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Hindi] महात्मा गांधी पर निबंध -250 शब्द | महात्मा गांधी पर निबंध -500 शब्द
महात्मा गांधी, एक व्यक्ति जो हमेशा हर किसी के दिल में रहेंगे, पे हम कुछ निबंध हम निचे दिए हैं| भारत में रहने वाला हर बच्चा उन्हें बापू के नाम से जानता है। यह आपके बच्चो को स्कूल में महात्मा गांधी पर निबंध लिखने व भासण देने में मदद करेगा.
महात्मा गांधी पर निबंध (महात्मा गांधी एस्से)
महात्मा गांधी पर निबंध 1 (100 शब्द)
महात्मा गांधी "बापू" या "राष्ट्रपिता" के रूप में भारत में बहुत प्रसिद्ध है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। वें एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे और एक राष्ट्रवाद नेता की तरह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत का नेतृत्व किया था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था|
उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी| मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने की थी बाद में जिसको इसके लिए भारत सरकार द्वारा फांसी की सजा दे दी गयी। 1948 में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा उन्हें एक और नाम दिया गया जो है "राष्ट्र का शहीद"।
महात्मा गांधी पर निबंध 2 (150 शब्द)
महात्मा गांधी को "महात्मा" उनके महान कार्यो और महानता के लिए कहा जाता है जो की उन्होंने जीवन भर किया। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसक कार्यकर्ता थे और अपने पुरे जीवन काल में जब वे ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए अग्रणी थे, अहिंसा का पालन किया। उनका जन्म भारत के गुजरात राज्य के पोरबन्दर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था।
वह सिर्फ 18 साल के थे जब वे इंग्लैंड में कानून का अध्ययन कर रहे थे। बाद में वे साउथ अफ्रीका के ब्रिटिश कॉलोनी अपने कानून की पढ़ाई करने गए जहा उन्हें काले त्वचा वाले व्यक्ति होने के कारण गोरे त्वचा वाले व्यक्ति से भेदभाव का सामना करना पड़ा। यही कारण है कि उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया क्योकि वह अनुचित कानूनों में कुछ सकारात्मक बदलाव कर सके|
बाद में वह भारत लौट आए और भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने के लिए एक शक्तिशाली और अहिंसक आंदोलन शुरू कर दिया। यह वह है जिसने नमक सत्याग्रह या दांडी मार्च का नेतृत्व किया था| उन्होंने अपनी स्वतंत्रता के लिए बहोत सारे भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया|
महात्मा गांधी पर निबंध 3 (200 शब्द)
महात्मा गांधी भारत के एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे जो आज भी देश और विदेशो के लोगो को अपने महानता की विरासत, आदर्शवाद और महान जीवन की वजह से प्रेरित करते है। बापू का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात(भारत) के पोरबंदर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। 2 अक्टूबर भारत के लिए एक शुभ दिन था जब बापू ने जन्म लिया था| उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए महान और अविस्मरणीय भूमिका निभायी। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। वह अपने मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। बाद में वे 1890 में एक वकील के रूप में भारत लौट आए।
भारत में आगमन के बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। उन्होंने भारतीयों की मदद करने के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बापू द्वारा शुरू अन्य बड़े आंदोलन हैं, वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन, वर्ष 1930 में सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट और वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन| ये सभी आंदोलन ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया और भारतीय आम नागरिकों को आज़ादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया|
महात्मा गांधी पर निबंध 4 (250 शब्द)
बापू, मोहनदास करमचंद गांधी 1869 में 2 अक्टूबर को पोरबंदर, गुजरात, भारत में पैदा हुऐं थे। महात्मा गांधी एक महान भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी के आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वें एक वकील के रूप में भारत लौट आए और कानून का अभ्यास शुरू कर दिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा तिरस्कृत और अपमानित किये गए भारत के लोगों की मदद करना शुरू कर दिया।
