Class 10th Science physics Subjective Notes PDF in Hindi | दसवी विज्ञानं भौतकी की नोट्स पीडीऍफ़
Hello Friend
I Am Arya Gautam
From – www.gurukulagr.blodspot.com
प्रिय विद्यार्थियों नोट्स केवल प्रश्नों एवं उत्तरों का समूह नही है बल्कि यह एक अनुभव का समूह है जिसे आपको उपहार स्वरुप प्रदान किया जा रहा है ताकि आप 2025 में होने वाले परीक्षा में बेहतर रिजल्ट मार्क्स लाए और अपने जीवन को एक नई दिशा दे.
यहाँ आपकों भौतकी विज्ञान (physics), रसायन विज्ञान (Chemistry) और जीव विज्ञान (Biology) के अलग –अलग Subjective Question के साथ Answe भी दिया जा रहा हैं |
प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन | Question Answer 2025 Prakash Ka Pravartan Tatha Apvartan Subjective
SCIENCEPHYSICS SUBJECTIVESUBJECTIVE QUESTIONS
By Arya Gautam sir (7903268149)
प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
Prakash ka Pravartan Tatha Apvartan : क्लास 10th विज्ञान का पहला चैप्टर प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन का महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर नीचे दिया गया है। जो मैट्रिक परीक्षा 2024-25 के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तथा प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन भी इस वेबसाइट पर उपलब्ध है। जहां से आप ऑब्जेक्टिव का तैयारी कर सकते हैं ।
1. प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन SUBJECTIVE
1. क्रांतिक कोण (Critical Angle) किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो वह अभिलंब से परे हटती है अर्थात् विरल माध्यम में बना अपवर्तित कोण (∠r) सघन माध्यम में बने आपतित कोण (∠i) से बड़ा होता है। यदि विरल माध्यम में बना अपवर्तित कोण एक समकोण के समान हो जाए तो इसके सापेक्ष सघन माध्यम में बना आपतित कोण, क्रांतिक कोण कहलाता है।
2 . पैरिस्कोप किसे कहते हैं इसके क्या उपयोग हैं ?
उत्तर ⇒ पैरिस्कोप एक यंत्र है जिसके द्वारा हम अपने में छिपी हुई वस्तुओं को देख सकते हैं। सैनिक खाइयों में छिपकर मैदानों- पहाड़ों को देख सकते हैं और पनडुब्बियों में बैठे सैनिकों, समुद्र तल का पर्यवेक्षण कर सकते हैं। किसी धुंध वाले दिन अवरक्त फोटोग्राफी भी इसकी सहायता से की जा सकती है। पैरिस्कोप समतल दर्पणों की सहायता से बनाए जा सकते हैं जो प्रकाश के परावर्तन-सिद्धांत पर कार्य करते हैं। उच्च कोटि के पैरिस्कोप में प्रिज्मों का प्रयोग किया जाता है।
3 . समतल दर्पण में बनने वाले प्रतिबिंब की विशेषताएँ लिखिए !
उत्तर ⇒ समतल दर्पण के सामने जितनी दूरी पर कोई वस्तु हो उसका बिंब उतना ही पीछे बनता है। समतल दर्पण में किसी वस्तु के पूरे बिंब को देखने के लिए दर्पण का आकार में उससे आधा होना आवश्यक होता है।
4 .अवतल दर्पणों के उपयोग लिखिए।
उत्तर ⇒ अवतल दर्पण के निम्न उपयोग हैं।
(i) बड़े आकार के अवतल दर्पणों का प्रयोग और ऊर्जा के लिए किया जाता है।
(ii) इनका प्रयोग वाहनों की हैडलाइट्स, लैपों, सर्चलाइट, टार्च आदि बनाने में किया जाता है।
(iii) शेविंग दर्पणों को बनाने में इनका प्रयोग किया जाता है।
(iv) दंत चिकित्सक तथा विशेषज्ञ रोगी का परीक्षण करने के लिए इनका प्रयोग करते हैं।
5. प्रकाश का अपवर्तन क्या है ? इसके नियमों को लिखें।
उत्तर ⇒ प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम हैं-
(i) आपतित किरण,अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
(ii) जब एक ही रंग के प्रकाश की किरण किन्हीं दो माध्यमों के सीमा तल पर तिरछी आपतित होती है तो आपतन कोण (i) की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण (r) की ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता है । इस नियम को स्नैल का नियम भी कहते
6 . समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आर्वधन +1 है, इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर ⇒ एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आर्वधन +1 होने का अर्थ है कि समतल दर्पण के द्वारा जिस वस्तु का प्रतिबिम्ब बन रहा है, उस वस्तु का साइज दर्पण (समतल) द्वारा बनाए गए प्रतिबिम्ब के साइज के बराबर है। धनात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिम्ब सीधा तथा आभासी है।
7 . उत्तल लेस के दो उपयोग को बताएँ !
उत्तर ⇒ उत्तल लेंस का दो उपयोग इस प्रकार हैं-
(i) नेत्र से दूर-दृष्टि दोष को सुधारने में
(ii) छपाई के छोटे-छोटे अक्षरों के पढ़ने में होता है।
8. प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं ? इसके नियमों को लिखें ।
उत्तर ⇒ जब प्रकाश किसी पॉलिश की हुई या चमकदार सतह पर पड़ता है तो यह एक सुनिश्चित दिशा में विस्तारित होता है। किसी पॉलिश की हुई सतह से प्रकाश का एक सुनिश्चित रूप से दिशा बदलने की परिघटना को परावर्तन कहते हैं।
प्रकाश के परावर्तन के दो नियम हैं –
(i) आपतित किरण दर्पण के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण एक ही तल में होते हैं।
(ii) परावर्तन कोण सदैव आपतन कोण के बराबर होता है।
9 . दिए गये उत्तल लेंस, अवतल लेंस एवं काँच की एक वृत्ताकार। पटिका के सतहों को छुए बिना उनकी पहचान कैसे करेंगे ?
उत्तर ⇒ उत्तल लेंस, अवतल लेंस तथा काँच की पट्टिका को मुद्रित अक्षरों के ऊपर रखकर उठाने से यदि अक्षरों का आकार बढ़ता हुआ दिखाई दे तो वह उत्तल लेंस होगा और यदि अक्षरों का आकार छोटा दिखाई दे तो वह अवतल लेंस होगा। और यदि अक्षरों का आकार समान रहे तो वह काँच की वृत्ताकार पट्टिका होगी।
10. हमें वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं ?
उत्तर ⇒ उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में इसलिए वरीयता देते हैं। क्योंकि वे सदैव सीधा प्रतिबिम्ब बनाते हैं। इनका दृष्टि क्षेत्र भी बहुत अधिक है। क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं।
11. उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस क्यों कहा जाता है?
उत्तर ⇒ उत्तल लेंस के द्वारा आपतित समांतर किरणे अपवर्तन के फलस्वरूप | एक बिंदु पर मिलती हैं। यानी, उत्तल लेंस प्रकाश के समांतर किरणों को अभिसरित | करता है। अतः उत्तल लेंस को इसी गुण के कारण अभिसारी लेंस कहते हैं।
12 . उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में अंतर लिखिए।
अवतल दर्पण
1. इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल अंदर धंसा होता है।
2. इसमें वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार के प्रतिबिंब बनते हैं।
3. इसमें प्रतिबिंब उल्टा और सीधा दोनों बनते हैं।
4. इसमें प्रतिबिंब बड़ा, छोटा तथा वस्तु के आकार का, तीनों प्रकार का बनता है ?
उत्तल दर्पण
1. इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल बाहर को उभरा होता है।
2. इसमें आभासी प्रतिबिंब बनता है।
3. इसमें सीधा प्रतिबिंब बनता है
4. इसमें प्रतिबिंब छोटा बनता है
13. उतल लेंस और अवतल लेंस में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तल लेंस
1. बीच में से मोटा तथा किनारों से पतला होता है।
2 अक्षर बड़े आकार के दिखाई देते हैं।
3. प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर केंद्रित करता है।
4. वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक, आभासी तथा उल्टा बनता है।
5. लेंस को बायीं तरफ हिलाएँ तो प्रतिबिंब दायीं तरफ गति करता है।
6. इसकी फोकस दूरी धनात्मक होती होती है। |
अवतल लेंस
1. बीच में पतला तथा किनारों से मोटा होता है।
2 अक्षर छोटे आकार के दिखाई देते हैं
3. प्रकाश-किरण पुंज को बिखेर देता है
4. वस्तु का प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा बनता है।
5. लेंस को बायीं तरफ हिलाएँ तो प्रतिबिंब भी बायीं तरफ हटेगा।
6. इसकी फोकस दूरी ऋणात्मक होती हैं
14. वास्तविक तथा आभासी प्रतिबिंब में अंतर क्या है ?
वास्तविक प्रतिबिंब
1. वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है |
2.वास्तविक प्रतिबिंब सदैव उल्टे होते हैं |
3. वास्तविक प्रतिबिंब दर्पण के आगे बनता है | |
आभासी प्रतिबिंब
1.आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है |
2. आभासी प्रतिबिंब सदैव सीधे होते हैं |
3.आभासी प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है
15. प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं ? इसके नियमों को लिखें !
