JAC Class 10 History Chapter 5 | क्लास 10th मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर | mudran Sanskriti aur aadhunik Duniya subjective question answer class 10th JAC Board

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JAC Class 10 History Chapter 5 | क्लास 10th मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर | mudran Sanskriti aur aadhunik Duniya subjective question answer class 10th JAC Board




JAC Class 10 History Chapter 5 : आप सभी लोग झारखंड बोर्ड परीक्षा 2024 में देने वाले हैं आप कक्षा 10th सोशल साइंस इतिहास का 5 चैप्टर मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया का लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिया गया है बोर्ड परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर क्लास 10th का भी नीचे लिंक दिया गया है ,JAC बोर्ड क्लास 10th Hostory का सब्जेक्टिव क्वेश्चन ,जैक बोर्ड क्लास 10th इतिहास का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर इस पेज में दिया गया है|
मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

jharkhand board class 10th history ka subjective chapter 5
1.योहान गुटेनबर्ग कौन था?


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उत्तर :- योहान गुटेनबर्ग जर्मनी का एक बड़ा आविष्कारक था जिसने 1848 ईस्वी में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किया।
2. गुटेनबर्ग ने पहली पुस्तक कौन सी छापी?

उत्तर :- गुटेनबर्ग ने पहली पुस्तक बाइबिल प्रकाशित की। गुटेनबर्ग ने

बाइबल की 180 प्रतियां छापी थी।
3. प्लाटेन क्या है?

उत्तर :- लेटरप्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है, जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप ली जाती थी पहले यह बोर्ड काठ पर होता था, बाद में यह इस्पात का बनने लगा।
4. धर्म सुधार आंदोलन से क्या समझते हैं?

उत्तर :- यूरोप में धर्म सुधार आंदोलन के कारण नवीन प्रोटेस्टेंट धर्म र्क प्रसार से चिंतित होकर कैथोलिक धर्म के अनुयायियों ने कैथोलिक चर्च वा पोप शाही की शक्ति व अधिकारों को सुरक्षित करने और उनकी सत्ता को पुनः सुदृढ़ बनाने के लिए कैथोलिक चर्च और पोप के कार्यों में अनेक सुधार किए जिससे धर्म सुधार आंदोलन कहा जाता है।
5. फारसी में 19वीं शताब्दी में छपने वाले दो समाचार पत्रों के नाम लिखें।

उत्तर :-

i. जाम-ए-जहाँनामा

ii. शम्सुल अखबार
6. राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित दो समाचार पत्र कौन से थे?

राजा राममोहन राय ने दो समाचार पत्र संवाद कौमुदी (बांग्ला) तथा मिरातुल अकबर (फारसी) प्रकाशित किए। यह पत्र सामाजिक सुधारों का प्रचार करते थे।
7.गंगाधर द्वारा प्रकाशित दो पत्रिका कौन से थे?

उत्तर :- बाल गंगाधर द्वारा सप्ताहिक पत्रिका ‘केसरी’ मराठी में प्रकाशित की गई और दूसरी पत्रिका “मराठा” इंग्लिश में प्रकाशित की गई।
8 . मार्टिन लूथर कौन था?

उत्तर :- मार्टिन लूथर जर्मनी का एक महान धर्म सुधारक था। जिसने रोमन कैथोलिक धर्म का विरोध कर उनमें सुधार लाने के लिए धर्म सुधार आंदोलन चलाया।
9.कातिब किसे कहते हैं?

उत्तर :- हाथ से लिख कर पांडुलिपियों को तैयार करने वाले को कातिब या सुलेखक कहा जाता था।
10. शिलिंग सीरीज क्या थी?

उत्तर :- शिलिंग सीरीज वे पुस्तके थी जो सस्ती थी और जो 1920 के दशक में छापी गई, जिसे लोग आसानी से इन पुस्तकों को खरीद कर पढ़ सकते थे।
11. प्रेस की भूमिका बताएं।

उत्तर :- प्रेस एक शक्त माध्यम जो समाज को एकजुट रख सकता यह देश के एक भाग में होने वाली गतिविधियों को दूसरे भाग की गतिविधियों से जोड़ता है।
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12 . मुद्रण क्या है?

