Class 10th chapter 03 जीव जनन कैसे करते हैं Subjective

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Class 10th  chapter 03 जीव जनन कैसे करते हैं  Subjective 

जीव जनन कैसे करते हैं :- इस Post में मैट्रिक परीक्षा 2026 के लिए जीव विज्ञान का जीव जनन कैसे करते हैं से संबंधित महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न दिया गया है जो मैट्रिक परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है तो आप सभी लोग इस पोस्ट को शुरू से अंत तक पढ़े| Jeev Janan kaise karte hain subject question class 10th | जीव जनन कैसे करते हैं Subjective Question | Class 10th Biology Jeev Janan kaise karte hain


[1] द्विखंडन एवं बहुखंडन में अंतर बताइएँ।

उत्तर – द्विखंडन एवं बहुखंडन में अंतर इस प्रकार है।

द्विखंडन :-

(i) द्विखंडन कि वह विधि जिसमें दो समान संतति निर्माण करते हैं।

(ii) यह हमेशा अनुकूलन वातावरण में होता है।

(iii) इसमें जनक जीव का कोई भी मात्रा नष्ट नहीं होता है।

बहुखंडन :-

(i) विखंडन कि वह विधि जिसमें अनेक समान संतति का निर्माण होता है।

(ii) यह प्रतिकूल वातावरण में भी होता है।

(iii) इसमें जनक का कोशिकाद्रव्य झिल्ली नष्ट हो जाता है।

[2] एक कोशिका एवं बहुकोशिक जीवो की जनन पद्धति में क्या अंतर है ?

उत्तर – एक कोशिकीय जीव अधिकतर विखंडन मुकुलन पुनरुद्भवन बहू खंडन आदि विधियों से जनन करते हैं। इनमें सिर्फ एक कोशिका ही होता है। वे सरलता से कोशिका विभाजन के द्वारा तेजी से जनन कर सकते हैं। बहुकोशिकीय जीवो में जनन क्रिया जटिल होती है और वे मुख्य रूप से लैंगिक जनन क्रिया ही होती है।

[3] मुकुलन क्या है ?

उत्तर – मुकुलन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है जिसमें जीवो की उत्पत्ति जनक के शरीर के धरातल से कलिका फूटने या प्रवर्ध निकलने के फलस्वरुप होता है
इस प्रक्रिया में जीव शरीर के किसी भाग से एक या एक से अधिक कंदरुपी उभार निकलता है। जिसे मुकुल या बड कहते हैं। उसके बाद जनक कोशिका केंद्रक मुकुल में पहुंच जाता है। केंद्रकयुक्त मुकुल जनक के शरीर से अलग होकर नए जीव का निर्माण करता है।

[4] कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें। यह किन पौधों में करते हैं ?

उत्तर – कायिक पादप शरीर का कोई भी कायिक या वर्धी भाग जैसे — (जड़, तना, पत्ती ) विलग और परिवर्द्धित होकर नए पौधों का निर्माण करते हैं, कायिक प्रवर्धन कहलाता है। कायिक प्रवर्धन मुख्यतः गुलाब, आलू , ब्रायोफाइलम आदि में किया जाता है।

Jeev janan kaise karte hain subjective question


[5] एकलिंगी तथा द्विलिंगी की परिभाषा एक-एक उदाहरण देकर कीजिए।

उत्तर – एकलिंगी — वे जीव जीनमें नर और मादा स्पष्ट रूप से अलग-अलग हो उन्हें एकलिंगी जीव कहते हैं उदाहरण — मनुष्य।

द्विलिंगी — वे जीव जीनमें नर और मादा लिंग एक साथ उपस्थित होते हैं उन्हें द्विलिंगी कहते हैं। उदाहरण — केंचुआ।

[6] पौधों में लैंगिक जनन के लिए कौन सा भाग उत्तरदाई है ?

उत्तर – पौधों में लैंगिक जनन के लिए पुष्प उत्तरदाई होता है। पुष्प के 4 भाग होते हैं , जिस में नर जनन अंग तथा मादा जनन अंग दोनों पाए जाते हैं। नर जनन अंग को पशुंग तथा मादा जनन अंग को जायांग कहते हैं।

[7] परागण क्रिया निषेचन क्रिया से किस प्रकार भिन्न है ?

उत्तर – परागकणों के परागकोश से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के दूसरे पुष्पों के वर्तिकाग्र तक पहुंचने की क्रिया को परागण कहते हैं।
निषेचन के अंतर्गत परागकणों के वर्तिकाग्र तक पहुंचने के बाद निषेचन की क्रिया होती है। नर युग्मक और मादा युग्मक के संगलन को निषेचन कहा जाता है।

[8] लैंगिक जनन संचारित रोगों के बारे में लिखें।

उत्तर – लैंगिक जनन संचारित रोग यौन संबंध से होने वाले संक्रामक रोग को कहा जाता है। यह रोग कई तरह के रोगाणुओं जैसे — बैक्टीरिया, वायरस , परजीवी , प्रोटोजोआ , यीस्ट जैसे सूक्ष्म जीवों द्वारा होते हैं। मनुष्य में होने वाले ऐसे प्रमुख रोग निम्नलिखित है —