उत्तर – प्रकाश की किरणो का किसी वस्तु से टकराकर लौटने की घटना को प्रकाश का प्रवर्तन कहते हैं ? प्रकाश के परावर्तन के दो नियम हैं |
1 .आपतित किरण,परावर्तित किरण ,एवं आपतन बिंदु पर डाला गया अभिलंब एक ही तल में होता है ।
2. आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है |
● आपतित किरण :- किसी दर्पण से आकर टकराने वाली किरण को आपतीत किरण कहते हैं |
● परावर्तित किरण :- दर्पण पर टकराने के बाद लौटने वाली की प्रकाश किरण को परावर्तित किरण कहते हैं |
● अभिलंब :- जिस बिंदु पर आपतीत किरण तथा परावर्तित किरण मिलती है उस बिंदु पर खींचा गया लंब अभिलंब कहलाता है |
● आपतन कोण :- आपतीत किरण तथा अभिलंब के बीच बने कोण को आपतन कोण कहते हैं |
● परावर्तन कोण:- परावर्तित किरण तथा अभिलंब के बीच बने कोण को परावर्तन कोण कहते हैं
16. प्रकाश का प्रकीर्णन से आप क्या समझते हैं ?
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमे धूल तथा अन्य पदार्थों के अत्यंत सूक्ष्म कण होते हैं, तो इसके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है, इसे प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं ,सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण ही आकाश का रंग नीला दिखलाई पड़ता है |
17. प्रकाश के अपवर्तन नियमों को लिखें।
उत्तर⇒प्रकाश के एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर उसकी दिशा में होने वाले परिवर्तन की घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहा जाता है।
अपवर्तन के नियम –
(i) आपतित किरण, अपवर्तित किरण और आपतन बिन्दु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं।
(ii) प्रकाश के किसी खास रंग के लिए आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या में एक निश्चित अनुपात होता है जिसे अपवर्तनांक कहते हैं। इस नियम को स्नेल का नियम भी कहा जाता है।
18. अपवर्तनांक को परिभाषित करें। हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर⇒अपवर्तनांक-किसी माध्यम में अपवर्तनांक (u) की परिभाषा निर्वात में प्रकाश (c) और इस माध्यम में प्रकाश की चाल (c) के अनुपात के रूप में दी गई है।
हवा में प्रकाश के वेग की अपेक्षा हीरे में प्रकाश का वेग कम होगा। अतः हवा से चलने वाली प्रकाश की किरण हीरा में प्रवेश करने पर अभिलंब की ओर झुक जायेगी।
19. सामान्य नेत्र 25 सेमी से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर⇒ 25 सेमी की दूरी पर रखी वस्तुओं को आँख स्पष्ट रूप से देखता है लेकिन 25 सेमी से कम निकट रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर स्पष्ट रूप से नहीं बनता है। अतः मानव वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाती है।
20. समतल दर्पण में बना प्रतिबिंब का साइज और प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर⇒समतल दर्पण (Plane Mirror) द्वारा बना, प्रतिबिंब –
(i) बिम्ब (object) के समान प्रतिबिंब का साइज होता है।
(ii) प्रतिबिम्ब दर्पण के उतना ही पीछे बनता है जितनी दूरी पर वस्तु समतल दर्पण के सामने होती है।
(iii) काल्पनिक (virtual) प्रतिबिंब बनता है।
21. गोलीय दर्पण द्वारा सूर्य के प्रकाश में किसी कागज के कतरन को कैसे जलाया जा सकता है ?
उत्तर⇒गोलीय अवतल दर्पण के परावर्तक सतह को सूर्य से आने वाली किरणों के सामने रखा जाता है। सूर्य से चलने वाली समांतर किरणें दर्पण से परावर्तित होकर फोकस पर अभिसरित होती हैं। अगर अवतल दर्पण के फोकस पर कागज के कतरन , रख दिये जायें, तो यह जल उठता है। क्योंकि समांतर किरणें एक बिंदु पर अभिसरित होती हैं और काफी ऊष्मा उत्पन्न करती हैं। कागज का कतरन दर्पण के फोकस पर रखने पर जलने लगता है।
22. प्रकाश क्या है ?
उत्तर⇒ दृष्टि के भौतिक अनुभूति को प्रकाश कहते हैं प्रकाश वस्तुओं को दृश्यमान बनाता है। कोई वस्तु उसपर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित करती है और वह परावर्तित प्रकाश हमारी आँखों द्वारा ग्रहण होता है तब हमें वस्तुओं को देखने योग्य बनाता है।
23. प्रकाशिक घनत्व क्या है ?
उत्तर⇒प्रकाशिक घनत्व का एक निश्चित संपृक्तार्थ होता है। यह द्रव्यमान घनत्व के समान नहीं है। जिस माध्यम का प्रकाशिक घनत्व अधिक होता है वह सघन माध्यम है, अन्यथा वह विरल माध्यम होगा। विरल माध्यम से प्रकाश किरण सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब की ओर मुड़ जाती हैं और जब सघन माध्यम से प्रकाश की किरणें विरल माध्यम में अपवर्तित होती हैं तो यह अभिलंब से दूर हट जाती हैं।
24. आभासी प्रतिबिंब क्या है ?
उत्तर⇒ किसी स्रोत से आने वाला प्रकाश परावर्तन या अपवर्तन के बाद एक बिंदु पर नहीं मिलता है, बल्कि परावर्तित अथवा अपवर्तित किरणों को पीछे बढ़ाने पर एक बिंदु पर मिले, तो आभासी प्रतिबिंब बनता है। यह प्रतिबिंब हमेशा सीधा और पर्दे पर लेना असम्भव है।
25. वास्तविक प्रतिबिम्ब क्या है ?
उत्तर⇒किसी स्रोत से आने वाला प्रकाश परावर्तन या अपवर्तन के बाद एक बिन्दु पर मिलती है तो वास्तविक प्रतिबिम्ब बनता है। वास्तविक प्रतिबिम्ब हमेशा उल्टा और पर्दे पर आसानी से लिया जा सकता है। हमारा नेत्र रेटिना, पर वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाता है।
26. गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए नयी कार्तीय चिन्ह परिपाटी – दर्शायें।
उत्तर⇒
(i) बिम्ब सदैव दर्पण के बायीं ओर रखा जाता है। इसका अर्थ है कि दर्पण पर बिम्ब से प्रकाश बाईं ओर से आपतित होता है।
(ii) मुख्य अक्ष के समांतर सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव से मापी जाती हैं।
(iii) मूल बिंदु के दाईं ओर (+X-अक्ष के अनुदिश) मापी गई सभी दूरियाँ धनात्मक मानी जाती हैं जबकि मूल बिन्दु के बाईं ओर (-X-अक्ष के अनुदिश) मापी गई दूरियाँ ऋणात्मक मानी जाती हैं।
27. अवतल दर्पण, उत्तल दर्पण और समतल दर्पण को छूकर एवं बिना छूये हुए कैसे पहचान करेंगे ?
उत्तर⇒अवतल दर्पण को छूने पर पता चलता है कि इसका परावर्तक सतह नत होता है। उत्तल दर्पण का परावर्तक सतह उभरा होता है। समतल दर्पण का परावर्तक सतह समतल होता है। तीनों दर्पणों के फोकस के भीतर एक वस्तु पिन को बारी-बारी से रखा जाता है। जिस दर्पण में वस्तु पिन का प्रतिबिंब आभासी, सीधा और बड़ा दिखाई पड़े वह अवतल दर्पण है। जिस दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब आभासी, सीधा, छोटा दिखाई पड़े, वह उत्तल दर्पण है। जिस दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब आभासी, सीधा और वस्तु के आकार के बराबर दिखाई पड़े, वह समतल दर्पण है।
28. लेंस कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर⇒मुख्यतः लेंस दो प्रकार के होते हैं — उत्तल लेंस और अवतल लेंस। उत्तल लेंस में वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार के प्रतिबिब बनते हैं, लेकिन अवतल लेंस में केवल आभासी प्रतिबिंब बनते हैं।
29. लेंस की क्षमता से क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों के अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उसकी क्षमता, कही जाती है। लेंस को क्षमता डायोप्टर में मापी जाती है। 1 डायोप्टर उस लेंस की क्षमता है जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर है।
31. लेंस में कितने मुख्य फोकस होते हैं ?
उत्तर⇒जैसा कि हम जानते हैं कि प्रकाश लेंस के दोनों ओर से होकर जा सकता है। अत: यही कारण है कि प्रत्येक लेंस में दो मुख्य फोकस होते हैं। लेंस के दोनों ओर एक-एक फोकस होते हैं।
32. कौन-सा लेंस वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार का प्रतिबिम्ब बनाता है ?
उत्तर⇒उत्तल लेंस वास्तविक और अभासी दो प्रकार के प्रतिबिम्ब बनाता है। जब बिम्ब फोकस के बाहर हो तो लेंस वास्तविक प्रतिबिम्ब और जब बिम्ब फोकस के भीतर हो तो आभासी प्रतिबिम्ब बनाता है।
33. बिना स्पर्श के उत्तल लेंस, अवतल लेंस तथा काँच के वृत्ताकार प्लेट की पहचान कैसे की जाती है ?
