अध्याय 1सिंधु घाटी की सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) कक्षा 12

 

अध्याय 1

सिंधु घाटी की सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता)


इतिहास
कक्षा:-12
अघ्याय:-1 
🎯सिन्धु घाटी सभ्यता 🎯
                 🎯10 +2  गुरूकुल 🎯
पता:-हसनकरहरिया, अब्दुल्लाह चौक, दहिया रोड,
 संचालक:- आर्य गौतम, 7903268149




प्रश्न 1. हड़प्पा संस्कृति को सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से क्यों जाना जाता है ?                                               


उत्तर - हड़प्पा संस्कृति को सिंधु नदी की घाटी में फैले होने के कारण सिंधु घाटी की सभ्यता भी कहते हैं। इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा नामक स्थान जहां पर यह संस्कृति पहली बार खोजी गई थी के नाम पर किया गया है।

प्रश्न 2. हड़प्पा सभ्यता के दो प्रसिद्ध केंद्र कौनसे हैं ?

उत्तर - हड़प्पा संस्कृति के दो प्रसिद्ध केंद्र हड़प्पा और मोहनजोदड़ो हैं।
[ ] मोहनजोदड़ो सबसे लोकप्रिय पुरास्थल है ।
[ ] हड़प्पा सबसे पहले खोजा गया स्थल है।


प्रश्न 3. हड़प्पा सभ्यता की खोज कब और किसने की ?

उत्तर हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921-22 में दयाराम साहनी, रखाल दास बनर्जी और सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में हुई।

प्रश्न 4.  सर जॉन मार्शल कौन थे ?

उत्तर - सर जॉन मार्शल 1902 से 1928 तक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) थे। 1924 में उन्होंने पूरे संसार के सामने सिंधु घाटी में एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की।

प्रश्न 5. हड़प्पा सभ्यता का काल बताइए।

उत्तर - हड़प्पा सभ्यता का काल 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है।


प्रश्न 6. हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के प्रमुख स्रोत कौन-से हैं ?

उत्तर - हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के प्रमुख स्त्रोत खुदाई में मिली इमारतें, मृदभांड, औजार, आभूषण, मूर्तियां, मोहरें, मनके,बाट इत्यादि हैं।

प्रश्न 7. हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल कौन से हैं ?

उत्तर हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल - नागेश्वर, धोलावीरा, लोथल, राखीगढ़ी, बनावली, कालीबंगन, बालाकोट, चन्हूदड़ो, कोटदीजी, मोहनजोदड़ो और हड़प्पा हैं।






प्रश्न 8. हड़प्पा लिपि की विशेषताएं बताइए।


उत्तर:-
[ ] हड़प्पा लिपि वर्णमालीय नहीं थी, बल्कि चित्रमय थी।
[ ] हड़प्पा में पाई जाने वाली लिपि को पढ़ने में विद्वान अभी तक असमर्थ हैं।
[ ] हड़प्पा की लिपि दाएं से बाएं और लिखी जाती थी ।
[ ] इसमें चिन्हों की संख्या 375 से 400 के बीच थी।
[ ] अधिकतर अभिलेख संक्षिप्त हैं। सबसे लंबे अभिलेख में करीब 26 चिन्ह हैं।

प्रश्न 9. फयांस क्या होता है ?


उत्तर - घिसी हुई रेत या बालू एवं रंग तथा चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पकाकर बनाया गया बर्तन फयांस कहलाता है। फयांस से बने छोटे पात्र कीमती माने जाते थे क्योंकि इन्हें बनाना मुश्किल था।

प्रश्न 10. हड़प्पावासियों द्वारा सिंचाई के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए 


उत्तर - तालाब, कुआं, नहर ।

प्रश्न 11. हड़प्पा सभ्यता के किन देशों के साथ व्यापारिक संबंध थे ?
उत्तर - सुमेर, ईरान, इराक, मिश्र।

प्रश्न 12. कनिंघम कौन थे ? कनिंघम का भ्रम क्या था ?

उत्तर - 
[ ] कनिंघम भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल थे। 
[ ] इनको भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण का जनक भी कहा जाता है। 
[ ] कनिंघम से हड़प्पाई मुहर को समझने में भूल हुई थी।
[ ] वह हड़प्पा की मुहर का कालखंड सही से निर्धारित नहीं कर पाया था।
[ ] उनको भ्रम था कि भारतीय इतिहास का प्रारंभ गंगा की घाटी में पनपे पहले शहरों के साथ ही हुआ था।

                 🎯10 +2  गुरूकुल 🎯
पता:-हसनकरहरिया, अब्दुल्लाह चौक, दहिया रोड,
 संचालक:- आर्य गौतम, 7903268149



प्रश्न 13. आर ए एम व्हीलर कौन था ? उनका भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण में क्या योगदान था ?

