Home Science Class 12 Part 1 question answer in Hindi

Welcome to Gurukul with Arya Gautam




लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

Home Science Part – 1 

(20 Marks) Arya Gautam 


1. गृह विज्ञान शिक्षा से लाभ क्या है ?

(What are the benefits of Home science ?)

उत्तर⇒ गृह विज्ञान विषय में आहार एवं पोषण, स्वास्थ्य, सफाई व शिशु कल्याण आदि का वैज्ञानिक ज्ञान दिया जाता है जिससे वह व्यक्ति प्रतिदिन के प्रत्येक कार्य को वैज्ञानिक रूप से कर सकते हैं।


2. गृह विज्ञान का महत्त्व बताइए।

(Describe the importance of home science.)

उत्तर⇒ गृह विज्ञान का महत्त्व इस प्रकार है

(i) गृह संबंधी कार्यों की समुचित जानकारी प्राप्त होती है।
(ii) बच्चों एवं पारिवारिक सदस्यों की देखभाल की जानकारी प्राप्त होती है।
(iii) सिलाई, गृह विज्ञान, गृह वाटिका आदि की जानकारी प्राप्त होती है।


3. गृह-प्रबंध से आप क्या समझती हैं ?

(What do you mean by Home Management ?)

उत्तर⇒ गृह-प्रबंध- साधारण शब्दों में प्रबंध एक साधन है। हमारे पास जिस परिस्थिति में जो भी साधन उपलब्ध रहते हैं उसका सर्वोत्तम उपयोग करें जिससे हमारी इच्छाएँ और उद्देश्य पूरा हो सके। परिवार के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से परिवार के साधनों के प्रयोग के लिए किया गया आयोजन नियंत्रण एवं मूल्यांकन ही गृह प्रबंध है।


4. पीयूष ग्रंथि

(Pituitary Gland)

उत्तर⇒ पीयूष ग्रंथि एक अंतःस्रावी ग्रंथि है, जिसका आकार एक मटर के दाने जैसा होता है। इससे पैदा होने वाला हार्मोन अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों की सक्रियता को उत्तेजित करता है। इसे मास्टर ग्रंथि भी कहते हैं। पीयूष विकार होने का मतलब है हार्मोन्स का बहुत अधिक या कम हो जाना।


5. मासिक धर्म  (Menstruation)

उत्तर⇒ मासिक धर्म लड़कियों/ स्त्रियों को हर महीने योनि से होने वाले लाल रंग के स्राव को कहते हैं। 10 से 15 साल की आयु की लड़की का अंडाशय हर महीने एक विकसित अंडा उत्पन्न करना शुरू करता है। यह अंडा डिंबवाही नली द्वारा गर्भाशय में पहुँचता है। यदि इस डिम्ब का पुरुष के शुक्राणु से सम्मिलिन न हो तो स्राव बन जाता है, जो योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म या रजोधर्म या माहवारी कहते हैं। यह महीने में एक बार होता है।


6. गर्भाशय  (Uterus)

उत्तर⇒ गर्भाशय लगभग नाशपाति के आकार की श्लेष्मिक कला और माँसपेशी की बनी एक खोखला थैला है जो श्रोणि के भीतर स्थित रहती है। इसके सामने मूत्राशय और पीछे मलाशय रहता है। गर्भाशय के दाएँ और बाएँ कोण पर डिम्बवाहिनी नली खुलती है। नीचे की ओर की ग्रीवा योनि के मुख में खुलती है। इस तरह गर्भाशय में दो छिद्र एक ऊपर तथा एक नीचे होता है। गर्भाशय में ही निषेचित डिम्ब का विकास होता है।


7. कान (Ear)

उत्तर⇒ कान पाँच ज्ञानेन्द्रियों में से एक है। इससे ध्वनि या बोले हुए शब्दों का बोध होता है। ध्वनि के द्वारा एक व्यक्ति का अन्य लोगों से सम्पर्क एवं सम्बन्ध स्थापित होता है। रचना की दृष्टि से कान को तीन प्रमुख भागों में बाँटा गया है-

(i) बाह्य कर्ण
(ii) मध्य कर्ण
(iii) अंतः कर्ण।


8. जीभ (Tongue)

उत्तर⇒ जीभ से स्वाद की अनभति होती है। जीभ एक मांसल अवयव है जो मुखगुहा के नीचले तल में जबड़े और ‘हाइड’ नामक अस्थि से लगा है जिसका रंग गुलाबी होता है। यह भोजन को मुख में इधर-उधर घुमाने, चबाने एवं निगलने में सहायक होता है। इससे वस्तु गर्म है या डा, एवं स्वाद का ज्ञान होता है। जीभ के अगले भाग से मिठास, पीछे के भाग से तीखापन तथा दोनों किनारे वाले भाग से खट्टेपन का ज्ञान होता है।


9. बाल्यावस्था के विभिन्न रोगों के नाम। (Names of Childhood disease.)