उत्तर⇒दोनों तरह के लेंसों और काँच की प्लेट को बारी-बारी से अपने हाथ से पकड़कर किसी पुस्तक के छपे पृष्ठ के निकट लाते हैं और इनसे होकर छपे अक्षरों को देखते हैं –
(i) यदि पुस्तक के छपे अक्षर अपने वास्तविक आकार से बड़े दिखाई पड़ते हैं, तो यह उत्तल लेंस है।
(ii) यदि पुस्तक के छपे अक्षर अपने वास्तविक आकार के बराबर दिखाई पड़ते हैं, तो यह काँच का प्लेट है।
(iii) यदि पुस्तक के छपे अक्षर अपने वास्तविक आकार से छोटे दिखाई पड़ते हैं, तो यह अवतल लेंस है।
34. सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर⇒क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का अधिकांश भाग कणों द्वारा प्रकीर्ण हो जाता है। इसलिए हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश
अधिक तरंगदैर्घ्य का होता है। इससे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।
35. अवतल लेंस को अपसारी लेंस कहते हैं, क्यों ?
उत्तर⇒अवतल लेंस के द्वारा समांतर प्रकाश की किरणें आपतन के बाद अपवर्तित होकर आपस में फैलती जाती हैं। यानी अवतल लेंस प्रकाश के समांतर किरणों को अपसरित कर देता है। अवतल लेंस को इसी गुण के कारण अपसारी लेंस कहते हैं।
36. किरण क्या है ?
उत्तर⇒ प्रकाश के बिन्दु पथ को किरण कहते हैं। किरण तीन प्रकार के होते हैं — संसृत किरण पुंज, अपसृत किरण ज और समांतर किरण पुंज। परवलयिक दर्पण संसृत किरण पुंज उत्पन्न करता है। उत्तल दर्पण द्वारा अपसृत किरण पुंज और समतल दर्पण द्वारा समांतर किरण पुंज उत्पन्न होता है।
37. पाश्विक विस्थापन से आप क्या समझते हैं ? अथवा, काँच के आयताकार झिल्ली में अपवर्तन के दो किरणों को दिखावें।
उत्तर⇒किसी स्लैब से होकर गुजरने वाली किरण के लिए आपतित किरण और निर्गत किरण एक दूसरे के समांतर होती हैं। इन दोनों किरणों के बीच की लाम्बिक दूरी को पाश्विक विस्थापन कहते हैं।
38. विवर्तन क्या है ?
उत्तर⇒ यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यन्त छोटी हो, तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।
39. नई कार्तीय चिह्न परिपाटी के अनुसार गोलीय लेंस में आवर्धन किस प्रकार बदलता है ?
उत्तर⇒ किसी उत्तल लेंस के प्रकरण में आवर्धन जब प्रतिबिम्ब आभासी होता है तब धनात्मक तथा जब प्रतिबिम्ब वास्तविक होता है तब ऋणात्मक होता है। किसी अवतल लेंस के प्रकरण में आवर्धन अवतल लेंस द्वारा सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनाने के कारण सदैव धनात्मक होता है।
40. प्रधान फोकस और फोकस में क्या अंतर है ?
उत्तर⇒प्रधान फोकस दर्पण के प्रधान अक्ष पर पाया जाता है। लेकिन प्रकाश की समांतर किरणें दर्पण से परावर्तित होने के बाद एक बिंदु पर फोकसित होती हैं। यह बिंदु फोकस कहलाता है। यह जरूरी नहीं है कि फोकस दर्पण के प्रधान अक्ष पर ही पड़े।
41. तारे टिमटिमाते हैं, किन्तु ग्रह नहीं टिमटिमाते हैं। क्यों ?
उत्तर⇒ग्रह तारों की अपेक्षा हमारे बहुत समीप हैं। अतः इनसे इतना पर्याप्त प्रकाश मिलता है कि वायुमण्डलीय परतों के घनत्वों के अस्थायित्व के प्रभाव के चलते प्राप्त किरणों की संख्या में अपेक्षाकृत कम ही कमी आती है और वे लगभग स्थायी रूप में चमकते दिखते हैं। तारों से चलने वाले प्रकाश किरण वायुमण्डल के विभिन्न घनत्व वाले परतों से गुजरने पर किरणों के पथ में विचलन होता है और तारे का प्रकाश विभिन्न क्षणों में अपवर्तित होते हैं और टिमटिमाते नजर आते हैं।
2.मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार SUBJECTIVE QUESTION PART- 1
मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार SUBJECTIVE QUESTION PART- 1
Manav Netra Tatha Rang Biranga Sansar : कक्षा 10 विज्ञान का दूसरा चैप्टर मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार का महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर नीचे दिया गया है। जो मैट्रिक परीक्षा 2022 के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तो अगर आप मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार Objective PDF का प्रश्न उत्तर पढ़ना चाहते हैं। तो नीचे प्रश्न उत्तर दिया गया है।
मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार प्रश्न उत्तर
1 .दो आंखों की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर ⇒ वस्तु को दो आंखों से देखने की उपयोगिता निम्न है ?
(i) वस्तु की दूरी का अंदाजा ठीक लगाया जा सकता है ।
(ii) वस्तु त्रिदिशाओं का प्रभाव ठीक से प्राप्त किया जा सकता है ।
(iii) दोनों आंख एक दूसरे को सेकंड के एक भाग के लिए आराम देती रहती है |
2. दूर दृष्टिदोष से आपका क्या अभिप्राय है ? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर ⇒ इस दृष्टि दोष में नेत्र निकट की वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है इस स्थिति में प्रतिबिंब दृष्टिपटल के पीछे बनता है दीर्घ दृष्टि के लिए एक निकट बिंदु होता है।
दोष का निवारण :- इस दोष को उत्तल लेंस से दूर किया जाता है यह प्रतिबिंब को दृष्टि पटल पर बनाने में मदद करता है ।
3 .प्रकाश का वर्ण विक्षेपण किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ जब कांच की प्रिज्म से प्रकाश का पुंज गुजारा जाता है तो यह सात रंगों में बैठ जाता है जिसे प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं इन सात रंगों को बैगनी, हल्के नीले ,नीला ,हरा, पीला, ऑरेंज और लाल वर्ण क्रम में व्यवस्था प्राप्त होती है। यह सभी रंग अलग-अलग कौन पर मुड़ते हैं। लाल रंग सबसे कम मुड़ता है और बैगनी सबसे अधिक। वर्णक्रम को VIBGYOR के द्वारा याद रखा जा सकता है । प्रकाश का विक्षेपण प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है । प्रकाश के विभिन्न रंगों के द्वारा निर्वाह या हवा में समान वेग से दूरी तय की जाती है।
4 .समंजन क्षमता को परिभाषित कीजिए। एक वयस्क में सामान्य दृष्टि के लिए इसका मान क्या होता है ?
उत्तर ⇒ अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता, जिसके द्वारा विभिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए लेंस की फोकस दूरी को कम अथवा अधिक किया जाता है, समंजन क्षमता कहलाती है। सामान्य दृष्टि के लिए, युवा-वयस्कों में समंजन 25 cm. तथा अनन्त के बीच होता है, इसलिए समंजन क्षमता 4 डाइऑप्टर होती है।
5. जरा दूरदर्शिता तथा दीर्घ दृष्टि दोष में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ दोनों स्थितियों में नजदीकी वस्तु को ना देख पाना तथा अभिनेत्र लेंस की अधिक फोकस दूरी के कारण है। दीर्घ दोष में, अभिनेत्र लेंस बीच में पतला हो जाता है या नेत्र गोलक छोटा हो जाता है। यदि दोस्त पक्ष्माभी पेशियों के कमजोर पड़ जाने से है तो वह लेंस की फोकस दूरी को कम नहीं कर पाती है और इस दोस्त को जरा दूरदर्शिता दोस्त कहते हैं ऐसा दोस्त अधिकतर आयु में वृद्धि होने पर हो जाता है।
6 . सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर ⇒ किसी वस्तु को आराम से सुस्पष्ट देखने के लिए इसे अपने नेत्रों से कम-से-कम 25 cm. (जो कि सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी है) दूर रखना होता है। अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी एक निश्चित न्यूनतम सीमा से नीचे तक नहीं घट सकती । यदि कोई वस्तु नेत्र के अत्यधिक निकट है, तो अभिनेत्र लेंस इतना अधिक वक्रित नहीं हो पाता कि वस्तु का प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर बने, जिसके फलस्वरूप परिणामी प्रतिबिम्ब धुंधला-सा बनता है।
7 .तारे क्यों टिमटिमाते हैं ?
उत्तर ⇒ जब तारे का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो उसे बढ़ते हुए अपवर्तनांक वाले माध्यम से गुजरना पड़ता है। इसके कारण तारों का प्रकाश लगातार पृथ्वी की त्रिज्या की तरफ मुड़ता जाता है। माध्यम के अपवर्तनांक में अनियमित उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, जिसके कारण तारों का प्रकाश कभी हमारी आँखों तक पहुँचता है, कभी नहीं पहुँचता। इसके कारण हमें तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं।
8 . दृष्टि निर्बध क्या है ? किस प्रकार चलचित्र संभव होता है ?