उन्होंने अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए अहिंसा स्वतंत्रता आंदोलन शुरू कर दिया। उनका कई बार अपमान किया गया लेकिन वह भारत की स्वतंत्रता के लिए अहिंसक संघर्ष जारी रखे। भारत लौटने के बाद वह एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। वह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक महान नेता थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए बहुत संघर्ष कियें। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सदस्य के रूप में उन्होंने असहयोग आंदोलन, सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट और बाद में भारत छोड़ो आंदोलन किये जो एक दिन सफल हो गया है और भारत को स्वतंत्रता दिलाने में मददगार रहा|
एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में वह गिरफ्तार हुए और उन्हें कई बार जेल भेजा गया, लेकिन उन्होंने भारतीयों के न्याय के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखा। वह अहिंसा और सभी धर्मों के लोगों की एकता में बहोत विश्वास रखते थे जिसका उन्होंने आज़ादी के संघर्ष के दौरान पालन किया। कई भारतीयों के संघर्ष के बाद आखिरकार वह भारत को 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्र देश बनाने में सफल रहें| बाद में एक हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे, द्वारा 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या कर दी गई|
महात्मा गांधी पर निबंध 5 (300 शब्द)
महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की आज़ादी के संघर्ष में बिताया। उनका जन्म एक हिन्दू परिवार में 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतीय लोगों के एक नेता के रूप में व्यतीत किया। उनके पूरे जीवन की कहानी हमारे लिए एक महान प्रेरणा है। वे बापू या राष्ट्रपिता कहलाते है क्योंकि उन्होंने अपना सारा जीवन हमें आज़ादी दिलाने के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ने में बिता दिया| आज़ादी पाने के लिए अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह आंदोलन जैसे हथियार की मदद ली| कई बार उन्हें गिरफ्तार किया गया और कई बार जेल भेजा गया, लेकिन उन्होंने कभी खुद को हतोत्साहित नहीं किया और राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई जारी रखा।
वे हमारे देश के असली पिता है क्योंकि ब्रिटिश शासन से हमें मुक्त कराने के लिए उन्होंने वास्तव में अपनी सारी शक्तियों का इस्तेमाल किया। वह सही मायने में लोगो की एकता (विभिन्न जातियों, धर्मों, समुदाय, जाति, आयु या लिंग) की शक्ति को समझे जिसका उन्होने अपने सभी स्वतंत्रता आंदोलन में इस्तेमाल किया| अंततः जन आंदोलनों के माध्यम से उन्होंने 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजो को पूरी तरह भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया| 1947 से 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है।
वें 1947 में भारत की आज़ादी के बाद अपने जीवन को जारी नहीं रख सके क्योंकि 30 जनवरी 1948 को हिंदू कार्यकर्ताओं में से एक कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई| वह एक महान व्यक्तित्व थे उन्होंने मृत्यु तक अपना सारा जीवन अपनी मातृभूमि के लिए गुजार दिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन से आजादी से हमारे जीवन को सच्ची प्रकाश से प्रबुद्ध कर दिया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अहिंसा और लोगों की एकता से सब संभव है। अपनी मृत्यु के कई वर्षो बाद भी वे हर भारतीय के ह्रदय में "बापू और राष्ट्रपिता" के रूप में जिंदा है।
महात्मा गांधी पर निबंध 6 (500 शब्द)
महात्मा गांधी को हमारे देश की आज़ादी में उच्चतम योगदान की वजह से उन्हें "राष्ट्रपिता या बापू " के रूप में जाना जाता है। ये वो हैं जिन्होंने अहिंसा और लोगों की एकता में विश्वास किया और भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता लायी। उन्होंने भारतीय समाज से छुआछूत को हटाने के लिए, भारत में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए, सामाजिक विकास के लिए गांवों का विकास करने के लिए आवाज उठाई, भारतीय लोगों को स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया और अन्य सामाजिक मुद्दों के लिए कठिन प्रयास किये। उन्होंने आम लोगों को राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के लिए सामने लाया और उनकी सच्ची स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए उन्हें प्रेरित किया।