उत्तर - आर ई एम व्हीलर 1944 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल बने।
व्हीलर ने पहचाना कि एक समान क्षैतिज इकाइयों के आधार पर खुदाई की अपेक्षा टीले के स्तर विन्यास का अनुसरण करना ज्यादा जरूरी था।
"माई आर्कियोलॉजिकल मिशन टू इंडिया एंड पाकिस्तान 1976" के लेखक आर ई एम वील्हर हैं।

प्रश्न 14. हड़प्पा सभ्यता के पतन के क्या कारण थे ?

उत्तर - हड़प्पा सभ्यता के पतन के संभावित कारण निम्नलिखित थे -
[ ] जलवायु परिवर्तन
[ ] वनों की कटाई
[ ] बाढ़
[ ] भूकंप
[ ] नदियों का मार्ग बदलना 
[ ] नदियों का सूख जाना
[ ] बाहरी आक्रमण


प्रश्न 15. हड़प्पा सभ्यता के निवासी किन देवी देवताओं की पूजा करते थे ?

उत्तर - हड़प्पा सभ्यता के निवासी आद्य शिव, मातृ देवी, पशु, पक्षी और वृक्षों की पूजा करते थे।


प्रश्न 16. मोहनजोदड़ो में अनुमानित कुओं की संख्या थी- 
उत्तरण - लगभग 700

प्रश्न 17 शंख से बनी वस्तुओं का प्रमुख केंद्र था-
उत्तर - नागेश्वर

प्रश्न 18 शिल्प उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र था -
उत्तर - चन्हूदड़ो। शिल्प कार्यों में मनके बनाना, शंख की कटाई, धातु कर्म, मोहर निर्माण, तथा चर्ट बाट बनाना सम्मिलित है।


प्रश्न 19. हड़प्पा सभ्यता में जीवन निर्वाह के तरीके क्या थे ?
उत्तर:-
[ ] हड़प्पा सभ्यता के निवासी अनेक प्रकार के पेड़ पौधों से प्राप्त उत्पाद एवं जानवरों जिनमें मछली सम्मिलित है से प्राप्त भोजन करते थे।
[ ] हड़प्पा स्थानों से मिले अनाज के दानों में गेहूं, जौ, दाल, सफेद चना और तिल सम्मिलित हैं। बाजरे के दाने गुजरात के स्थलों से हासिल हुए हैं।
[ ] हड़प्पा स्थलों से प्राप्त जानवरों की हड्डियों में मवेशियों, भेड़, बकरी, भैंस और सुअर की हड्डियां सम्मिलित हैं।

प्रश्न 20. हड़प्पा सभ्यता की लिपि कैसी थी ?

उत्तर - चित्रात्मक
प्रश्न 21. हड़प्पा निवासियों की कब्रों में मिली किन्हीं पांच वस्तुओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -
 1. मृदभांड                   2. खोपड़ियां तथा अस्थियां 

3. शंखों के छल्ले           4. जैस्पर के मनके 

5. आभूषण आदि

प्रश्न 22. हड़प्पावासियों की सामाजिक विभिन्नताओं को पहचानने की दो विधियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर :-
1. शवाधान - स्थलों से मिले शवाधनों में आमतौर पर मृतकों को गर्तो में दफनाया गया था। इनके साथ मृदभांड आदि के अवशेष मिले हैं। शवाधानों के अध्ययन से सामाजिक आर्थिक विभिन्नता का पता चलता है।

2. विलासिता की वस्तुएं : सामाजिक भिन्नता को पहचानने की एक अन्य विधि है पूरावस्तुओं का अध्ययन। पुरातत्वविद् इन्हें मोटे तौर पर उपयोगी तथा विलास की वस्तुओं में वर्गीकृत करते हैं।


प्रश्न 23 हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं।


अथवा

आप कैसे कह सकते हैं कि हड़प्पा संस्कृति एक नगरीय सभ्यता थी ?