उत्तर ⇒ रेटिना पर बना प्रतिबिम्ब वस्तु के हटाए जाने के 1/10 सेकेण्ड तक स्थिर रहता है। इसे दृष्टि निर्बध कहते हैं । यदि चलचित्र कैमरे द्वारा खींचे गए अचल चित्रों में दृश्यों के क्रम को किसी परदे पर लगभग 24 प्रतिबिम्ब बनाता प्रति सेकेण्ड अथवा इससे अधिक दर पर प्रक्षेपित किया जाए तो प्रतिबिम्बों के क्रमागत प्रभाव निर्बाध रूप से एक-दूसरे में मिश्रित अथवा विलीन होते प्रतीत होते हैं। इस सिद्धान्त से चलचित्र संभव हो पाता है।
9 . स्वच्छ आकाश का रंग हमें नीला दिखाई पड़ता है जबकि किसी अन्तरिक्ष यात्री को काला प्रतीत होता है, क्यों ?
उत्तर ⇒ सूर्य का प्रकाश जब वायुमंडल में प्रवेश करता है तब प्रकाश का प्रकीर्णन होता है। लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम और नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। रंग के प्रकीर्णन में नीले रंग की अधिकता होती है, इसलिए आकाश का रंग नीला दिखाई देता है। अंतरिक्ष में प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है, इसलिए अंतरिक्ष यात्री को आकाश काला दिखाई देता है।
10. रेलवे के सिग्नल का प्रकाश लाल रंग का ही क्यों होता है ?
उत्तर ⇒ – रेलवे के सिग्नल में लाल रंग का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है और लाल रंग अधिक दूरी से भी साफ-साफ दिखलाई पड़ जाती है
11 . निकट दृष्टि दोष एवं दूर दृष्टि दोष में अंतर लिखें |
उत्तर ⇒
निकट दृष्टि दोष
1. नेत्र लेंस की फोकस दूरी अधिक हो जाती है
2.नेत्र गोलक लंबा हो जाता है
3.इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है
दूर दृष्टि दोष
1.नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है
2.नेत्र गोलक छोटा हो जाता है
3.इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है
12. दृष्टिदोष क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर ⇒ सामान्य नेत्र द्वारा 25 सेमी० पर की वस्तु को स्पष्ट देखा पाता है। जब इस स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी पर वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है तो कहा जाता हे कि नेत्र में दृष्टिदोष है। यह मुख्यतः चार प्रकार का होता है
(i) निकट दृष्टिदोष (ii) दीर्घ दृष्टिदोष (iii) जरा दृष्टिदोष (iv) अबिंदुकता
13. जरा-दूरदृष्टिता क्या है ?
उत्तर ⇒ आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ मानव नेत्र की समंजन-क्षमता घट जाती है। अधिकांश व्यक्तियों का निकट बिंदु दूर हट जाता है। संशोधक चश्मों के बिना उन्हें पास की वस्तुओं को आराम से देखने में कठिनाई होती है। इस दोष को जरा दूर-दृष्टिता कहा जाता है। यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे दुबेल होने तथा क्रिस्टलीय लेंस के लचीलेपन में कमी आने के कारण उत्पन्न होता है। कभी-कभी नेत्र में दोनों प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं जिन्हें द्विफोकसी लेंसों की सहायता से दूर किया जाता है।
14. जरादूरदर्शित तथा दीर्घ दृष्टि दोष में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ जरादृष्टि दोष को दूर करने के लिए चश्मे में द्विफोकसी लेंस का उपयोग किया जाता है। चश्मे के ऊपरी भाग में अवतल लेंस और इसी चश्मे के नीचले भाग में उत्तल लेंस लगाया जाता है। इससे जरादृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की वस्तुओं को और नजदीक की वस्तुओं को आसानी से देख पाता है।
दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की वस्तुओं को देख पाता है लेकिन नजदीक की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है। अतः इस दोष वाले व्यक्ति के चश्में में उत्तल लेंस लगाया जाता है।
15. जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी बढ़ा देते हैं तो नेत्र से प्रतिबिम्ब की दूरी को क्या होता है ?
उत्तर ⇒ नेत्र से वस्तु की दूरी बढ़ा देने पर भी आँख अपने समंजन शक्ति के द्वारा प्रतिबम्ब को रेटिना पर बनाता है। यह स्वस्थ आँख के लिए सम्भव है। नेत्र और रेटिना के बीच की दूरी सदा स्थिर रहती है। दृष्टि परास 10 सेमी० से अनंत बिंदु तक होती है। इस परास पर कहीं भी वस्तु को रखा जाए तो प्रतिबिम्ब रेटिना पर ही बनेगा।
16. किसी बिंब को देखने के लिए नेत्र का सामंजन किस प्रकार किया – जाता है?
उत्तर ⇒ अभिनेत्र लेंस की वक्रता में कुछ सीमाओं तक पक्ष्माभी पेशियों द्वारा रूपान्तरित किया जा सकता है। इसकी वक्रता में परिवर्तन होने से इसकी फोकस दूरी भी बदल जाती है। जब पेशियाँ शिथिल होती हैं तो अभिनेत्र लेंस पतला हो जाता है। ऐसी दशा में फोकस दूरी बढ़ जाती है। अतः दूर रखी वस्तुओं को देखने में समर्थ होते हैं। जब हम पास की वस्तुओं को देखते हैं तो पक्ष्माभी पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी घट जाती है। इससे निकट रखी वस्तु को स्पष्ट देख पाते हैं।
17. नेत्र में जरा दृष्टि दोष का क्या कारण है ?
उत्तर ⇒ यह बुढ़ापे का नेत्र-दोष है। इस उम्र में नेत्र में सिलियरी पेशियों का लचीलापन समाप्त हो जाता है। नेत्र में संधान शक्ति की कमी के कारण दूर बिंदु और निकट बिंदु का समंजन नहीं हो पाता है।
18. आँखों की सुग्राहिता का क्या अर्थ है ?
उत्तर ⇒ मद्धिम प्रकाश में भी वस्तु को देखने वाली आँख को सुग्राही आँख कहा जाता है। यह गुण सुग्राहिता कहलाती है।
19. निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में किन्हीं तीन अंतरों को लिखें।
उत्तर ⇒ (i) दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की चीजों को स्पष्ट देखता है लेकिन निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की वस्तुओं को नहीं देख पाता है।
(ii) दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति नजदीक की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है लेकिन निकट-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आसानी से स्पष्ट देख पाता है।
(iii) दूर दृष्टि दोष के निवारण में चश्मे में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है लेकिन निकट दृष्टि दोष वाले के निवारण हेतु चश्मे में अवतल लेंस का उपयोग होता है।
20. दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश में देखते समय चश्मा उतारना पसंद करता है। क्यों ?
उत्तर ⇒ दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की चीजों को आसानी से देख पाता है। अत: वह चश्मा उतारकर ही दूर की वस्तुओं को आसानी से देख पाता है। यही कारण है कि दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश की ओर देखने पर अपना चश्मा उतार देता है।
21. स्पेक्ट्रम क्या है?
उत्तर ⇒ जब श्वेत प्रकाश (सूर्य का प्रकाश) किसी प्रिज्म से होकर गुजरता है तो यह सात रंगों में विभाजित हो जाता है। प्रकाश के अवयवी वर्गों के इस पैटर्न को स्पेक्ट्रम कहते हैं।
22. टिंडल प्रभाव क्या है?
उत्तर ⇒ जब किसी घने जंगल के वितान से सूर्य का प्रकाश गुजरता है तो टिंडल प्रभाव को देखा जाता है। जंगल के कुहासे में जल की सूक्ष्म बूंदें प्रकाश को प्रकीर्णन कर देती हैं।
23. मोतियाबिंद क्या है?
उत्तर ⇒ बढ़ती उम्र के कारण कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस धुंधला तथा दुधिया हो जाता है। इसके चलते नेत्र से किसी वस्तु को देखना आसान नहीं होता है। इसे मोतियाबिंद कहा जाता है। इस दोष को शल्य चिकित्सा से दूर किया जाता है।
24. प्रकाश के प्रकीर्ण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ जब प्रकाश की किरण वायुमंडल से होकर गुजरती है तथा वायु के कण द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन होता है और प्रकाशपुंज के मार्ग को देख पाते हैं। वास्तविक विलयन से प्रकाश की किरणें गुजरती हैं तो प्रकाश किरणपुंज का भाग विलयन द्वारा प्रकीर्णित हो जाता है और विलयन पारदर्शी दिखती है।
25. मानव नेत्र में कौन-सा गुण है, जिससे सिनेमा के पर्दे पर चलते हुए तस्वीर को देखते हैं ?