वह उन लोगों में से एक थें जिन्होंने लोगो के आज़ादी के सपनो को हकीकत में अपने महान आदर्शों और सर्वोच्च बलिदान से बदला। वह अभी भी अपने महान काम और मुख्य गुण जैसे की अहिंसा, सत्य, प्रेम और भाईचारे की वजह से याद किये जातें हैं| वह महान पैदा नहीं हुए थें लेकिन उन्होंने अपने कठिन संघर्ष और कार्यों के माध्यम से खुद को महान बनाया। वे राजा हरिश्चंद्र नामक नाटक के राजा हरिश्चंद्र के जीवन से बहोत प्रभावित थें| अपनी स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने इंग्लैंड से कानून की डिग्री पूरी की और एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। उनको अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन एक महान नेता के रूप में उन्होंने चलते रहना जारी रखा।
उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के पथ पर कई जन आंदोलनों शुरू किये जैसे की 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट और अंत में 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन| बहोत संघर्ष और कार्यो के बाद अंत में ब्रिटिश सरकार को भारत की स्वतंत्रता देनी पड़ी। वह एक बहोत ही सामान्य व्यक्ति थे जिन्होंने रंग बाधा और जाति बाधा हटाने में काम किया। उन्होंने भारतीय समाज से छुआछूत को भी हटाने के लिए काम किया और अछूतों को "हरिजन" का नाम दिया जिसका मतलब भगवान के लोग होता है|
वह एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे और अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के बाद उनका निधन हो गया। उन्होंने शारीरिक श्रम के लिए भारतीय लोगों को प्रेरित किया और एक साधारण जीवन जीने और आत्म निर्भर बनने के लिए सभी संसाधनो की व्यवस्था करने को कहा। वह विदेशी माल के उपयोग से बचने के लिए और स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, चरखे द्वारा सूती कपड़ो की बुनाई शुरू कर दी। वह कृषि के बहोत बड़े समर्थक थे और कृषि कार्य करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति थे और भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता लाएं। 30 जनवरी 1948 को उनकी मृत्यु हो गई और उनके शरीर का राजघाट, नई दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया। उनको श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को भारत में शहीद दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है।
महात्मा गाँधी की अहिंसा नीति पर निबंध – 7 (1100 शब्द)
प्रस्तावना
अहिंसा एक ऐसी नीति है, जिसमें कभी भी किसी को जाने-अनजाने में चोट पहुंचाने का प्रयत्न नही किया जाता है। यह वह निती है जिसे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे महान व्यक्तियों द्वारा प्रसारित किया गया और महात्मा गाँधी उन प्रसिद्ध व्यक्तियों में से थे, जो अहिंसा नीति का पालन करते थे। वह अहिंसा निती का इस्तेमाल ब्रिटिश हुकूमत से लड़ने के लिए एक हथियार के तौर पर करते थे। यह उनके द्वारा किए गये प्रयत्नों का ही नतीजा था, जो अंततः इतने संघर्षो के बाद हमें स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई।
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में अहिंसा नीति की भूमिका
भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी के आने के बाद अहिंसा का महत्व काफी बढ़ गया था। हांलाकि इसके साथ ही देश में कई हिंसक स्वतंत्रता संघर्ष चल रहे थे, जिनके महत्व को किसी तरह से भी नकारा नही जा सकता है। इन स्वतंत्रता संघर्षो के तहत हमारे देश में कई स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए शहादत को प्राप्त हुए।
लेकिन महात्मा गाँधी के अहिंसा आंदोलन वह आंदोलन थे, जिसमें देश की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन किए जाते थे। महात्माँ गाधी ने अपने हर आंदोलन में अहिंसा मार्ग का उपयोग किया। इन्हीं में से कुछ महत्वपूर्ण अहिंसा आंदोलन के विषयों में नीचे बताया गया है, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की नीव को हिलाकर रख दिया था।
- चम्पारण और खेड़ा आंदोलन
1917 में चम्पारण के किसानों को अंग्रेजों के द्वारा मजबूर किया गया कि वह नील की खेती करें तथा इसे एक तय कीमत पर अंग्रेजी सरकार को बेचें। जिसके विरोध में महात्मा गाँधी ने अहिंसा पूर्वक एक आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें अंग्रेजों को अंततः उनकी मांगो को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनके इस आंदोलन को चम्पारण आंदोलन के नाम से जाना गया।
इसके साथ ही सन् 1918 में गुजरात के खेड़ा गांव को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा। जिससे उस क्षेत्र में भयावह आकाल की समस्या उत्पन्न हो गई। इतने गंभीर संकट के बाद भी अंग्रेजी सरकार लोगों को करों में किसी प्रकार की छूट या मदद देने के लिए तैयार नही थी। तब इसके विरोध में गाँधी जी ने एक अहिंसक असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिससे अंत में मजबूर होकर प्रशासन को उनकी मांगे माननी पड़ी और लोगो को कर में छूट देने के लिए तैयार होना पड़ा, महात्मा गाँधी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।