उत्तर - 
(1) हां, यह एक नगरीय सभ्यता थी। इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसकी नगर निर्माण योजना है।

(2) हड़प्पा सभ्यता की बस्तियां दो भागों में विभाजित थी, दुर्ग तथा निचला शहर ।

(3) निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है तथा दुर्ग पर बनी संस्थाओं का प्रयोग संभवत विशिष्ट सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था।

(4) हड़प्पा सभ्यता में सड़कों तथा गलियों को एकग्रीड पद्धति द्वारा बनाया गया था और ये एक दूसरे को

समकोण पर काटती थी।

(5) जल निकास प्रणाली अद्भुत थी । घरों की नालियोंको गलियों से जोड़ा जाता था। नालियां पक्की ईंटों से

बनाई गई थी।

(6) प्रत्येक घर में कुआं व स्नानागार थे।

(7) लोथल में डॉकयार्ड मिले हैं जिससे पता चलता हैकि ये मुख्य व्यापारिक केंद्र थे।

प्रश्न 24. हड़प्पा अथवा सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु कौन-सी है ? इसका निर्माण किस पदार्थ से हुआ और इन पर क्या उत्कीर्णीत है ?

उत्तर :- 

(क) हड़प्पा सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु हड़प्पाई मुहर है । 

(ख) मुहर सेलखड़ी नामक पत्थर से बनाई गई है। 

(ग) इन पर सामान्य रूप से जानवरों के चित्र और एक ऐसी लिपि के चिन्ह उत्कीर्णित हैं जिन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।

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 संचालक:- आर्य गौतम, 7903268149

प्रश्न 25. हड़प्पा सभ्यता में प्रयोग होने वाले बाटों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर 

(i) बाट सूक्ष्म या परिशुद्ध प्रणाली द्वारा नियंत्रित थे ।

(ii) यह बाट चर्ट नामक पत्थर से बनाए जाते थे और घनाकार होते थे।

(iii) इन बाटों के निचले मानदंड द्विआधारी (1, 2, 4, 8, 16, 32, ...... 12800) थे जबकि ऊपरी मानदंड दशमलव प्रणाली के अनुसार थे ।

(iv) छोटे बाटों का प्रयोग संभवतः आभूषणों और मनकों को तोलने के लिए किया जाता था।

(v) धातु से बने तराजू के पलड़े भी मिले हैं।

प्रश्न 26 हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थों की सूची बनाइए। इन पदार्थों को कैसे प्राप्त किया जाता था ?

उत्तर :- मनकों के निर्माण में प्रयुक्त पदार्थों की विविधता उल्लेखनीय है : कार्नेलियन (सुंदर लाल रंग का),जैस्पर, स्फटिक, क्वार्टज़, एवं सेलखड़ी जैसे पत्थर; तांबा, कांसा, और सोने जैसी धातुएं; एवं शंख, फयान्स, तथा पक्की मिट्टी, सभी का इस्तेमाल मनके बनाने में होता था।

शिल्प उत्पादन के लिए माल प्राप्त करने के अनेक तरीके थे। नागेश्वर एवं बालाकोट में जहां शंख सरलता से उपलब्ध था बस्तियां स्थापित की। ऐसे ही कुछ दूसरे पुरास्थल थे - सुदूर अफगानिस्तान में शोर्तूघई, जो अत्यधिक कीमती माने जाने वाले नीले रंग के पत्थर लाजवर्द मणि के सबसे बढ़िया स्रोत के नजदीक स्थित था एवं लोथल जो कार्नेलियन (गुजरात में भड़ौंच), सेलखड़ी (दक्षिणी राजस्थान और उत्तरी गुजरात से), एवं धातु (राजस्थान से) स्रोतों के नजदीक स्थित था।

कच्चा माल प्राप्त करने की दूसरी नीति थी - राजस्थान के खेतड़ी अंचल (तांबे के लिए) एवं दक्षिण भारत (सोने के लिए) जैसे क्षेत्रों में अभियान भेजना।

प्रश्न 27. अन्य सभ्यताओं की अपेक्षा सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में हमारी जानकारी कम क्यों है ?