उत्तर ⇒ जब हम किसी वस्तु को देखते हैं तो उसकी तस्वीर हमारे मानस पटल, पर 1/10 सेकेण्ड तक छायी रहती है। इसके पश्चात् कोई दूसरा तस्वीर सामने आता है तो यह चलती हुइ प्रतीत होती है।
26. स्पेक्ट्रम में किस रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य महत्तम और किस रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य न्यूनतम होता है।
उत्तर ⇒ स्पेक्ट्रम में लाल रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य महत्तम होता है लेकिन बैंगनी रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य न्यूनतम होता है। अतः लाल रंग के प्रकाश का विचलन कम और बैंगनी रंग के प्रकाश का विचलन महत्तम होता है।
27. प्रकीर्णित प्रकाश का वर्ण किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर ⇒ यह प्रकीर्णन करने वाले कणों के साइज पर निर्भर करता है। अत्यंत सूक्ष्म कण मुख्य रूप से नीले प्रकाश को प्रकीर्ण करते हैं जबकि बड़े साइज के कण अधिक तरंगदैर्घ्य के प्रकाश को प्रकीर्ण करते हैं।
28. कैसे व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकते हैं।
उत्तर ⇒ उच्च रक्त चाप वाले व्यक्ति, मधुमेह का रोगी, दमे का रोगी जिन्हें कोई संक्रामक रोग नहीं है नेत्रदान कर सकते हैं। एड्स, हेपटाइटिस-B, टेटनस, हैजा से मरने वाले व्यक्ति ही नेत्रदान नहीं कर सकते हैं।
3.विधुत धारा Question Answer In Hindi 2022 |
Vidyut Dhara Ke Subjective Question Answer
SUBJECTIVE QUESTIONSSCIENCE
Class 10th Science विधुत धारा Question Answer In Hindi
1. विधुत आवेश क्या है? विधुत आवेश कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-विधुत आवेश-आवेश कुछ मौलिक कणों का अकाट्य गुण जिसके कारण आवेशित कण आपस में बल लगाते हैं। अगर ऊन द्वारा एबोनाइट के छड़ को रगड़ा जाए तो ऊन पर धन आवेश और एबोनाइट पर ऋण आवेश मुक्त होते हैं। आवेश दो प्रकार के होते हैं धन आवेश और ऋण आवेश।
2. विधुत धारा क्या है ? विधुत धारा का SI मात्रक लिखें।
उत्तर-विधुत आवेश के प्रवाह की दर को विधुत धारा कहते हैं। अगर किसी चालक तार से t सेकेण्ड में Q आवेश बहती है, तो धारा I = Q/t
अगर Q कुलॉम में और समय सेकेण्ड में लिया जाय तो विधुत धारा एम्पीयर में होगी।
विधुत धारा का S.I. मात्रक एम्पियर है।
3. विधुत परिपथ का क्या अर्थ है?’
उत्तर-आवेश के सतत प्रवाह के लिए बने बंद रास्ते को विधुत परिपथ कहा जाता है।
4. विधुत बल्ब का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर –विधुत बल्ब का नामांकित चित्र बनाइए
5. विधुत विभव और विभवांतर में क्या अंतर है ?
उत्तर- विधुत विभव– इकाई धन आवेश को अनंत से विधुतीय क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में सम्पादित कार्य को उस बिंदु पर का विभव कहते हैं। इसका S.I. मात्रक वोल्ट है।
विभवांतर-दो बिंदुओं के बीच के विभवों के अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका भी S.I. मात्रक वोल्ट है।
6. विधुत शक्ति की परिभाषा लिखें।
उत्तर- कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। अगर कोई कार्यकर्ता t सेकेण्ड में W कार्य करे तो
शक्ति = W/t
अथवा ऊर्जा के उपभुक्त होने की दर को शक्ति कहते हैं।
शक्ति P को इस प्रकार व्यक्त करते हैं –
P = VI
अथवा P = VI = I2R =V2 /R इसका S.I मात्रक वाट है।
7. विधुत धारा की दिशा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- परिपाटी के अनुसार किसी विधुत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों जो ऋणावेशित हैं के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विधुत धारा की दिशा मानी जाती है।
8. विधुत प्रतिरोधकता क्या है तथा इसका S.I. मात्रक लिखें।
उत्तर- विधुत प्रतिरोधकता किसी पदार्थ की अभिलाक्षणिक गुण है। धातओं और मिश्रधातुओं के विधुत प्रतिरोधकता अत्यंत कम होती है।
विधुत प्रतिरोधकता का S.I मात्रक ओम-मीटर ( Ω-m ) है।
9. विधुत परिपथ में फ्यूज तार का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर- घर में लगे साधित्रों की सरक्षा के लिए फ्यूज तार लगाया जाता है। यह उच्च विधुत धारा के कारण तार गल कर परिपथ को भंग करता है और साधित्रों (रेडियो, टीवी, बल्ब आदि) को जलने से बचाता है।
10. विधुत संचरण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐलुमीनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर-कॉपर तथा ऐलुमिनियम तारों का उपयोग इसलिए किया जाता है कि इनका विधुत प्रतिरोधकता अन्य तारों की अपेक्षा काफी कम होती है। कॉपर की प्रातराधकता 1.62Ω मीटर और ऐलमीनियम की प्रतिरोधकता 2.63Ω मीटर है। साथ ही अन्य धातुओं की तुलना में यह आसानी से उपलब्ध होता है। अधिक महँगे भी नहीं होते हैं।
11. एक वोल्ट की परिभाषा दें।
उत्तर- यदि किसी विधुत धारावाही चालक के दो बिंदुओं के बीच एक कूलाम आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में 1 जूल कार्य किया जाता है तो उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट होता है।
12. कुलॉम का नियम क्या है ?
उत्तर- दो आवेश के बीच लगनेवाला बल उन दो आवेशों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
मान लिया कि दो आवेश q1 और q2 के बीच की दूरी r है और उनके बीच लगने वाला बल F है, तो कूलॉम-नियम से,
अर्थात F∞q1 q2 /r2
Or F=Kq1 q2 /r2
जहाँ पर k समानुपातिक स्थिरांक है।
13. प्रतिरोध क्या है ? इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर -जब परिपथ में विधुत धारा बहती है तो चालक के अन्दर उपस्थित इलेक्ट्रोनों पर आवेश के टक्कर के फलस्वरूप ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है और धारा के बहने में रुकावट डालती है। अतः प्रतिरोध एक ऐसा गुण धर्म है जो किसी चालक में इलेक्ट्रोनों के प्रवाह का विरोध है। यह विधुत धारा के प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसका SL मात्रक ओम है।
14. चालक, अचालक, अर्द्धचालक एवं अति चालक से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण व्याख्या करें।
उत्तर–
चालक- जिन धातुओं के तार से विधुत धारा प्रवाहित होती है उन्हें चालक कहा जाता है।
जैसे- लोहा, ताँबा आदि के तार विधुत के अच्छे चालक हैं।
अचालक- जिन पदार्थों (धातुओं) के तार से विधुत धारा का प्रवाह नहीं होता है उन्हें अचालक कहा जाता हैं
जैसे- एबोनाइट के छड़ तथा ऊन और सूती धागे से विधुत का प्रवाह नहीं होता है। ये विधुत के अचालक कहे जाते हैं। .
अर्द्धचालक- ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता (σ) चालक पदार्थ की चालकता से कम और कुचालक पदार्थ की चालकता से अधिक हो अर्द्धचालक कहे जाते हैं।
जैसे—कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम आदि।
अतिचालक-अतिचालक ऐसे पदार्थ हैं जिनमें अति निम्न ताप पर धारा प्रवाहित करने पर बिना प्रतिरोध के अर्थात् बिना ऊर्जा क्षय के धारा बहती रहती है। ऐसे पदार्थ से धारा प्रवाह में विधुत ऊर्जा का नाश नहीं होता है।
जैसे- बेरियम और लैथनम से बना सेरामिक से धारा का प्रवाह निर्वाध गति से होता रहता है।
15. घरेलू विधुत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
उत्तर- घरों में बल्ब, पंखे अन्य विधुत उपकरण पार्श्वक्रम में संयोजित रहते हैं। सभी उपकरणों के दोनों छोरों के बीच विभवांतर समान रहता है। एक के फ्यूज करने पर दूसरे में धारा का प्रवाह बंद नहीं होता है। उपकरणों के परिपथ में श्रेणी बद्ध जोड़ने पर हरेक उपकरणों में कम विभवांतर का संचार होने लगता है। एक बल्ब अगर फ्यूज कर जाए तो परिपथ में धारा का बहना बंद हो जायेगा। यही कारण है कि घरेलू विधुत परिपथों में श्रेणी बद्ध संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता है।
4. विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
SCIENCESUBJECTIVE QUESTIONS
1. विधुत चुंबकीय प्रेरण से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालंक के परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र के कारण अन्य चालक में विद्युत धारा प्रेरित होती है, विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाता है।
2. विधुत मोटर के कुछ उपयोगों को लिखें।
उत्तर ⇒ विधुत मोटर के उपयोग निम्नांकित हैं –
(i) विधुत पंखों में (ii) रेफ्रिजरेटरों में (iii) विधुत मिश्रकों में (iv) वाशिंग मशीनों में (v) MP3 प्लेयरों में।
3. चुंबकत्व की असली पहचान क्या है ?
उत्तर ⇒ चुम्बक में सजातीय ध्रुवों के बीच प्रतिकर्षण और विजातीय ध्रुवों के बीच आकर्षण उत्पन्न होता है।
दो लोहे के टुकड़े लिए जाएं और इनके एक छोर दूसरे के दूसरे छोर से सटाने पर अगर प्रतिकर्षण होता है तो दोनों लोहे के टुकड़े चुम्बक होंगे।
4. विधुत फ्यूज क्या है, यह किस मिश्र धातु का बना होता है ?
