Math 10th exercise 1.3

Welcome to Gurukul with Arya Gautam


वास्तविक संख्याएँ

Math Class Tenth hindi version एनसीईआरटी  के प्रश्नों के हल



  • Math 10th by exercise :-1.3

NCERT अभ्यास प्रश्नावली 1.3 - अपरिमेय संख्या

अपरिमेय संख्यां (Irrational Number)

संख्या जिसे pq के रूप में जहाँ p और q पूर्णांक हैं तथा q0 है, के रूप में नहीं लिखा जा सकता हो, अपरिमेय संख्या (Irrational Number) कहलाती हैं। उदारण के लिए - 23π, 0.101101110 . . . . , इत्यादि अपरिमेय संख्याएँ हैं।

प्रमेय (Theorem) 1.3: मान लिया कि p एक अभाज्य संख्या है। यदि pa2 को विभाजित करती है, तो pa को भी विभाजित करेगी जहाँ a एक धनात्मक पूर्णांक है।

उपपत्ति:

मान लिया कि a के अभाज्य गुणनखंड निम्नलिखित रूप के हैं:

a=p1,p2, . . . pn जहाँ p2,p2, . . . . , pn अभाज्य संख्याएँ हैं, परंतु आवश्यक रूप से भिन्न भिन्न नहीं है।

अत:, a2=(p1P2...pn)(p1P2...pn)

=p12p22...pn2

अब दिया गया है कि pa2 को विभाजित करती है। इसलिए, अंकगणित की आधारभूत प्रमेय के अनुसार; pa2 का एक अभाज्य गुणनखंड है। परंतु अंकगणित की आधारभूत प्रमेय की अद्वितीयता के गुण का प्रयोग करने पर, हम पाते हैं कि a2 के अभाज्य गुणनखंड केवल p1,p2,...,pn हैं।

अत:, p को p1,p1,...,pn में से ही के होना चाहिए।

अब, चूँकि a=p1p2...pn,

अत:, pa को अवश्य विभाजित करेगा।

प्रमेय (Theorem) 1.4 : 2 एक अपरिमेय संख्या है।

उपपत्ति:

हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि 2 एक परिमेय संख्या है।

अत: हम दो पूर्णांक r और s ऐसे ज्ञात कर सकते हैं कि 2=rs हो तथा s(0)

मान लीजिए कि r और s में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड है। तब हम इस उभयनिष्ठ गुणनखंड से r और s को विभाजित करके 2=ab प्राप्त कर सकते हैं, जहाँ a और b सह अभाज्य (co-prime) हैं।

अत:, b2=a हुआ।

दोनों पक्षों को वर्ग करने तथा पुनर्व्यवस्थित करने पर हमें प्राप्त होता है,

2b2=a2 -----(i).

अत: 2, a2 को विभाजित करता है।

अत: हम प्रमेय 1.3 द्वार 2, a को विभाजित करेगा।

अत: a=2c लिखा जा सकता है, जहाँ c कोई पूर्णांक है।

समीकरण (i) में a=2c रखने पर हम पाते हैं कि

2b2=4c2

b2=2c2

अर्थात 2, b2 को विभाजित करता है और इसलिए 2, b को भी विभाजित करेगा।

अत: a और b में कम से कम एक उभयनिष्ठ गुणनखंड 2 है।

परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि a और b में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभनिष्ठ गुणनखंड नहीं है।

यह विरोधाभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने त्रुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि 2 एक परिमेय संख्या है।

अत:, 2 एक अपरिमेय संख्या है।

परिमेय संख्या के कुछ गुण:

एक परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का योग या अंतर एक अपरिमेय संख्या होती है, तथा

एक शून्येतर परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल या भागफल एक अपरिमेय संख्या होती है।

एनoसीoइoआरoटीo अभ्यास प्रश्नावली 1.3 (NCERT Exercise 1.3)

बिहार बोर्ड प्रश्नावली 1.3 का हल

प्रश्न संख्या: 1. सिद्ध कीजिए कि 5 एक अपरिमेय संख्या है।

हल:

हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि 5 एक परिमेय संख्या है।

अत: हम दो पूर्णांक r और s ऐसे ज्ञात कर सकते हैं कि 5=rs हो तथा s(0) हो।

मान लिया कि r और s में, 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड है। तब हम इस उभनिष्ठ गुणनखंड से r और s को विभाजित करके 5=ab, प्राप्त कर सकते है, जहाँ a और b सहभाज्य (co-prime) हैं।

अत:, b5=a.