- असहयोग आंदोलन
अंग्रेजो के क्रूर नीतियों और जलियावाला बाग नरसंहार के कारण सन् 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई। यह अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में शुरु हुआ एक अहिंसक आंदोलन था। गाँधी जी का मानना था कि अंग्रेज भारत मे शासन करने में सिर्फ इसलिए कामयाब हुए, क्योंकि उन्हें भारतीयों का सहयोग मिला। इसलिए उन्होंने लोगों को अंग्रेजीं हुकूमत के साथ असहयोग करने को कहा। उनकी इन्हीं बातों को मानते हुए लोगो ने अंग्रेजी सरकार के अधीन पदो जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था तथा अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया।
इसके साथ ही लोगों ने अंग्रेजी वस्त्रों और वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। असहयोग आंदोलन वह आंदोलन था, जिसमें ना किसी तरह के शस्त्र का उपयोग हुआ और नाही रक्त का एक भी कतरा बहा फिर भी इसने अंग्रेजी हुकूमत की नीव को हिलाकर रख दिया।
- नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा)
दांडी यात्रा जिसे नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है, यह महात्मा गाँधी के द्वारा शुरु की गयी एक यात्रा थी, जिसके अंतर्गत उन्होंने नमक पर लगने वाले भारी कर के कानून का विरोध किया था।
नमक पर अंग्रेजी सरकार के एकाधिकार के विरोध में गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा का आरंभ किया, यह यात्रा साबरमती आश्रम से शुरु होकर 26 दिन बाद 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के एक तटीय गांव दांडी में समाप्त हुई। जिसके अंतर्गत अंग्रेजी सरकार के नमक कानून की अवहेलना की गयी और लोगो ने स्थानीय तौर पे खुद नमक बनाना और बेचना शुरु कर दिया। नमक सत्याग्रह एक अंहिसक आंदोलन था, जिसने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा और स्वतंत्र भारत के सपने को मजबूती प्रदान करने का कार्य किया।
- भारत छोड़ो आंदोलन
नमक सत्याग्रह की सफलता ने, अंग्रेजी हुकूमत की नीव को हिलाकर रख दिया था। अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए 8 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की गयी। यह द्वितीय विश्व युद्ध का समय था, और ब्रिटेन पहले से ही जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था। ऐसे समय में बापू के भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत के लिए मामले को और भी पेचीदा बना दिया।
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इस आंदोलन के कारण पूरे देश भर में कई नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरु हो गये और भारतीयों ने खुद को द्वितीय विश्व युद्ध से अलग करने की भी मांग शुरु कर दी। भारत छोड़ो आंदोलन का प्रभाव इतना ज्यादे था, कि अंग्रेजी सरकार को युद्ध समाप्त होने के बाद भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। एक प्रकार से भारत छोड़ो आंदोलन, भारत में ब्रिटिश राज के ताबूत में आखरी कील साबित हुआ।
महात्मा गाँधी के द्वारा शुरु किये गये आंदोलन पूर्ण रुप से अहिंसक थे और इनमें कभी भी किसी तरह के अस्त्र-शस्त्र का उपयोग नही हुआ। उनके आंदोलनो में सत्य और अहिंसा की शक्ति का प्रभाव इतना ज्यादे था कि इसने पूरे विश्व का ध्यान भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की ओर आकर्षित किया। इसके साथ ही इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के कठोर नीतियों और कानूनों से भी परिचित कराया।
निष्कर्ष
महात्मा गाँधी का मानना था कि हथियार और अहिंसा किसी भी समस्या का समाधान नही हो सकते है। इसके विपरीत यह समस्याओं को कम करने जगह और ज्यादे बढ़ा देते है, हिंसा लोगो में नफरत, भय और गुस्सा फैलाने का साधन है। उनका मानना था कि अहिंसा के मार्ग द्वारा हम बिना हथियार उठाये, अपने से ताकतवर शत्रुओं पर भी विजय पा सकते हैं।
स्वतंत्रता संघर्ष के अलावा आधुनिक भारत में ऐसी कई घटनाएं है, जो हमें अहिंसा का महत्व समझाती हैं और हमें यह बात बताती है कि आखिर कैसे बिना रक्त का एक कतरा बहाये भी समाज में कई बड़े परिवर्तन लाये जा सकते हैं। हम आशा कर सकते हैं कि वह दिन दूर नही जब संसार में किसी प्रकार की हिंसा नही होगी और हम हर समस्या को शांतिपूर्वक बिना किसी को कोई नुकसान पहुचाये तथा बिना रक्त की एक भी बूंद बहाये हल कर लेंगे और यही हमारे तरफ से महात्मा गाँधी को सच्ची श्रद्धांजली होगी।