उत्तर ⇒ विधुत परिपथों के लिए फ्यूज तार का उपयोग होता है। यह अतिभारण अथवा लघुपथन के कारण उत्पन्न उच्च विद्युत धारा के बहने पर यह गल जाता है तथा सुरक्षा प्रदान करता है। फ्यूज तार ताँबे तथा टिन के मिश्रधातु से बना होता है।
5. विधुत चुम्बक के चुम्बकत्त्व की तीव्रता किन-किन बातों पर – निर्भर करता है ?
उत्तर ⇒ विधुत चुम्बक के चुम्बकत्त्व की तीव्रता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है –
(i) परिनालिका के फेरों की संख्या – फेरों की संख्या (N) बढ़ने से चुम्बकत्त्व की तीव्रता (B) समानुपाती ढंग से बढ़ती है।
अर्थात् B ∝ N
(ii) धारा का मान – धारा का मान (I) बढ़ने पर चुम्बकत्व की तीव्रता (B) समानुपाती ढंग से बढ़ती है।
अर्थात् B ∝ I
(iii) क्रोड की प्रकृति पर-परिनालिका के अंदर नरम लोहे का व्यवहार करने पर अधिक शक्तिशाली चुम्बक बनता है। लेकिन इस्पात के व्यवहार करने पर कम शक्तिशाली चुम्बक बनता है।
6. विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव से संबंधित दक्षिण-हस्त अंगूठा का नियम लिखें।
उत्तर ⇒ दक्षिण-हस्त अंगूठा का नियम – जब दाहिने हाथ तर्जनी अंगुली मध्यमिका अंगुली और अंगूठा इस प्रकार फैलाकर रखा जाता है कि तीन अंगुलियाँ एक दूसरे के साथ लम्बवत् हो, अगर तर्जनी अंगुली चुम्बकीय बल की दिशा की ओर, अंगूठा चुम्बक की गति की दिशा की ओर इंगित करे तो मध्यमिका अंगुली प्रेरित धारा की दिशा को इंगित करेगा।
7. फ्लेमिंग के वामहस्त नियम को लिखें।
उत्तर ⇒ फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम अपने बायें हाथ की तर्जनी, मध्यमा व अंगूठे को परस्पर लंबवत् फैलाइये। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा धारा की दिशा प्रदर्शित करे, तो चालक की गति की दिशा अंगूठे की दिशा में होगी।
फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम का प्रदर्शन
8. विधुत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।
उत्तर ⇒ किसी चालक तार से प्रति सेकेण्ड बहने वाली आवेश को विद्युत धारा की प्रबलता कही जाती है।
I =Q/t
9. चुंबक किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ वे पदार्थ चुंबक कहे जाते हैं जो चुंबकीय पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसे स्वतंत्रतापूर्वक वायु में लटकाने पर उत्तर-दक्षिण दिशा को ईंगित करता है। इसमें उत्तर और दक्षिण दो ध्रुव होते हैं।
10. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को परिच्छेद क्यों नहीं करती है ?
उत्तर ⇒ अगर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को परिच्छेद करती हैं तो क्षेत्र के किसी बिंदु विशेष पर दिक् सूची दो दिशाओं को इंगित करेगा जो असंभव है। यही कारण है कि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को परिच्छेद नहीं करती हैं।
11. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ बैटरी और विधुत मोटर।
12. विधुत जनित्र के सिद्धांत क्या हैं ?
उत्तर ⇒ विधुत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया जाता है। इसी कारण विधुत धारा उत्पन्न होती है। अतः विधुत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
13. प्रत्यावर्ती धारा से कौन दो हानियाँ होती हैं ?
उत्तर ⇒ प्रत्यावर्ती धारा से निम्नलिखित हानियाँ हैं
(i) प्रत्यावर्ती धारा से विधुत लेपन तथा बैटरियों का आवेशन नहीं किया जा सकता है।
(ii) इस धारा से विधुत विच्छेदन नहीं किया जा सकता है।
14. लघुपथन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ किसी कारण से जब जीवित तार और उदासीन तार एक दूसरे से सट जाते. हैं तो लघुपथन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस परिस्थिति में प्रतिरोध शून्य हो जाता है और परिपथ में तीव्र धारा बहने लगती है। धारा के उच्च होने पर काफी ताप उत्पन्न होता है जिससे अग्नि की उत्पत्ति होने लगती है तथा परिपथ में आग लगने का भय रहता है।
15. विधुत बल्ब में निष्क्रिय गैस क्यों भरी जाती है ?
उत्तर ⇒ बल्ब के अंदर टंगस्टन का तार रहता है। इस तार का बना कुंडली बल्ब के अन्दर उत्पन्न ताप के कारण प्रकाश देता है। अगर बल्ब में ऑक्सीजन की उपस्थिति होगी तो कुण्डली आक्सीकृत होकर जल जायेगा और बल्ब फ्यूज कर जायेगा। यही कारण है कि बल्ब के अन्दर निष्क्रिय गैसें (N2, Ar) आदि भरी जाती हैं ताकि बल्ब फ्यूज नहीं हो सके।
16. विद्युत चुम्बक और. स्थायी चुम्बक में अंतर बतावें।
उत्तर ⇒ नरम लोहे के क्रोड पर धारावाही कुंडली लपेट कर धारा प्रवाहित की जाये तो यह विद्युत चुम्बक बन जाता है। इसका चुम्बकत्त्व तभी तक रहता है जब तक कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है।
कार्बन स्टील के छड़ को धारावाही कुंडली के गर्भ में रख दिया जाये तो कुछ देर बाद यह चुम्बक बन जाता है। अब धारा का बहना बंद कर दिया जाता है तब भी यह छड़ अपने चुम्बकत्त्व का त्याग नहीं करता है। यह स्थायी चुम्बक कहलाता है।
17.परिनालिका की सहायता से स्थायी चुंबक कैसे बनता है ? परिनालिका की सहायता से स्थायी चुंबक कैसे बनता है ?
उत्तर ⇒ जब एक स्टील के छड़ को कुंडली के गर्भ में रख दी जाती है और विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है, तो स्टील का छड़ स्थायी चुंबक बन जाता है। इसे विधुत चुंबक कहा जाता है।
18.2kW शक्ति अनुमतांक एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विधुतपरिपथ (220 V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विधुत धारा अनुमतांक 5 A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ P = 2kW = 2000 W, V = 220 V, I = P/V = 2000/220 = 9.09 A विधुत धारा का प्रवाह 5 A से अधिक है अतः फ्यूज गल जायेगा और विद्युत तंदुर नष्ट होने से बच जायेगा।
19. 1.0 किलोवाट अंकित एक विधुत हीटर जो 250 वोल्ट स्रोत से सम्बद्ध है, कितनी विधुत धारा अवशोषित करेगी ?
1.0 किलोवाट अंकित एक विधुत हीटर जो 250 वोल्ट स्रोत से सम्बद्ध है, कितनी विधुत धारा अवशोषित करेगी ?
उत्तर ⇒ P = VI
1 = 4 Ampere
अतः हीटर 4 amp धारा अवशोषित करेगी।
20. विधुत चुंबक की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर ⇒
(i) विधुत चुंबक का चुंबकत्व स्थायी नहीं होता है। जबतक धारा बहती है चुंबकत्व कायम रहता है और धारा के बंद होने पर चुंबकत्व समाप्त हो जाता है।
(ii) विधुत चुंबक के एक छोर पर उत्तरी ध्रुव और दूसरे छोर पर दक्षिणी ध्रुव पैदा हो जाते हैं। धारा की दिशा उलटने पर ध्रुवों की स्थिति बदल जाती है।
(iii) विधुत चुंबक के चुंबकत्व की तीव्रता परिनालिका में फेरों की संख्या, धारा के मान तथा क्रोड की प्रकृति पर निर्भर करता है।
21. चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने वाले तीन तरीकों की सूची बनाइए:
उत्तर ⇒
(i) प्राकृतिक एवं कृत्रिम चुंबक .
(ii) विधुत चुंबक
(iii) एक चालक, एक कुण्डली एवं एक परिनालिका जिससे विधुत धारा प्रवाहित होती है।
22. फ्यूज के तार की तीन प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर ⇒ फ्यूज के तार की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं –
(i) इसका प्रतिरोध उच्च होता है।
(ii) इसका गलनांक न्यूनतम होता है।
(iii) घरों में 220V पर 5A अनुमतांक का फ्यूज व्यवहार होता है।
23. ताँबे के तार की कुंडली, धारामापी के साथ संबद्ध है । क्या होगा यदि दण्ड चुंबक को
(i) कुंडली के अंदर चुंबक के उत्तर ध्रुव को पहले प्रविष्ट किया जाय?
(ii) कुंडली से चुंबक को बाहर निकाला जाय ?
(iii) कुंडली के अंदर चुंबक को स्थिर रखा जाय ?