उत्तर⇒ बाल्यावस्था के विभिन्न रोग हैं

(i) अतिसार,
(ii) खसरा,
(iii) हैजा,
(iv) गलसुआ,
(v) सर्दी जुकाम,
(vi) न्यूमोनिया,
(vii) कान दर्द,
(viii) आँख दुखना,
(ix) गोलकृमि आदि।


10. निमोनिया (Pneumonia)

उत्तर⇒ निमोनिया शिशुओं को फेफड़ों की वायु कोशिकाओं तथा श्वास नली में संक्रमण के कारण उत्पन्न होता है। यह कोकस (cocus) नामक जीवाणुओं के कारण होता है। इससे बचने के लिए बच्चों को ठंड के दिनों में उपयुक्त कपड़े पहनाने चाहिए।


11. विकलांगता क्या है ? (What is disabiliry?)

उत्तर-विकलांगता वह है जो किसी क्षति अथवा अक्षमता से किसी व्यक्ति की होने वाला । वह नुकसान जो उसे उसकी आयु, लिंग, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारकों से जुड़ी सामान्य भूमिका को निभाने से रोकता है।


12. तीक्ष्ण अतिसार एवं दीर्घकालिक अतिसार

(Acute Diarrhoea and chronic Diarrhea)

उत्तर⇒ (i) तीक्ष्ण अतिसार (अत्यधिक अतिसार)- यह थोड़े समय के लिए परंतु बहुत गंभीर रूप से होता है। 24-48 घंटे तक रहने वाला यह अतिसार अस्वच्छ, गले-सड़े और बासी भोजन से होता है। अत्यधिक अतिसार में रोगी को ज्वर, पेट में दर्द व पतले दस्त आते हैं। इसका प्रभाव एक से दो दिन तक रहता है।

(ii) दीर्घकालिन अतिसार- दीर्घकालीन अतिसार अधिक समय तक रहता है। जब रोगी की किसी बीमारी के कारण आँतों की अवशोषण शक्ति कमजोर हो जाती है तब यह रोग हो जाती है। इसमें इलैक्ट्रोलाइट असंतुलन के साथ-साथ पाचन तथा जठर संक्रमण भी हो सकता है। मल के साथ रक्त भी आता है।


13. डिप्थीरिया रोग (Diphtheria disease)

उत्तर⇒ डिप्थीरिया अत्यंत भयानक संक्रमण रोग है जो कोरीने बैक्टीरियम डिफ्थीरिए । (Coryne Bacterium Diptherae) नामक जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु शरीर में प्रवेश करके गले में पनपते हैं और बच्चे में रोग के लक्षण उत्पन्न करते हैं।


14. चेचक (Chicken pox)

उत्तर⇒ चेचक वायु के माध्यम से होने वाला एक रोग है। चेचक से मानव जाति को मुक्त कराने का श्रेय एडवर्ड जैनर को जाता हैं जिसने चेचक के टीके का आविष्कार किया था।


15. पोलियो (ओ पी वी) (Polio (OPV))

उत्तर⇒ सबीन (Sabin) द्वारा विकसित मौखिक पोलियो विषाणु टीका पोलियो तथा लकवा की रोकथाम के लिए विश्वभर में प्रयोग किया जाता है। ओपीवी की एक खुराक में 10 से 106 तक माध्यिका अणु होते हैं। यह दवा तीन प्रकार से तरल रूप में पिलाई जाती है। पहली खुराक जन्म के समय दी जाती हैं। दूसरी तथा तीसरी खुराक प्रति 4 से 8 सप्ताह के अंतराल पर दी जाती है।


16. ज्वर (Fever)

उत्तर⇒ जब किसी व्यक्ति में शरीर से उत्पन्न तथा निष्कासित ताप में संतुलन नहीं रहता तथा ताप सामान्य से अधिक हो जाता हैं तो ऐसी स्थिति को ज्वर कहते हैं। मानव शरीर का सामान्य ताप 37° सेन्टीग्रेट (98.6 फॉरेनहाइट) होता है। एक व्यक्ति को ज्वर कई कारणों जैसे- संक्रमण, कीड़ों के कारण, प्रतिरोध, मध्यस्थता, दुर्भावनापूर्ण तथा नशे आदि से आ सकता है।