उत्तर :- मुद्रण का अर्थ है छापने की कला इसमें किताबें, पत्र-पत्रिकाएं. अखबार मशहूर तस्वीरों की नकले सरकारी सूचनाएं कैलेंडर, डायरी, विज्ञापनों आदि की छपाई शामिल है।
13. कितागावा उतामारो कौन था?

उत्तर :- कितागावा उतामारों 1753 ईस्वी में एदो (जापान) में पैदा हुए थे. जिन्होंने उकियो तैरती दुनिया का चित्र) नामक एक नई चित्रकला शैली में अहम योगदान दिया । जिनमें आम शहरी जीवन का चित्रण किया गया था।
14. मुद्रण की सबसे पहली तकनीक कहां विकसित हुई?

उत्तर :- मुद्रण की सबसे पहली तकनीक चीन, जापान और कोरिया में विकसित हुई। 594 ईसवी से चीन में स्याही लगे काठ के ब्लॉक या तख्ती पर कागज को रगड़ कर किताबें छापी जाने लगी।
15. यूरोप में मुद्रण कैसे आयी?

उत्तर :- पूरोप में मुद्रण का आगमन इटली के यात्री मार्कोपोलो के द्वारा में हुआ था। जो कई साल तक चीन में रहने के बाद सन 1295 ईस्वी मैं इटली लौटा। पहले यह कला इटली में और बाद में सारे यूरोप में फैल गई।
16. चैपबुक क्या थी?

उत्तर :- चैंप बुक शब्द पॉकेट बुक के आकार की किताबों के लिए प्रयोग किया जाता था। इन्हें आम तौर पर फेरीवाले बेचते थे । यह 16वी शताब्दी की मुद्रण क्रांति के समय से लोकप्रिय हुई।
17. 19वीं सदी में प्रिंटिंग प्रेस में क्या नए आविष्कार हुए?

उत्तर :- न्यूयॉर्क के रिचर्ड एम०हो० शक्ति चालित बेलनाकार प्रेस का आविष्कार कर लिया था जिसमें प्रति घंटे 8000 सीट छप सकती थी।

ii.उन्नीसवीं सदी के अंत तक ऑफसेट प्रेस आ गया था । जिसमें एक साथ छह रंग की छपाई मुमकिन थी।
18. गीत गाथा क्या है?

उत्तर :- लोकगीत या ऐतिहासिक आख्यान जिसे गाया या सुनाया जाता है।
19.वुडब्लॉक प्रिंटिंग या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई कारण दें।

उत्तर :-

i. 1295 ईस्वी में मार्कोपोलो नामक महान खोजी यात्री चीन में काफी साल बिताने के बाद इटली वापस लौटा।

iii. उसके बाद इतालवी भी तख्ती की छपाई से किताबें निकालने लगे और वह तकनीक बाकी देशों में फैल गई।

iv. 1295 तक यूरोप के कुलीन वर्ग, पादरी भिक्षु, छपाई वाली す पुस्तकों को धर्म के विरुद्ध और सस्ती मानते थे।
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20. मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की। कारण बताएं।

उत्तर :- धर्म सुधारक मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था, क्योंकि मुद्रण से धर्म सुधार आंदोलन के नए विचारों के प्रसार में मदद मिली। वह जानता था कि छापेखाने की तकनीक लोगों की शैक्षिक, वैज्ञानिक ज्ञान तथा तार्किक समझ के विस्तार में सहायक सिद्ध होगी। न्यू टेस्टामेंट लूथर के अनुसार अनुवाद की 5000 प्रतियां कुछ हफ्तों में बिक गई और 3 महीने में ही दूसरा संस्करण निकालना पड़ा। मुद्रण की प्रशंसा करते हुए लूथर ने कहा मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है सबसे बड़ा तोहफा ।”
21.रोमन कैथोलिक चर्च ने 16वीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित

उत्तर :- किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी कारण दें। उत्तर- छपे हुए लोकप्रिय साहित्य के बल पर कम शिक्षित लोग धर्म की अलग-अलग भाषाओं से परिचित हुए। उन किताबों के आधार पर उन्होंने बाइबल के नए अर्थ लगाने शुरू कर दिए तथा रोमन कैथोलिक चर्च की बहुत सी बातों का विरोध करने लगे। धर्म के बारे में ऐसी किताबों और चर्च पर उठाए जा रहे सवालों से परेशान रोमन चर्च ने प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं पर कई तरह की पाबंदियां लगाई और 1558 ईस्वी से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखने लगे।
22.महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) ने कहा कि “स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है” व्याख्या

उत्तर :- महात्मा गांधी ने स्वराज की लड़ाई को दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई कहा क्योंकि ब्रिटिश भारत की सरकार इन तीन आजादियों को दबाने की कोशिश कर रही थी। लोगों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति, पत्र-पत्रिकाओं की वास्तविकता को व्यक्त करने की आजादी और सामूहिक जनमत को बल प्रयोग व मनमानी कानूनों द्वारा दबाया जा रहा था इसलिए गांधीजी इन तीन आजादियों के लिए संघर्ष को ही स्वराज की लड़ाई कहा।
23. गुटेनबर्ग प्रेस पर टिप्पणी लिखें।

अथवा
योहान गुटेनबर्ग कौन था? मुद्रण इतिहास में उसकी भूमिका की चर्चा कीजिए।

उत्तर :- योहान गुटेनबर्ग जर्मनी में एक व्यापारी का बेटा था। वह बचपन से ही तेल और जैतून पेरने की मशीनें देखते आया था बाद में उसने पत्थर पर पॉलिश करने की कला सीखी और अंत में उसने शीशे की इक्षित आकृतियों को गढ़ने में महारत हासिल कर ली। अपने इस ज्ञान और अनुभव का प्रयोग करके उसने सन 1448 में एक मशीन का आविष्कार किया इसमें एक स्क्रू से लगा एक हैंडल होता था जिसे घुमाकर प्लांटेन को गीले कागज पर दबा दिया जाता था। गुटेनबर्ग ने रोमन वर्णमाला के तमाम 26 अक्षरों के लिए टाइप बनाएं और जुगत लगाई कि उन्हें इधर-उधर घुमा कर शब्द बनाया जा सके इसे मूलवेल टाइप प्रिंटिंग मशीन के नाम से जाना गया। इस मशीन से जो पहली किताब छपी वह बाइबिल थी जिसकी 180 प्रतियां बनाने में 3 वर्ष लगे इस तरह गुटेनबर्ग प्रेस मुद्रण और छपाई के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक था।
24.वर्नाक्यूलर या देसी प्रेस एक्ट पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर :-

i. वर्नाक्यूलर या देसी प्रेस एक्ट 1878 में लागू किया गया । 18 75 ईस्वी के विद्रोह के बाद ज्यों-ज्यों भाषाई समाचार पत्र राष्ट्रवाद के समर्थन में मुखर होते गए वैसे वैसे औपनिवेशिक सरकार में कड़े नियंत्रण के प्रस्ताव पर बहस तेज होने लगी और इसी का परिणाम था 1878 का वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट ।

ii. इस कानून से सरकार को भाषाई प्रेस में छपी रपट और संपादकीय को सेंसर करने का व्यापक अधिकार मिल गया।

iii. इस एक्ट के प्रभाव से सरकार उस दौरान राष्ट्रवादी हो चुके विभिन्न अखबारों पर अपना शिकंजा कसने लगी। सरकार विरोधी समाचार छापने पर अखबारों को चेतावनी मिलने लगी और अगर चेतावनी को अनदेखा किया जाता तो छपाई करने वाली मशीनों को जब्त किया जाने लगा।
25. 17 वीं सदी तक चीन में नगरीय संस्कृति में उछाल आया तो मुद्रण के लाभ विभिन्न रूपों में सामने आए। उदाहरण देकर स्पष्ट करें।