उत्तर ⇒ (i) जब कुंडली के उत्तरी ध्रुव को तेजी से कुंडली के गर्भ में प्रवेश कराया जाता है, तो कुंडली से सम्बद्ध गैलवेनोमीटर की सूई में विचलन उत्पन्न होता . है। कुंडली में धारा की दिशा, घड़ी की विपरीत दिशा में होती है।
(ii) जब चुंबक को कुंडली से बाहर तेजी से निकाला जाय तो गैलवेनोमीटर की सूई में विचलन विपरीत दिशा में होगी।
(iii) अगर चुंबक कुंडली के अन्दर स्थिर हो, तो गैलेवोनोमीटर की सूई में कोई विचलन उत्पन्न नहीं होता है। अर्थात् कुंडली से होकर कोई धारा नहीं बहती है।
24. किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय बल रेखा दिखावें।
उत्तर ⇒
किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय बल रेखा दिखावें।
चित्र में चुंबकीय बल रेखाओं को दिखाया गया है।
25. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर ⇒
(i) ये बल रेखाएँ बंद वक्र होती हैं।
(ii) जहाँ पर क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे के निकट रहती हैं वहाँ चुंबकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होता है।
(iii) दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।
26. चुंबक के निकट लाने पर दिक् सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर ⇒ दिक् सूचक सूई भी एक छोटा चुम्बक है जिसमें N ध्रुव और S ध्रुव मौजूद है। जब चुंबक के समीप इसे लाया जाता है तो इनके ध्रुवों के बीच आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण के कारण चुंबकीय सूई विक्षेपित हो जाती है।
27. पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के संबंध में क्या जानते हैं ?
उत्तर ⇒ पृथ्वी एक शिाल चुंबक की भाँति कार्य करता है। इसका उत्तरी ध्रुव भौगोलिक दक्षिण की ओर दक्षिण ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर स्थित है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का अक्ष और भौगोलिक अक्ष के बीच का कोण 19° होता है।
28. परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर इसका कौन सिरा उत्तरी ध्रुव और कौन सिरा दक्षिणी ध्रुव जैसा बर्ताव करती है ? समझावें।
उत्तर ⇒ परिनालिका के जिस सिरे को देखने पर विद्युत धारा सूई के घूमने की दिशा में हो वह सिरा दक्षिणी ध्रुव और धारा वामावर्त हो तो वह सिरा उत्तरी ध्रुव जैसा व्यवहार करता है।
परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर इसका कौन सिरा उत्तरी ध्रुव और कौन सिरा दक्षिणी ध्रुव जैसा बर्ताव करती है ? समझावें।
29. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विधुत धारावाही परिनालिका केउत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?
उत्तर ⇒ जब परिनालिका से विद्युत धारा प्रवाहित किया जाता है तो यह चुंबक की भाँति व्यवहार करता है। परिनालिका के ध्रुव का निर्धारण करने के लिए एक पीतल की हुक की सहायता से इसे स्वतंत्रपूर्वक लटकाया जाता है। एक छड़ चुंबक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के एक सिरे के पास ले जाया जाता है। अगर आकर्षण होता है तो स्पष्टतः परिनालिका का यह सिरा दक्षिण ध्रुव है। अगर प्रतिकर्षण होता है तो यह सिरा उत्तर ध्रुव होगा। जब एक सिरे के ध्रुव की जानकारी हो जाती है, तो दूसरा ध्रुव आसानी से ज्ञात हो जायेगा।
30. किसी सीधे तार से बहने वाली धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय बल-रेखा की दिशा को बताने वाले नियम को लिखें।
किसी सीधे तार से बहने वाली धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय बल-रेखा की दिशा को बताने वाले नियम को लिखें।
उत्तर ⇒ दक्षिण हस्त अंगूष्ठ नियम – यदि किसी धारावाही तार को अपने हाथ में इस प्रकार पकड़ें कि अंगूठा धारा की दिशा में तना रहे, तो उँगलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र-रेखाओं की दिशा में लिपटी होगी।
जैसा कि चित्र में दिया गया
31. यदि ताम्बे के तार में प्रवाहित विद्युत धारा पूर्ववत् है, परन्तु दिक् . सूचक तांबे के तार से दूर चला जाता है तब दिक् सूची के विक्षेप पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर ⇒ चुंबकीय बल दूरी के सीधा समानुपाती होता है। चालक तार से दिक् सूची की दूरी जैसे-जैसे बढ़ती है इसके सूई में विक्षेप वैसे-वैसे घटता जाता है। इसका अर्थ है कि दूर जाने पर विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता घटती है। विद्युत धारावाही सीधे चालक तार दूर हटते जाते हैं तो उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करने वाले सकेंद्री वृत्तों का साइज भी बड़ा हो जाता है।
32. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं ? किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है ? चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के दो प्रमुख गुणधर्म लिखें।
उत्तर ⇒ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ, चुंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और परिमाण को दर्शाता है। किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एक चुंबक के उत्तरी ध्रुव को उस बिंदु पर रखने पर उसकी दिशा के समकक्ष होती है। चुंबकीय बल रेखाओं के निम्नांकित गुणधर्म हैं :
(i) चुंबकीय बल रेखाएँ एक दूसरे को नहीं काटती हैं।
(ii) बल रेखाओं की संख्या अधिक होने पर चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति काफी बढ़ जाती है।
33. औषध में चुंबकत्व का क्या महत्त्व है ?
उत्तर ⇒ हमारे शरीर के तंत्रिका कोशिकाओं के अनुदिश दुर्बल आयन धाराएँ चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं। जब हम किसी वस्तु को स्पर्श करते हैं तो तंत्रिकाएँ एक विद्युत आवेश को पेशी तक भेजती हैं। यह आवेश एक अस्थायी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। यह चुंबकीय क्षेत्र हृदय और मस्तिष्क में उत्पन्न हो जाते हैं और यह क्षेत्र शरीर के विभिन्न भागों के प्रतिबिंब प्राप्त करते हैं। यह तकनीक चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंब कहा जाता है। चिकित्सा निदान में इन प्रतिबिंबों का उपयोग किया जाता है। अतः चिकित्सा विज्ञान में चुंबकत्व के महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं।
34. बी०ओ०टी० क्या है? इसे जूल में परिवर्तित करें।
उत्तर ⇒
B.O.T Board of Trade Unit (बोर्ड ऑफ ट्रेड यूनिट)
B.O.T = 01 Kilo Watt – hr = 3.6 x 106 joule = 1000 js -1 x 3600 s 3.6 x 106 joule.
35. किसी चालक के दोनों सिरों पर V विभवांतर के अधीन यदि । ‘धारा प्रवाहित हो तो चालक में ताप की उत्पत्ति की दर क्या होगी ?
उत्तर ⇒ जूल के नियम से हम जानते हैं कि
H = l2 Rt
H/t= l2 R Rate of Heat Produced = l.(IR) = VI
अतः उत्सर्जित ताप = V. I
36. चुंबकीय बल रेखाओं को देखकर क्या निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं ?
उत्तर ⇒ चुंबकीय बल रेखाओं के देखने पर पता चलता है कि चुंबक के दोनों ध्रुवों के पास बल रेखाएँ काफी समीप (सघन) हैं अर्थात् ध्रुवों पर चुंबकीय बल अधिक है। बल रेखाओं के अन्य भागों पर बल रेखाएँ दूरस्थ हैं अतः इन क्षेत्रों में चंबकीय बल अपेक्षाकृत कम है। बल रेखाएँ एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं। अगर दो क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को काटेंगी तो वहाँ क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी जो असंभव है।
37. कोई विधुतरोधी ताँबे की तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजितं है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक (i) कुंडली में ढकेला जाता है ? (ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है ? (iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।
उत्तर ⇒ (i) गैल्वेनोमीटर के सूई में विक्षेप होता है।
(ii) सूई में विक्षेप (i) की अपेक्षा विपरीत दिशा में होता है।
(iii) सूई में कोई विक्षेप नहीं होता है।
38. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक दूसरे के निकट स्थित है। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करे तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए।
उत्तर ⇒ जब कुंडली A में विधुत धारा में परिवर्तन किया जाता है तो कुंडली B में विधुत धारा प्रेरित हो जाती है। इसका कारण यह है कि चुंबकीय बल रेखाओं में परिवर्तन हो जाता है। कुंडली A के समीप कुंडली B के होने के कारण परस्पर प्रेरण की घटना होती है। इसी घटना के कारण B में विद्युत धारा प्रेरित होती है।
39. किसी क्षैतिज शक्ति संचरण लाइन (पावर लाइन) में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर विधुत धारा प्रवाहित हो रही है। इसके ठीक नीचे के किसी बिंदु पर तथा इसके ठीक ऊपर के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी ?