17. स्थायी दाँत। (Permanant teeth)

उत्तर⇒ बालक में अस्थायी 20 दाँत निकलने के बाद स्थायी दाँत निकलता है। जब ये अस्थायी दाँत टूटते हैं उनकी जगह स्थायी दाँत निकलते हैं। ये दाँत छ: वर्ष से निकलना प्रारंभ होते हैं। स्थायी दाँत 25 वर्ष की आयु तक निकलने जारी रहते हैं।


18. क्षय रोग/ तपेदिक/ टी०बी० (Tuberculosis)

उत्तर⇒ इस रोग को टी० बी०, तपेदिक या ट्यूबरकुलोसिस भी कहा जाता है। यह रोग वायु के द्वारा फैलता है। इस रोग को फैलाने वाले जीवाणु का नाम ट्यूबर्किल बेसिलस (Tubercle Bacillus) है। यह रोग शरीर के विभिन्न भागों में हो सकता है। जैसे—फेफड़ों का तपेदिक, आँतों का तपेदिक, ग्रंथियों का तपेदिक, रीढ़ की हड्डी का तपेदिक। इसमें से फेफड़ों का तपेदिक सबसे अधिक फैलता है। यह रोग मनुष्यों के अतिरिक्त जानवरों में भी हो सकता है।


19. टेटनस रोग क्या है ? (What is disease of Tetanus ?)

उत्तर⇒ यह रोग अधिकतर जंग लगे धातु के टुकड़ों पर गिरकर चोट लगने के कारण होता है। धूल, मिट्टी के साथ भी टेटनस के जीवाणु चिपक जाते हैं। यदि रोगी को तत्काल टेटनस का इंजेक्शन न लगाया जाय तो यह रोग हो जाता है। इस रोग के जीवाणु मांसपेशियों को अधिक प्रभावित करते हैं।


20. अतिसार (Diarrhoea)

उत्तर⇒ अतिसार- जब बच्चा दूध हजम नहीं कर पाता है तो उसके पेट में दर्द होता है और दस्त प्रारम्भ हो जाता है। साथ ही उसके पेट दर्द के साथ फूल जाता है। पेट एवं पैरों में ऐठन भी होने लगता है। वह बार-बार टाँगों को पेट की तरफ मोड़ता है। जिसे अतिसार कहते हैं। यह दूध पीने वाले बोतलों या निप्पल की ठीक से सफाई नहीं करने के कारण तथा माँ के भोजन में गड़बड़ी या बदलाव (अधिक मिर्च एवं मसालेदार भोजन) द्वारा उत्पन्न होता है।


21. ग्रामीण स्वच्छता (Rural Sanitation)

उत्तर⇒ ग्रामीण स्वच्छता से तात्पर्य है ग्रामीण क्षेत्रों में तरल एवं ठोस अपशिष्ट निपटान, व्यक्तिगत एवं भोजन सम्बन्धी स्वच्छता, घरेलू एवं पर्यावरणीय स्वच्छता। इन सभी का मिलाजुला प्रयास ग्रामीणों के स्वस्थ रहने में सहायक होता है। ग्रामीण स्वच्छता के लिए आवश्यक है- स्वस्थ निवास स्थान, शुद्ध पेयजल, मल-मूत्र एवं कूड़े का उचित निवारण, गंदे पानी का निकास, भोजन संबंधी स्वच्छता का उचित ज्ञान आदि।


22. पर्यावरण (Environment)

उत्तर⇒ वायुमंडल, जलमंडल, प्राणिमंडल में अवस्थित क्रमशः भूमि, वायु, जल और इन पर आश्रित समस्त प्राणियों के लिए एक वातावरण तैयार होता है। इसी वातावरण के सामूहिक रूप को पर्यावरण कहते हैं।


23. अपमिश्रित भोजन (Food adulteration)

उत्तर⇒ मिलावट अथवा अपमिश्रण एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसके द्वारा खाद्य पदार्थों के गण पोषकता अथवा प्रकृति में परिवर्तन आ जाता है। यह परिवर्तन खाद्य पदार्थ में कोई अन्य मिलता-जुलता पदार्थ मिलाने अथवा खाद्य पदार्थ में से कोई तत्त्व निकालने के कारण आता है।


24. बी० सी० जी० (B.C.G.)