उत्तर :- मुद्रित सामग्री के उपभोक्ता सिर्फ विद्वान और अधिकारी ही नहीं रहे । व्यापारी अपने रोजमर्रा के कारोबार की जानकारी लेने के लिए मुद्रित सामग्री का प्रयोग करने लगे। पढ़ना अब एक मनोविनोद की गतिविधियां बनता जा रहा था. पाठक काल्पनिक किस्से, कविताएं आत्मकथाएं शास्त्रीय साहित्यिक कृतियों के संकलन और रूमानी नाटक पसंद करने लगे। अमीर महिलाओं ने भी पढ़ना शुरू कर दिया और कुछ ने तो अपनी लिखी किताब, कविता और नाटक भी प्रकाशित करवाए विद्वानों और अधिकारियों की पत्नियों ने अपना साहित्य छपवाया तथा वेश्याओं ने भी अपने जीवन के विषय में लिखना शुरू किया।
26.यूरोप में वुडब्लॉक विधि क्यों प्रचलित हुई?

अथवा
हस्तलिखित पांडुलिपियों में क्या कमियां थी?

i. हस्तलिखित पांडुलिपियों से बढ़ती हुई पुस्तकों की मांग कभी भी पूरी नहीं हो सकती थी।

ii. नकल उतारना बहुत खर्चीला, श्रम साध्य तथा समय लेने वाला व्यवसाय था।

iii.पांडुलिपियां प्रायः नाजुक होती थी और उनके लाने ले जाने रखरखाव में बहुत सी कठिनाइयां होती थी।

iv. 15 वीं सदी के प्रारंभ में यूरोप में बड़े पैमाने पर वुडब्लॉक की छपाई का प्रयोग करके ताश के पत्ते, कपड़े और छोटी-छोटी टिप्पणियों के साथ धार्मिक चित्र छापे जाते थे।
27. लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए कौन था?

उत्तर :- लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए 18 वीं सदी का एक फ्रांसीसी नाटककार तथा उपन्यासकार था। उसने घोषणा की कि “छापाखाना प्रगति का सबसे शक्तिशाली औजार है और इससे बन रही जनमत की आंधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा “। उसके अधिकतर उपन्यासों में नायक प्राय पुस्तकें पढ़ने से बदल जाते हैं। ज्ञानोदय लाने और निरंकुश वादी आधार को नष्ट करने में छापेखाने की भूमिका के विषय में वे कहते हैं हे निरंकुश वादी शासकों का कांपों लेखकों के आगे तुम हिल उठोगे कांपो ।”
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28.गुटेनबर्ग प्रेस के आविष्कार के बाद यूरोप में उत्पादित नयी पुस्तकों की प्रमुख विशेषताएं बताएं।

i.मुद्रित पुस्तक के रूप रेखा और साज-सज्जा में हस्तलिखित पांडुलिपियों से पूर्णता मेल खाती थी।

ii. धातुई अक्षर हाथ की सजावट शैली का अनुकरण करते थे।

iii. चित्र पर प्रायः रंगीन चित्र दिए जाते थे।

iv. हाशिए पर फूल पत्तियों की डिजाइन बनाई जाती थी।

v. अमीरों के लिए निर्मित पुस्तकों के छपे पृष्ठों पर हाशिये की जगह बेल बूटे के लिए खाली जगह छोड़ दी जाती थी।

vi. खरीदार अपनी सोच के अनुसार डिजाइन और रंग स्वयं तय करके उसे संवार सकते थे।
29. छपी किताब को लेकर हरैस्मस के विचार पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर :- छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार लातिन के विद्वान और कैथोलिक धर्म सुधारक इरैस्मस जिसने कैथोलिक धर्म की आलोचना की, पर मार्टिन लूथर से दूरी बनाकर रखी। इरैस्मस प्रिंट को लेकर बहुत परेशान थे और उसने लिखा किताबें मधु मक्खियों की तरह है दुनिया का कौन सा कोना है जहां यह नहीं पहुंच जाती। हो सकता है जहां-तहां एकाध जाने लायक चीजें भी बताए लेकिन इनका ज्यादा हिस्सा तो विद्वता के लिए हानिकारक है इनसे बचना चाहिए। इनकी तादाद ऐसी है कि मूल्यवान साहित्य का मूल्य भी नहीं रह जाता।
30.19वीं सदी में भारत में महिलाओं पर मुद्रण संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ?