उत्तर :- हड़प्पा सभ्यता के बारे में हमारी जानकारी कम होने के निम्न कारण हैं :-


(1) इस सभ्यता की लिपि को आज तक पढ़ा नहीं जा सका है।


(2) केवल पुरातात्विक अवशेषों का अध्ययन करते हुए अनुमान के आधार पर ही सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में (सभ्यता का काल व विकास) जानकारी प्राप्त कर पाए हैं जबकि अन्य सभ्यताओं के बारे में जानकारी का मुख्य आधार उनकी लिपि को पढ़ा जाना है।


प्रश्न 28 मुहरें और मुद्रांकन पर एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर :- लंबी दूरी के संपर्कों को आरामदायक बनाने के लिए मुहरों और मुद्रांकनों का प्रयोग किया जाता था। मान लीजिए कि सामान से भरा एक थैला एक जगह से दूसरी जगह तक भेजा गया। उसका मुख रस्सी से बांधा गया एवं गांठ पर थोड़ी गीली मिट्टी जमा कर एक अथवा ज्यादा मुहरों से दबाया गया, जिससे मिट्टी पर मुहरों की छाप पड़ गई। अगर थैले के अपने गंतव्य जगह पर पहुंचने तक मुद्रांकन अक्षुण्ण रहा तो उसका मतलब था थैले के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई थी। मुद्रांकन से प्रेषक की पहचान भी मालूम होती थी।


प्रश्न 28 मेसोपोटामिया के लेखों में निम्न शब्द किसके लिए प्रयुक्त होते थे-
उत्तर :- 
मगान - ओमान
दिलमुन - बहरीन द्वीप
मेलूहा - हड़प्पा 
हाजा पक्षी - मोर
शमन - शमन वे महिलाएं एवं पुरुष होते हैं जो जादुई एवं इलाज करने की ताकत होने एवं साथ ही दूसरी दुनिया से संपर्क साधने के सामर्थ्य का दावा करते हैं।

प्रश्न 29 हड़प्पा सभ्यता की धार्मिक प्रथाओं की व्याख्या में पुरातत्त्वविदों को क्या समस्याएं आई ?

उत्तर :- शायद सबसे ज्यादा धार्मिक प्रथाओं के पुनर्निर्माण के प्रयत्नों में पुरातात्विक व्याख्या की समस्याएं सामने आती है। प्रारंभिक पुरातत्वविदों को लगता था कि कुछ वस्तुएं जो असामान्य एवं अपरिचित लगती थी शायद धार्मिक महत्व की होती थी।

>इनमें आभूषणों से लदी हुई नारी मृण्मूर्तियां जिनमें से कुछ के शीर्ष पर विस्तृत प्रसाधन थे, सम्मिलित हैं इन्हें मातृदेवी की संज्ञा दी गई थी।

> मानकीकृत मुद्रा में हाथ घुटने पर बैठा हुआ पुरुष को पुरोहित राजा मानना।

>विशाल स्नानागार और कालीबंगन तथा लोथल से मिली वेदियों को अनुष्ठानिक महत्व की मानना।

> मुहरों पर कुछ अनुष्ठान के दृश्य बने हैं, के निरीक्षण से धार्मिक आस्थाओं व प्रथाओं को पुनर्निर्मित करने का प्रयत्न किया गया है।

> पेड़ पौधों वाली मुहरे प्रकृति की पूजा का संकेत है।

> कुछ मुहरों पर पालथी मारकर योगी की मुद्रा में आकृति है जिसको आद्यशिव की संज्ञा दी गई है।

> पत्थर की शंक्वाकार वस्तुओं को लिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
                 🎯10 +2  गुरूकुल 🎯
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 संचालक:- आर्य गौतम, 7903268149


प्रश्न 30 इतिहासकार किस प्रकार से इतिहास का पुनर्निर्माण करते हैं ?

उत्तर :- 
(1) हड़प्पाई लिपि से इस सभ्यता के विषय में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है। केवल भौतिक साक्ष्य हैं जो पुरातत्त्वविदों को हड़प्पाई इतिहास को पुनर्निर्मित करने में सहायक हैं। यह वस्तुएं मृदभांड, औजार, आभूषण और घरेलू सामान हो सकते हैं।

(2) उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जैविक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं परन्तु पत्थर, पक्की मिट्टी और धातु की वस्तुएं बच जाती हैं।

(3) सिर्फ टूटी हुई या अनुपयोगी वस्तुएं ही फेंके जाती थी। दूसरी वस्तुएं दोबारा चक्रित की जाती थी। जो बहुमूल्य वस्तुएं अक्षत स्थिति में मिलती हैं या तो वे अतीत में खो गई थी या फिर संचयन के बाद कभी पुनः प्राप्त नहीं की गई थी।

