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(i) योग्य नेतृत्व का अभाव : विद्रोही नेता साहसी, वीर होते हुए भी अपने संघर्ष को संगठित और योजनाबद्ध स्वरूप नहीं दे सके।
ये व्यवस्था विजयनगर साम्राज्य से सम्बन्ध है। आयंगर व्यवस्था के अनुसार , प्रत्येक ग्राम को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में संगठित क्या जाता था। इस पर 12 व्यक्ति मिलकर शासन करते थे। इन्हें वेतन के बदले कर मुक्त भूमि दी जाती थी
history subjective question 2021 part - 2 | History subjective question class 12
history subjective question in Hindi for board exam 2021, all the important subjective question covered in this post for 2021 board exam
ques. 1 - पुरातत्व से आप क्या समझते है ?
पुरातत्व ऐसा विज्ञान को कहते है, जिसके माध्यम से पृथ्वी के गर्भ में छिपी हुई सामग्रियों की खुदाई कर अतीत के लोगों के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। किसी भी जाति की सभ्यता के इतिहास का ज्ञान प्राप्त करने में पुरातत्व एक प्रमुख साधन के रूप में है। पुरातात्विक सामग्री के आधार पर ही सिन्धुघाटी सभ्यता की कहानी लिखी गई है।ques. 2 - कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखे।
अर्थशास्त्र नामक सुप्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना चाणक्य ने की थी, जिन्हें कि कौटिल्य अथवा विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। इस सुप्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय विद्वान प्रारम्भ से ही न केवल आध्यात्मिक प्रश्नों पर विचार करते आये हैं बल्कि उन्होंने भौतिक विषयों पर भी विचार किया है। इस ग्रन्थ की तुलना मैकियावेली के ग्रन्थ 'दि प्रिंस' से की जाती है। कौटिल्य को भारत का मैकियावेली भी कहा जाता है।ques. 3 - त्रिपिटक के आप क्या जानते है ?
बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं का संकलन तीन पिटकों सुतपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटक में किया। इन्हें ही संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है। जो इन तीनों पिटकों का ज्ञाता होता है उसे त्रिपिटकाचार्य कहा जाता है।ques. 4 - प्राचीन भारत में वर्णव्यवस्था पर प्रकाश डालें।
ऋग्वेद के पुरुष सुक्त तथ महाभारत के शांति पर्व से जानकारी मिलती है कि ब्रह्मा (विराट पुरुष) के मुख से ब्राह्मण, बाहु से क्षत्रिय, जंघा से वैश्य तथा पैरों से शूद्र वर्ण की उत्पत्ति हुई। प्रारम्भ में चातुर्वण्य व्यवस्था का आधार कर्म था। ब्राह्मण का कार्य कर्मकाण्ड सम्पन्न कराना था। राजा क्षत्रिय होता था, जिसका कार्य रक्षा करना था। वैश्य का कार्य व्यापार था। इन तीनों वर्गों को सम्मिलित रूप से द्विज कहा जाता था। शूद्र वर्ण का कार्य इन तीनों वर्गों की सेवा करना था। कालान्तर में यह व्यवस्था कर्म के स्थान पर जन्म पर आधारित हो गयी।ques. 5 - दहशाला पध्दति क्या थी और इसको कब स्थापित किया गया ?
अकबर के शासनकाल में राजा टोडरमल ने राज्य की समस्त भूमि को नपवा कर उपज के आधार पर बाँटकर लगान निश्चित की। यह व्यवस्था दस वर्ष के लिए की गई थी, अतः इसे दहसाला पद्धति कहते हैं। यह व्यवस्था सर्वप्रथम गुजरात में सन् 1573 ई० में तथा सम्पूर्ण साम्राज्य में सन् 1579-80 ई० में स्थापित की गई।ques. 6 - किताब-उल-हिन्द पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
अरबी में अलबरूनी द्वारा लिखी गई यह पुस्तक कुल 80 अध्यायों में विभक्त है। इस पुस्तक में अनेक महान व्यक्तियों, दार्शनिकों एवं वैज्ञानिकों के विषय में लिखा गया है। यह एक विशाल ग्रन्थ है, जिसमें भारतीय धर्म, दर्शन, त्योहार, खगोल विद्या, रीति-रिवाज, परम्पराओं, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन, माप-तौल की विधियाँ, मूर्तिकला, कानून, प्रान्तों की सीमाओं, नदियों आदि की जानकारी मिलती है। इसके 80 अध्यायों में से अधिकांश नक्षत्र विद्या विषय की विषय वस्तु पर आधारित है। इसके 9वें अध्याय में जाति-प्रथा एवं वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डाला है। 64वें अध्याय में जातियों के अनुष्ठानों एवं रीति-रिवाजों का वर्णन है। 69वें अध्याय में भारतीय स्त्रियों की स्थिति का वर्णन है।ques. 7 - उपनिवेश वाद से आप क्या समझते है ?
उपनिवेशवाद का अर्थ है किसी समृद्ध एवं शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा अपने विभिन्न प्रकार के हितों को साधने के लिए किसी निर्बल किन्तु प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राष्ट्र के विभिन्न संसाधनों का शक्ति के बल पर उपभोग करना। उपनिवेशवाद में उपनिवेश की जनता शक्तिशाली विदेशी राष्ट्र द्वारा शासित होती है। वस्तुतः किसी शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा निहित स्वार्थवश किसी निर्बल राष्ट्र के शोषण को उपनिवेशवाद कहते हैं।ques. 8 - रैयतवाड़ी व्यवस्था का परिचय दें।
भूराजस्व की यह व्यवस्था 1812 में मद्रास और बंबई में स्थापित की गयी। इस व्यवस्था की मुख्य विशेषता किसान और सरकार के मध्य बिचौलियों का अभाव था। किसान को ही भू-स्वामी मानकर उसके साथ लगान तय किया गया। किसान को अपनी उपज का 1/2 भाग लगान के रूप में देना था। सरकार इस अनुपात में वृद्धि भी कर सकती थी। किसान लगान नहीं चुकाने की स्थिति में जमीन छोड़ सकता था या इसे बेचकर, गिरवी रखकर लगान चुका सकता था। इस व्यवस्था का कृषि और कृषकों पर बुरा प्रभाव पड़ा।ques. 9 - 1857 के विद्रोह की असफलता के कारणों के का उल्लेख करें।
1857 के विद्रोह की असफलता के निम्न कारण थे
(i) योग्य नेतृत्व का अभाव : विद्रोही नेता साहसी, वीर होते हुए भी अपने संघर्ष को संगठित और योजनाबद्ध स्वरूप नहीं दे सके।
(ii) देशी नरेशों द्वारा अंग्रेजों को सहायता : देशी नरेश विद्रोहियों को साथ देने के बजाय अंग्रेजों का साथ दिया, जैसे-सिंधिया होल्कर, निजाम आदि ।
(iii) विद्रोहियों के सीमित साधन : विद्रोहियों के पास अंग्रेजों के मुकाबले धन, अस्त्रशस्त्र का अभाव था।
ques. 9 - आयंगर व्यवस्था से आप क्या समझते है ?
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Arts class 12th