत्तर :- 1948 ईस्वी में जर्मन चित्रकार फिलिप वेट ने अपने राष्ट्र को जर्मेनिया के रूप में प्रस्तुत किया। वे बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दिखाई गई हैं क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।

भारत में भी अवनींद्र नाथ टैगोर जैसे अनेक कलाकारों ने भारत राष्ट्र को भारत माता के प्रतीक के रूप में दिखाया है। एक चित्र में उन्होंने भारत माता को शिक्षा, भोजन और कपड़े देती हुई दिखाया है।

एक अन्य चित्र में भारत माता को अन्य ढंग से दिखाया गया है अवनींद्रनाथ टैगोर के चित्र से बिल्कुल भिन्न है। इस चित्र में भारत माता को शेर और हाथी के बीच खड़ी दिखाया गया और उसके हाथ में त्रिशूल है।

21. खिलाफत आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर :- प्रथम विश्वयुद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। अंग्रेजों ने यह घोषणा की कि मुस्लिम जंगत के आध्यात्मिक नेता खलीफा की शक्ति और पद को समाप्त कर दिया जाएगा और ओटोमन सम्राट पर एक सख्त संधि थोपी जाएगी। दुनिया भर के मुस्लिम संप्रदाय ने इसका तीव्र विरोध किया।

खलीफा के पद को बनाए रखने के लिए और उनकी शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में मुंबई में मोहम्मद अली और शौकत अली नामक दो अली बंधुओं ने खिलाफत समिति का गठन किया। मोहम्मद अली और शौकत अली बंधुओं के साथ साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त कार्रवाई की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ वार्तालाप की।

सितंबर 1920 के कोलकाता अधिवेशन में महात्मा गांधी सहित दूसरे अन्य नेताओं ने यह बात मान ली कि खिलाफत आंदोलन के जनसमर्थन अथवा स्वराज के लिए एक असहयोग आंदोलन शुरू किया जाना चाहिए।

22. पूना पैक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर :-

i.डॉ. अंबेडकर ने 1930 में दमित वर्ग एसोसिएशन की स्थापना की। उनका मानना था कि दलित वर्ग की समस्याओं का समाधान तथा उनकी सामाजिक अपंगता का निवारण केवल राजनीतिक सशक्तिकरण के द्वारा ही किया जा सकता है, अतः उन्होंने दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र का जोर शोर से समर्थन किया।

ii. इस विषय पर गांधीजी से उनका गंभीर विवाद हुआ इसी बीच सरकार ने अंबेडकर की बात मान ली इसके विरोध में गांधीजी ने पुणे की यवर्धा जेल में ही आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया।

iii. अन्य राष्ट्रवादी नेताओं की मध्यस्थता से गांधीजी और अंबेडकर के बीच सितंबर 1932 में एक समझौता हुआ, जिसे पूना पैक्ट के नाम से जाना जाता है।

iv. इस समझौते के अनुसार दलित वर्ग को प्रांतीय एवं केंद्रीय विद्यायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गई, परंतु निर्वाचन सामान्य प्रणाली के आधार पर किया जाएगा। दलितों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए भी पूना पैक्ट में शर्ते रखी गई।

23. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचन के सवाल पर क्यों बंटे हुए थे? चर्चा करें।

उत्तर :-

i. राजनीतिक नेता भारतीय समाज में विभिन्न वर्गों समुदायों का

ii. डॉ भीमराव अंबेडकर दलित वर्गों या दलितों का नेतृत्व करते थे जबकि मोहम्मद अली जिन्ना भारत के मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे।

iii. यह नेतागण विशेष राजनीतिक अधिकारों और अलग निर्वाचन क्षेत्र मांग कर अपने वर्गों और समुदायों का जीवन स्तर ऊंचा उठाना चाहते थे। घ) सभी समुदाय अपने अपने वर्गों के हितों की रक्षा करना चाहते थे।

iv. गांधीजी पृथक निर्वाचन का विरोध कर रहे थे, क्योंकि उनका मानना था कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

v. यह एकीकरण के मार्ग में रोड़ा बन कर अटक सकता था।

24.शहरों में असहयोग आंदोलन धीरे-धीरे धीमा पड़ने लगा। क्यों? –

उत्तर :- असहयोग आंदोलन का संचालन स्वराज की मांग को लेकर किया गया था इसका उद्देश्य सरकार के साथ सहयोग नहीं करना था । इसकी शुरुआत शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से हुई लेकिन कुछ समय बाद शहरों में यह आंदोलन धीमा पड़ने लगा इसके निम्नांकित कारण थे-

i. इस आंदोलन में विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया गया था लेकिन खादी का कपड़ा मिलों में बनने वाले कपड़ों के मुकाबले प्रायः महंगा होता था। जिसे गरीब खरीदने में सक्षम नहीं थे।

ii. ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार से भी समस्या पैदा हो गई। वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना की प्रक्रिया बहुत धीमी थी। जिससे विद्यार्थी और शिक्षक ब्रिटिश संस्थानों में लौटने लगे।

iii. वकीलों ने भी दोबारा सरकारी अदालतों में योगदान देना शुरू किया क्योंकि दूसरी ऐसी अदालत नहीं थी जिसमें वकील काम कर सकें।

25..स्वराज दल का गठन क्यों किया गया था ? इसका कार्य क्या था ?

उत्तर :-

i. स्वराज दल का गठन 1923 ईस्वी में कांग्रेस के स्पेशल अधिवेशन दिल्ली में अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में हुआ था। कांग्रेस ने स्वराज वादियों को अनुमति दे दी. कि वे चुनाव में भाग ले सकते हैं, उन्होंने केंद्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में बहुत अधिक सीटें पाई।

ii.इससे अंग्रेजों को परेशानी हुई, कि वे अपनी नीतियों और प्रस्तावों को आसानी से पास ना करवा पाएंगे। ग) स्वराज्य वादियों ने अंग्रेज विरोधी भावना बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

26.. सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया?

उत्तर :- सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने हिस्सा लिया, क्योंकि स्वराज के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे-

i. ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे, जहां कारोबार पर वैश्विक पाबंदियां नहीं होंगी और व्यापार और उद्योग निर्वाध ढंग से फल फूल सकेंगे।

ii.धनी किसानों के लिए स्वराज की लड़ाई भारी लगान के खिलाफ लड़ाई थी, वे चाहते थे कि लगान में कमी की जाए।

iii. गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था कि उनके पास स्वयं की जमीन हो, क्योंकि उनमें से बहुत सारे किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहे थे। वे चाहते थे कि उन्हें जमींदारों को जो किराया चुकाना था, उसे माफ कर दिया जाए।

iv. महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति हो सके l

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.