(4) खोजो का वर्गीकरण - पुरातत्वविद अपनी खोजों को विभाजित करते हैं। विभाजन का एक सामान्य सिद्धांत प्रयुक्त पदार्थों तथा उनकी उपयोगिता के आधार पर होता है। पुरातत्वविदों को यह निश्चित करना पड़ता है कि कोई पुरावस्तु एक औजार है,ल एक आभूषण है या फिर दोनों या अनुष्ठानिक प्रयोग की कोई वस्तु।

(5) इसमें पुरावस्तु की उपयोगिता की तुलना वर्तमान समय से की जाती है जैसे मनके, चक्कियां। उपयोगिता में वह जांच करते हैं कि वस्तु घर में, नाले में या कब्र में कहां मिली थी।

(6) अप्रत्यक्ष साक्ष्यों का प्रयोग - कभी-कभी पुरातत्वविदों को अप्रत्यक्ष प्रमाणों का सहारा लेना पड़ता है। जैसे कुछ हड़प्पा स्थलों में कपास के टुकड़े मिले हैं लेकिन पहनावे के बारे में जानने के लिए मूर्तियों में चित्रण पर आश्रित रहना पड़ता है।

(7) असामान्य और अपरिचित वस्तुओं की व्याख्याधार्मिक प्रथाओं आदि के रूप में की जाती है, जैसे -

>आभूषणों से लदी हुई नारी मृण्मूर्तियां जिनमें से कुछ के शीर्ष पर विस्तृत प्रसाधन थे, सम्मिलित हैं इन्हें मातृदेवी की संज्ञा दी गई थी।

> मानकीकृत मुद्रा में हाथ घुटने पर बैठा हुआ पुरुष कोपुरोहित राजा मानना।

>विशाल स्नानागार और कालीबंगन तथा लोथल से मिली वेदियों को अनुष्ठानिक महत्व की मानना।

> मुहरों पर कुछ अनुष्ठान के दृश्य बने हैं, के निरीक्षण से धार्मिक आस्थाओं व प्रथाओं को पुनर्निर्मित करने का प्रयत्न किया गया है।

> पेड़ पौधों वाली मुहरे प्रकृति की पूजा का संकेत है।

> कुछ मुहरों पर पालथी मारकर योगी की मुद्रा में आकृति है जिसको आद्यशिव की संज्ञा दी गई है।

पत्थर की शंक्वाकार वस्तुओं को लिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।


प्रश्न 31 हड़प्पावासी सुदूर क्षेत्रों से किस प्रकार संपर्क बनाए रखते थे ? स्पष्ट कीजिए,।

अथवा
प्रश्न 31 हड़प्पाई लोगों ने व्यापार के लिए पश्चिमी एशिया के साथ संपर्क स्थापित किया। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- 
सुदूर क्षेत्रों से संपर्क के द्वारा भी कच्चा माल प्राप्त किया जाता था।
(1) तांबा संभवतः अरब प्रायद्वीप के दक्षिण पश्चिमी छोर पर स्थित ओमान से लाया जाता था। 

(2) रासायनिक विश्लेषण दिखाते हैं किओमानी तांबे तथा हड़प्पाई पूरावस्तुओं दोनों में निकल के अंश मिले हैं जो दोनों के साझा उद्भव की तरफ इशारा करते हैं।

(3) एक बड़ा हड़प्पाई मर्तबान काली मिट्टी की मोटी परत वाला ओमानी स्थलों से मिला है। संभव है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग इसमें रखे सामान का ओमानी तांबे से विनिमय करते थे।

(4) तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में दिनांकित मेसोपोटामिया के लेखों में मगान जो शायद ओमान के लिए प्रयुक्त नाम था, नामक इलाके से तांबे के आगमन के संदर्भ मिलते हैं। मेसोपोटामिया के स्थलों से मिले तांबे से भी निकल के अंश प्राप्त हैं।

(5) मेसोपोटामिया के लेख मेलूहा(हड़प्पा) से हासिल निम्र उत्पादों का उल्लेख करते हैं- लाजवर्द मणि, तांबा, सोना, कार्निलियन, विविध प्रकार की लकड़ियां।

(6) यह अनुमान है कि ओमान, बहरीन या मेसोपोटामिया से संपर्क सामुद्रिक मार्ग से रहा होगा क्योंकि मेसोपोटामिया के लेख मेलुहा ( हड़प्पाई क्षेत्र) को नाविकों का देश कहते हैं

(7) इसके अलावा मोहरों पर जहाजों एवं नावों के चित्र प्राप्त है।

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