दोनों पक्षों को वर्ग कर पुनर्व्यवस्थित करने पर हम पाते हैं कि

5b2=a2 -----(i).

अत:, 5, a2 को विभाजित करता है।

अत: 5, a को विभाजित करेगा।

अत: हम a=5c लिख सकते है, जहाँ c कोई पूर्णांक है।

अब समीकरण (i) में a=5c प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैं कि

5b2=25c2

b2=5c2

इसका अर्थ है कि 5, b2 को विभाजित करता है इसलिए 5, b को भी विभाजित करेगा।

अत: a और b में कम से कम एक उभयनिष्ठ गुणनखंड 5 है।

परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि a और b में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है।

यह विरोधाभास जमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने एक त्रुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि 5 एक परिमेय संख्या है।

अत: 5 एक अपरिमेय संख्या है।

प्रश्न संख्या: 2. सिद्ध कीजिए कि 3+25 एक अपरिमेय संख्या है।

हल:

इसके विपरीत मान लिया कि 3+25 एक परिमेय संख्या है।

अत: हम ऐसी सहअभाज्य संख्याएँ a और b(b0) ज्ञात कर सकते हैं कि

3+25=ab हो।

25=ab-3

5=12(ab-3)

चूँकि a तथा b पूर्णांक हैं, इसलिए 12(ab-3) एक परिमेय संख्या है।

अत: 5 एक परिमेय संख्या है।

परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि 5 एक अपरिमेय संख्या है।

हमें यह विरोधाभास अपनी गलत कल्पना के कारण प्राप्त हुआ है कि 3+25 एक परिमेय संख्या है।

अत: यह सिद्ध करता है कि 3+25 एक अपरिमेय संख्या है।

प्रश्न संख्या: 3. सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित संख्याएँ अपरिमेय हैं :

(i) 12

हल:

इसके विपरीत हम मान लेते हैं कि 12 एक परिमेय संख्या है।

अत: हम ऐसी सहाभाज्य संख्याएँ a और b(b0) ज्ञात कर सकते हैं कि

12=ab हो।

2=ba

चूँकि a और b पूर्णांक हैं, इसलिए ba एक परिमेय संख्या होगी।

अत: 2 भी एक परिमेय संख्या होगी।

परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि 2 एक अपरिमेय संख्या है।

अत: हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 12 एक अपरिमेय संख्या है।

(ii) 75

हल:

इसके विपरीत मान लें कि 75 एक परिमेय संख्या है।

अत: हम ऐसी सहअभाज्य संख्याएँ a और b(b0) ज्ञात कर सकते हैं कि 75=ab हो।

अत:, 5=a(7b)

अब चूँकि 7,a तथा b पूर्णांक हैं, अत: a7b भी एक परिमेय संख्या होगी।

अत: 5 भी एक परिमेय संख्या होगी।

परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि 5 एक अपरिमेय संख्या है। ऐसा इसलिये कि हमारा assumption गलत था।

अत: हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 75 एक अपरिमेय संख्या है।

(iii) 6+2

हल:

इसके विपरीत यह मान लें कि 6+2 एक परिमेय संख्या है।

अत: हम ऐसी सहभाज्य संख्याएँ a और b(b0) ज्ञात कर सकते हैं कि

6+2=ab हों।

2=ab-6

चूँकि a और b पूर्णांक हैं, इसलिए ab?6 भी एक परिमेय संख्या है। अर्थात 2 भी एक परिमेय संख्या है।

परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि 2 एक अपरिमेय संख्या है। यह विरोधाभास हमें अपनी गलत कल्पना के कारण प्राप्त होता है कि 6+2 एक परिमेय संख्या है।

अत: हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 6+2 एक अपरिमेय संख्या है।

Post a Comment

Previous Post Next Post