उत्तर :-

i. 19वीं सदी भारत में मुद्रण संस्कृति के प्रसार का महिलाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ा महिलाओं के जीवन में परिवर्तन आया महिलाओं की जिंदगी और उनकी भावनाओं पर गंभीरता से पुस्तकें लिखी गई।

ii. मध्यवर्गीय घरों की महिलाएं पहले से ज्यादा पढ़ने लगी। 19वीं सदी के मध्य में छोटे-बड़े शहरों में स्कूल बने तो उदारवादी पिता और पति महिलाओं को पढ़ने के लिए भेजने लगे।

iii. कई पत्रिकाओं ने लेखिकाओं को जगह दी और उन्होंने नारी शिक्षा की जरूरत पर जोर दिया।

iv. महिलाओं में जागरूकता आई कट्टर रूढ़िवादी परिवार की रश सुंदरी देवी ने रसोई में छिपकर पढ़ना सीखा और आमार जीबन’ नामक आत्मकथा लिखी जो 1876 में प्रकाशित हुई।

v. 1860 ईस्वी के दशक में महिलाओं पर कैलाशबाशिनी देवी ने लिखा । 1880 के दशक में ताराबाई शिंदे और पंडिता रमाबाई ने उच्च जाति की महिलाओं की दयनीय स्थिति के बारे में लिखा।

vi. बीसवीं सदी तक महिलाओं के लिए मुद्रित और कभी-कभी संपादित पत्रिकाए लोकप्रिय हो गई। इस परिवर्तन के बाद महिलाएं फुर्सत के समय मनपसंद किताबें पढ़ने लगी थी।
31.19वीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ?

उत्तर :- 19वीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का गहरा असर हुआ जो इस प्रकार है-

i. भारत के शहरों में काफी सस्ती किताबें चौक चौराहों पर बेची जाने लगी थी जिसके कारण गरीब लोग भी बाजार से उन्हें खरीदने और पढ़ने लगे।

ii. 19वीं सदी के अंत तक जाति भेद के बारे में तरह-तरह की पुस्तिकाओं और निबंधों में लिखा जाने लगा था।

iii.19वीं सदी के उपन्यास लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का चित्रण प्रस्तुत करते थे।

iv. सस्ती पुस्तकों के प्रकाशन से गरीब पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई।

v. मराठी प्रणेता ज्योतिबा फुले ने अपनी लेख गुलामगिरी में जाति प्रथा के अत्याचारों पर लिखा।

vi.ऊंच-नीच, जाति प्रथा एवं धर्म पर लिखे जाने वाले लेख अब भारत की गरीब जनता पढ़ने लगी परिणाम स्वरूप स्थानीय विरोध आंदोलनों और संप्रदायों ने भी प्राचीन धर्म ग्रंथों की आलोचना करते हुए एक नए समाज का सपना बुनने लगे।
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32. 19वीं सदी में भारत में सुधारकों पर मुद्रण संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ?

उत्तर :-

i. समाज सुधारकों ने सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों को मुद्रण के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया।

ii. सुधारकों ने पत्र-पत्रिकाओं के द्वारा सती प्रथा, विधवा विवाह, बाल विवाह, मूर्ति पूजा, और जाति प्रथा को समाप्त करने हेतु लेख लिखे |

iii. सुधारक ज्योतिबा फुले ने गुलामगिरी में जाति प्रथा के अत्याचारों के बारे में लिखा।

iv. भीमराव अंबेडकर, ई वी रामास्वामी ने जाति प्रथा पर जोरदार ढंग से लिखा। जिसे पूरे भारत में पढ़ा गया।

v. महिलाओं की शिक्षा, विधवा विवाह और राष्ट्रीय मुद्दों पर लेख लिखकर सुधारकों ने लोगों में जनचेतना को जगाया।

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