उत्तर⇒ बी० सी० जी० का पूरा नाम बैसिलस कामेट ग्यूरिन हैं। बी०सी०जी० का टीका तपेदिक अथवा क्षय रोग का निवारण करता है। सभी नवजात शिशुओं को जन्म के तत्काल बाद से एक माह तक बी०सी०जी० का टीका लगाया जाता है।


25. फफूंदी (Mildew)

उत्तर⇒ ♦ फफूंदी एक प्रकार के सूक्ष्मजीवाणु होता है, जिसका अनाजों को बर्बाद करने वाले सभी सूक्ष्मजीवों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है।

♦  फफूंदी लग जाने से भोज्य पदार्थों का तापमान बढ़ जाता है। उनमें से बदबू आने लगती हैं। पोषक मूल्य कम हो      जाते हैं। स्वाद बिगड़ जाता है। भोजन जहरीला एवं विषाक्त हो जाता है।

♦  पनीर, फल, डबलरोटी तथा जैम आदि में फफूंदी कोमल आवरण के रूप में जम जाती है।

♦  सभी प्रकार की फफूंदी हानिकारक नहीं होती है। कुछ भोज्य पदार्थों के स्वाद में वृद्धि भी करती हैं।


26. बिम्बाणु (Platelets)

उत्तर⇒ प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिका होती है जो शरीर के रक्त स्त्राव को रोकने के लिए थक्के बनाने में मदद करती है। प्लेटलेट्स कुछ लसीले होते हैं इसलिए कही कट जाने पर ये अधिक संख्या में इक्कठे होकर आपस में चिपक जाते हैं और कटे स्थान को भर देते हैं, जिससे रक्त स्त्राव बंद हो जाता है। सामान्य प्लेटलेट्स काउंट 1,50,000 से 4,50,000 प्रति मोइक्रोलीटर रक्त होता है।


27. पाचन तंत्र (Digestive System)

उत्तर⇒ मानव पाचन तंत्र जठरांत्र सम्बंधी मार्ग से बना होता है। जिसे जी०आई० ट्रेक्ट (GI Tract) या पाचनतंत्र कहा जाता है। पाचन तंत्र के सहायक अंग हैं। यकृत, अग्नाशय और पिताशय। जी० आई० ट्रैक्ट अंगों की एक श्रृंखला है जो मुँह से गुदा तक एक लम्बी नली के रूप में होती है। पाचन में भोजन के टूटने को छोटे घटकों में शामिल किया जाता है जब तक वह शरीर में अवशोषित नहीं हो जाता है।


28. गलशोध (Mumps)

उत्तर⇒ गलशोध एक संक्रमण रोग है जो अति सूक्ष्म जीवाणु “पारा मैक्सोवाइरस” (Paramaxovirus) के कारण होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में लार, नाक स्राव और व्यक्तिगत सम्पर्क से हो जाता है। इस रोग में कान के नीचे दर्द होने लगता है और गाल में सूजन हो जाती है। रोगी को मुँह खोलने और खाने में दर्द होता है।


29. परावट ग्रंथियाँ (Parathyraid glands)

उत्तर⇒ परावट ग्रंथियाँ छोटी-छोटी चार होती है। ये थाइराइड की ऊपरी और निचले किनार के पीछे दाहिनी और बायी ओर स्थित रहती है। आकार में यह मटर के दाने के समान होती है। ये ग्रंथियों ग्रंथीय ऊतक की बनी होती है। एक तरफ की दो ग्रंथियाँ अवटु ग्रंथि (Thyroid gland) में एक ऊपर और एक नीचे की ओर रहती है। इसका रंग भूरापन लिए लाल होता है।


30. थाइमस ग्रंथि (Thymus gland)

उत्तर⇒ यह ग्रंथि अवटु ग्रंथि (Thyroid glands) के नीचे और श्वास प्रणाली के अग्रभाग में रहती है। बाल्यकाल में ग्रंथि का आकार बड़ा रहता है जो आयु बढ़ने के साथ-साथ छोटा हो जाता है। इस ग्रंथि के स्राव का प्रभाव जननेन्द्रियों के विकास तथा यौवनारंभ पर पड़ता है। इस ग्रंथि के स्राव के द्वारा ही अस्थियों में खनिज लवण एकत्र होता है और इसकी मात्रा संतुलित रहती है।


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