उत्तर ⇒ विधुत धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। दक्षिण हस्त अंगूष्ठ नियम को लागू करने पर हमें तार के नीचे किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा उत्तर से दक्षिण की ओर प्राप्त होती हैं। तार से ठीक ऊपर के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर होगी।
5. ऊर्जा के स्रोत ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
SCIENCESUBJECTIVE QUESTIONS
1. ऊर्जा स्रोत से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर ⇒ ऊर्जा स्रोत को दो भागों में बाँटा जा सकता है – नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्रोत। नवीकरणीय स्रोत के अंदर सौर ऊर्जा, वायु, बहते पानी, ज्वार भाटे, सागर तरंगों तथा बायो गैस आदि आते हैं। अनवीकरणीय स्रोत के अंदर कोयला, लकड़ी, पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस आदि आते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत का दीर्घ काल तक उपलब्ध रहने की संभावना है, लेकिन अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत अल्पकालिक है। इसकी धीरे-धीरे समाप्ति संभव है।
2. सौर ऊर्जा की विशेषता लिखें।
उत्तर ⇒
(i) यह ऊर्जा प्रदूषण मुक्त है।
(ii) सौर ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा है।
(iii) सौर ऊर्जा अक्षय है।
(iv) पृथ्वी पर मानव जीव-जन्तु तथा पौधे सौर ऊर्जा से जीवित हैं।
(v) सौर ऊर्जा के उपयोग से सौर-कुकर, सौर-सेल, सौर-पैनल आदि काम करते हैं।
3. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?
उत्तर ⇒ अधिकांशतः आज भी हमलोग जीवाश्मी ईंधनों पर आधारित हैं। इनके भंडारण सीमित हैं। यदि पूर्णरूपेण इसी ईंधन पर निर्भर हो जाते हैं तो एक दिन ऐसा समय आयेगा कि संपूर्ण जीवाश्मी ईंधनों की समाप्ति हो जाएगी और हम भारी संकट में पड़ जाएंगे। आज के इस वैज्ञानिक प्रणाली एवं तकनीकी के बढ़ते चरण में ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में ऊर्जा के परम्परागत स्रोतों पर निर्भर रहना संभव नहीं है। इसलिए हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं।
4. क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर ⇒ कोई भी ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत सौर सेल को प्रदूषण मुक्त माना जाता है। लेकिन वास्तव में सौर सेल से भी वातावरण प्रदूषित हो जाती है, क्योंकि यह अधिक मात्रा में अवरक्त विकिरणों को प्राप्त करती है।
5. ऊर्जा के उत्तम स्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ ऊर्जा के उत्तम स्रोत उसे कहते हैं, जो
(i) प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
(ii) सरलता से सुलभ हो सके
(iii) भंडारण एवं परिवहन में आसान हो और
(iv) वह सस्ता भी हो।
6. सौर ऊर्जा का दैनिक कार्यों में प्रमुख पारंपरिक उपयोग बतावें।
उत्तर ⇒ सौर ऊर्जा का उपयोग सौर कुकर और सौर पैनेल में किया जाता है। सौर कुकर से खाना बनाने में सौर ऊर्जा का उपयोग होता है। सौर पैनल की स्थापना सुदूर इलाके में भी किया जा सकता है और विधुत ऊर्जा की प्राप्ति की जा सकती है।
7. भूतापीय ऊर्जा क्या है?
उत्तर ⇒ भौमिकीय परिवर्तन के कारण पृथ्वी के गर्भ में गर्म चट्टानों के सम्पर्क में जल के आने पर भाप बनता है जिसे पाइप द्वारा निकाला जाता है और उच्च दाब पर की भाप विधुत जनित्र की टरबाइन को घुमाता है तथा विधुत ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
8. विधुत ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर ⇒
(i) बहती जल धारा
(ii) बहता पवन
(iii) सौर ऊर्जा
(iv) महासागरीय तापीय ऊर्जा
(v) भूतापीय ऊर्जा
(vi) नाभिकीय ऊर्जा।
9. सौर सेलों के कुछ उपयोगों को लिखें।.
उत्तर ⇒ सौर सेल के कुछ उपयोग निम्नलिखित हैं—
(i) उपग्रहों में
(ii) मार्स आर्बिटरों में
(iii) रेडियो में
(iv) बेतार संचार तंत्रों में
(v) टीवी केंद्रों में
(vi) खिलौनों में।
10. जीवाश्म ईंधन क्या हैं ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर ⇒ जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है। कोयला, पेट्रोल तथा प्राकृतिक गैस जीवाश्मी ईंधन की श्रेणी में आते हैं। यह ईंधन करोड़ों साल बाद बनता है। इसकी सुरक्षा करना आवश्यक है। इसकी कमी को तत्काल भरपाई करना कठिन है। अतः नियंत्रित दर से खर्च करना चाहिए। लाखों वर्ष पूर्व जैव मात्रा के अपघटन से प्राप्त होने वाले ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं जैसे-कोयला और पेट्रोलियम।
11. नाभिकीय ऊर्जा की प्राप्ति कैसे होती है?
उत्तर ⇒ यूरेनियम (भारी द्रव्यमान) पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी की जाती है और यह हल्के नाभिकों में टूट जाता है और विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। इसे नाभिकीय विखंडन कहा जाता है।
12. सौर स्थिरांक की परिभाषा करें।
उत्तर ⇒ पृथ्वी की परिरेखा पर सूर्य की किरणों के लम्बवत् स्थित खुले क्षेत्र के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर प्रति सेकेण्ड पहुँचने वाली सौर ऊर्जा को सौर स्थिरांक कहते हैं। इसका सन्निकट मान 1.4 kW/m2 है।
13. बायोगैस किसे कहते हैं ? बायोमास क्या है?
उत्तर ⇒ बायोगैस-विविध पादप तथा वाहित मल जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होते हैं तो बायोगैस बनते हैं। इसका प्रचलित नाम गोबर गैस है।
बायोमास- पादप और जन्तु के शरीर में जो पदार्थ वर्तमान रहता है उसे ‘ बायोमास कहते हैं। बायोमास भी ईंधन का एक स्रोत है।
14. स्पष्ट कीजिए कि कच्ची लकडी को जलाना कठिन क्यों होता है ?
उत्तर ⇒ लकड़ी मुख्यतः कार्बोहाइड्रेटों का मिश्रण है जिनके अणुओं में कार्बन और हाइड्रोजन के अतिरिक्त ऑक्सीजन के परमाणु भी होते हैं। ऑक्सीजन के परमाणु लकड़ी के ज्वलन में सहायक तो होते हैं किंतु स्वयं जलते नहीं हैं। अत: ऐसे ईंधन (कच्ची लकड़ी) जलते तो हैं, लेकिन उनका ऊष्मीय मान हाइड्रोकार्बनों की तुलना में कम होता है। इससे कच्ची लकड़ी को जलाना कठिन हो जाता है।
15. बायो गैस क्या है ? इसके अवयवों के नाम लिखें तथा इसके दो उपयोग बतावें।
उत्तर ⇒ बायोमास से उत्पन्न ज्वलनशील गैस को बायो गैस कहा जाता है। इस गैस में 75% मिथेन गैस पाया जाता है।
उपयोग-
(i) इस गैस के जलने से निकली ऊर्जा काफी अधिक होती है। साथ ही प्रदूषण मुक्त होता है।
(ii) इस गैस का उपयोग प्रकाश पैदा करने में भी होता है।
16. सौर पैनलों के दो उपयोगों को लिखें।
उत्तर ⇒ सौर पैनल के उपयोग निम्नलिखित हैं
(i) सौर पैनल में कोई गतिशील पुर्जा नहीं है। अतः इसका रख-रखाव सस्ता होता है।
(ii) इन्हें सुदूर तथा अगम्य स्थानों में भी स्थापित किया जा सकता है।
17. ग्रीन हाउस गैस क्या है ?
उत्तर ⇒ जो पेड़-पौधे वनस्पति आदि जल में डूब जाते हैं वे अवायवीय परिस्थितियों में सड़ने लगते हैं और विघटित होकर विशाल मात्रा में मिथेन गैस उत्पन्न करते हैं जो एक ग्रीन हाउस गैस है।
18. प्राकृतिक गैस तथा C.N.G. क्या है ?
उत्तर ⇒ उच्च दाब पर जब प्राकृतिक गैस को द्रव रूप में संग्रहित किया जाता है तो उसे CNG कहा जाता है। प्राकृतिक गैस और CNG का उपयोग वाहनों में ईंधन के रूप में किया जाता है।
19. सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण–अवतल, उत्तल अथवा समतल सर्वाधिक उपयुक्त होता है ?
उत्तर ⇒ सौर कुकर के लिए अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणों को अवतल दर्पण परावर्तित करके एक बिंदु पर अभिसरित कर देती है। फलस्वरूप वहाँ का ताप बढ़ जाता है और खाना बनाने में सुविधा हो जाती है।
20. कोयला और पेट्रोलियम के उपयोग से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर ⇒ कोयला और पेट्रोलियम जैव मात्रा से बनते हैं। इनमें कार्बन के अतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और सल्फर भी हैं। जब इसे जलाया जाता है तो CO 2, H2O, NO2 तथा SO2, SO3 आदि गैसें वायुमंडल में मिलती रहती है। अगर सीमित वायु की उपस्थिति में जलाया जाए तो CO2 गैस भी बनती है। CO2, गैस एक ग्रीन हाउस गैस है और CO गैस विषैली है। अगर इनकी सम्पूर्ण मात्रा के कार्बन जलाने पर CO2, में परिवर्तित हो गया तो वायुमंडल में CO2, की मात्रा अत्यधिक हो जायेगी. जिससे तीव्र वैश्विक उष्मण होने की संभावना है। अतः इन संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता है।