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12th history subjective question 2021 | History subjective question class 12
12h history subjective question in Hindi for board exam 2021, all the important subjective question covered in this post for 2021 board exam
ques.1 - हड़प्पा सभ्यता के नगर योजना का वर्णन करें।
हड़प्पा सभ्यता एक शहरी सभ्यता थी, क्योंकि यहाँ से एक नियोजित शहर के अवशेष प्राप्त हुए हैं, जो तत्कालीन विश्व में कहीं नहीं थी। पूरा हड़प्पा नगर स्थल दो भागों में ऊपरी और नीचली नगर क्षेत्र में बँटा हुआ था। ऊपरी अथवा गढ़ी के क्षेत्र में प्रशासकीय भवन के अवशेष मिले हैं और नीचला नगर क्षेत्र में आवासीय भवन के अवशेष मिले हैं। हड़प्पा नगर स्थल पर मिले सड़कों; गलियों, अवासीय भवन, नालियों, स्नानागार, अन्नागार आदि के अवशेषों ने एक आधुनिक नगर की ओर ईशारा करती है।
ques.2 - गोपूरम से आप क्या समझते है ?
गोपूरम मंदिरों के प्रवेश द्वार को कहा जाता है। विजयनगर शासकों ने मंदिरों में गोपूरम का निर्माण कराया। ये अत्यधिक विशाल एवं ऊँचे होते थे। ये संभवतः सम्राट की ताकत की याद दिलाते थे जो ऊँची मीनार बनाने में सक्षम थे।
ques.3 - अकबर के नवरत्नों के नाम बताये।
अकबर के दरबार में विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञ थे जिन्हें अकबर के दरबार के नौ रत्न कहा जाता था। इन नौ रत्नों के नाम इस प्रकार
(i) अब्दुल रहीम खान-ए-खाना, (ii) हकीमहुकाम, (iii) मुल्ला दो प्याजा, (iv) अबुल फजल, (v) फैजी, (vi) तानसेन, (vii) राजा मानसिंह, (viii) टोडरमल, (ix) बीरबल ।
ques.4 - हड़प्पा सभ्यता के चार प्रमुख नगरों के नाम लिखिए।
हड़प्पा सभ्यता के चार प्रमुख नगरों के नाम है- (i) चंहुदड़ों, लोथल (गुजरात), कालीबंगा (राजस्थान) और बनवाली है।
ques.5 - मुगलकालीन हराम के बारे में आप क्या जानते है ?
मुगलकाल में हरम मुगलों के घरेलू संसार का प्रतीक था। इसमें बादशाह की पत्नियाँ, उपपत्नियाँ, उनके नजदीकी व दूर के रिश्तेदार (माँ, उपमाता, बहन, पुत्री, भतीजी, भांजी, बहू, चाची, बुआ एवं मौसी आदि) दासी इत्यादि सभी रहते थे। जो स्त्रियाँ मुगल परिवार में शाही खानदान से आती थीं, उन्हें बेगम कहा जाता था। जिन स्त्रियों का जन्म कुलीन परिवार में नहीं हुआ था, वे अगहा कहलाती थीं। बेगम का स्थान सबसे ऊँचा था। पदानुक्रम के अनुसार सभी को नगद मासिक भत्ता व उपहार मिलते थे। बादशाह नियमित रूप से हरम में आराम के लिये जाता था।
ques.6 - साहजहां के काल में संगीत कला का वर्णन करे।
शाहजहाँ संगीत कला से बेहद प्यार करता था। वह दरबार में संगीतज्ञों का आश्रय देता था। वह स्वयं भी अच्छा गायक था। उसके कालों में ही संगीत कला ने अच्छा स्थान प्राप्त कर लिया था। उसके दरबार में प्रसिद्ध कवि तथा संगीतकार रहते थे। इसमें प्रमुख नाम रामदास, दीरंग खाँ, जगन्नाथ, लाल खाँ भावमदू, महापात्र आदि हैं।
ques.7 - मुगलकालीन में महिलाओं की स्थिति का वर्णन करें।
मुगलकाल में स्त्रियों की दशा काफी खराब थी। उन्हें पुरुषों के बराबर नहीं समझा जाता था। कुलीन वर्ग में स्त्रियाँ केवल भोग-विलास के लिए ही थी। इन्हें स्वतंत्रता नहीं थी तथा पर्दा प्रथा प्रचलित थी। बाल विवाह, बहु-पत्नीत्व, सती प्रथा, पुत्रियों की बाल हत्या आदि कुरीतियाँ प्रचलित थीं। स्त्री केवल माँ के रूप में पूज्यनीय थी। देवदासी प्रथा प्रचलित थी। निम्नवर्ग की स्त्रियाँ बाहर भी कार्य किया करती थीं। स्त्रियाँ व्यवसाय तथा वेश्यावृति भी करती थी।ques.8 - तख़्त - ए - ताऊस पाए टिप्पणी लिखें।
अपने दरबार की शान-शौकत बढ़ाने के उद्देश्य से शाहजहाँ बेवादलखाँ की देख-रेख में एक सिंहासन बनवाया। यह सिंहासन सोने का बना हुआ था तथा इसमें हीरे, जवाहरात, पन्ने, मोती, लाल आदि बहुमूल्य चीजें जड़ी हुई थी। इसे मयुर सिंहासन या तख्त-ए-ताउस कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे देखकर आँखें चकाचौध हो जाती थी। फारस का शाह नादिरशाह इसको अपने साथ फारस ले गया पर दुर्भाग्य से यह आज कहीं भी प्राप्य नहीं है।
ques.9 - आइन -ए - अकबरी में भूमि को कितने भागो में बाटा गया।
आईन-ए-अकबरी में भूमि का वर्गीकरण-खेती योग्य समस्त भूमि को चार भागों में बाँटा गया था जिनमें दो हैं.
(a) पोलज — यह सबसे उत्तम कोटि की भूमि थी जिसमें प्रतिवर्ष खेती की जाती थी।
(b) पड़ौती — इसमें एक वर्ष के अन्तराल पर खेती होती थी।
(b) पड़ौती — इसमें एक वर्ष के अन्तराल पर खेती होती थी।
ques.10 - सूफीवाद से आप क्या समझते है ?
सूफी शब्द साधारणतः किसी मुस्लिम संत या दरवेश के लिए प्रयोग किया जाता है। इस शब्द की उत्पत्ति सफा (पवित्र) शब्द से हुई अर्थात् ईश्वर का ऐसा भक्त जो सभी सांसारिक बुराइयों से मुक्त हो। कुछ लेखकों ने सूफी शब्द को सफा (दर्जा) से जोड़ा जाता है अर्थात् ऐसा व्यक्ति जो आध्यात्मिक रूप से भगवान के साथ पहले दर्जे का संबंध रखता हो। सूफी मत के मूल सिद्धांत कुरान और हजरत मुहम्मद की हदीश में मिलते हैं। वे हजरत मुहम्मद साहिब को अपना अवतार मानते थे और कुरान में पूरा विश्वास रखते थे।