बैक्टीरिया जनित रोग — गोनोरिया , सिफलिस , यूरेथ्राइटिस , तथा सर्विसाइटिस बैक्टीरिया के संक्रमण से होने वाले कुछ प्रमुख रोग है।

वायरस जनित रोग — सर्विक्स कैंसर , हर्पिस तथा एड्स , इत्यादि।

प्रोटोजोआ जनित रोग – स्त्रियो के मूत्रजनन नलिकाओं , एक प्रकार के प्रोटोजोआ के संक्रमण से होने वाला रोग ट्राइकोमोनिएसिस है।

[9] द्विलिंगी जीव कौन से होते हैं उदाहरण लिखें।

उत्तर – वे जीव जिनमें नर तथा मादा दोनों अंग होते हैं तथा वे नर तथा मादा दोनों प्रकार के युग्मों को उत्पन्न करते हैं वहीं लूंगी उभयलिंगी अथवा द्विलिंगी जीव कहलाते हैं। जैसे — केंचुआ।

[10] परागण से क्या समझते हैं? परागण कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर – नर जनन अंग से परागकण का गमन मादा जनन अंग पर होना परागण कहलाता है। इसमें कीड़े , जानवर, हवा तथा पानी सहायक होते हैं। परागण दो प्रकार के होते हैं — (i) स्वपरागण (ii) परपरागण

[11] ऋतुस्त्राव क्यों होता है ?

उत्तर – यदि अंडकोशिका का निषेचन नहीं हो तो लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। गर्भाशय भी प्रतिमाह निषेचित एंड की प्राप्ति हेतु तैयारी करता है।
अतः इसकी अंतः भित्ति मांसल एवं स्पाॅनजी हो जाती है जो कि अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। परंतु निषेचन न होने की अवस्था में रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है तथा इसे ऋतुस्त्राव या रजोधर्म कहते हैं।

Matric exam Biology subjective questions Jeev janan kaise karte hain


[12] मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?

उत्तर – मानव वृषण के मुख्य कार्य निम्नलिखित है —

(i) वृषण में शुक्राणु उत्पन्न होते हैं जो लैंगिक जनन क्रिया में सक्रिय भाग लेकर भावी पीढ़ी को जन्म देने में सहायक होते हैं।
(ii) वृषण में उत्पन्न हार्मोन जीसे टैस्टोस्टीरोन कहते हैं, मानव शरीर में द्वितीयक जनन लक्षणों को स्थापित करने के लिए उत्तरदाई होता है।

[13] बहुखंडन किसे कहते हैं ?

उत्तर – एक कोशिकीय जीवों में कोशिका विभाजन द्वारा नए जीव की उत्पत्ति होती है इसमें कोशिका अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं। जैसे — मलेरिया, परजीवी, प्लैज्मोडियम।

[14] मासिक चक्र कब और क्यों होता है ?

उत्तर – जब परिपक्व अंडाणु , शुक्राणु में संयोजन नहीं कर पाता है , तो टूट जाता है , जिसके साथ आंतरिक दीवार एवं अन्य उत्सर्जी पदार्थ बाहर निकलते हैं , इसे मासिक चक्र कहते हैं। यह 28 दिनों के अंतराल पर होता है।

[15] एक प्ररूपी पुष्प के सहायक अंग एवं आवश्यक अंग में क्या भिन्नता है ?

उत्तर – एक प्ररूपी पुष्प के चार प्रकार के पुष्पपत्र होते हैं —

(i) बाह्मदलपुंज , (ii) दलपुंज , (iii) पुमंग , (iv) जायांग

इनमें से दो बाहरी चक्रों यानी बाह्मदलपुंज एवं दलपुंज को सहायक अंग एवं भीतरी दो चक्रों यानी पुमंग और जायांग को आवश्यक अंग कहा जाता है। सहायक अंग फूल को आकर्षक बनाने के साथ आवश्यक अंगों की रक्षा भी करते हैं। तथा आवश्यक अंग जनन का कार्य करते हैं। इनमें सही भिन्नता है

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[16] जीवो में विभिन्नता स्पीशीज के लिए ही लाभदायक है, परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है क्यों ?

उत्तर – जीवो में पाई जानेवाली विभिन्नता, नई जाति के प्रादुर्भाव में मदद करता है। नए वातावरण एवं प्रतिकूल परिस्थिति में स्थायित्व कायम रखता है। यह विभिनता व्यष्टि के लिए लाभदायक नहीं होती है। क्योंकि किसी निश्चित स्थान पर प्राकृतिक आपदाएं इसे नष्ट कर देती है।

[17] परागण क्या है ? परागण में कीटों की क्या भूमिका होती है ?

उत्तर – परागकोष से परागकणों का प्रकीर्णन वर्तिकाग्र तक होने की प्रक्रिया को परागण कहते हैं। कीटों के द्वारा पर – परागण की क्रिया होती है।

[18] D.N.A की प्राकृतिक बनाना जनन के लिए क्यों आवश्यक है ?

उत्तर – एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अनुवांशिक गुणों का वाहक क्रोमोसोम होता है जो D.N.A से बनता है। अतः इसकी प्रकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है

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