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अनेकार्थी शब्द का मतलब
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1 परिचय
1.1 अनेकार्थी शब्द की परिभाषा
परिचय
अनेकार्थी शब्द के इस ब्लॉग में आप सभी विद्यार्थी का तहे दिल से सुक्रिया करता हूँ , क्योंकि आपको इस ब्लॉग के माध्यम से आज आपको अनेकार्थी शब्द का मतलब के बारे जानकारी हो जाएगी की अनेकार्थी शब्द का मतलब ,परिभाषा , अर्थ ,मीनिंग या कुछ भी कहे आपको इन सारी टॉपिक के बारे में जानने को मिलेगा इसलिए यदि आप इस ब्लॉग पर है तो आपको नॉलेज जरूर कुछ न कुछ बढ़ेगा ही ,तो चलिए बिना देर किये सुरु करते है
अनेकार्थी शब्द की परिभाषा
अनेकार्थी शब्द– जो शब्द एक से अधिक अर्थ देते हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं।
दूसरे शब्दों में –जिन शब्दों के अनेक अर्थ होते है उस शब्द को अनेकार्थी शब्द कहा जाता है ।
कुछ महत्वपूर्ण अनेकार्थी शब्द के उदहारण
- अंबर – वस्त्र, आकाश, कपास।
- गोविंद- कृष्ण, गोष्ठी का स्वामी।
- अंक – अध्याय, चिन्ह, गोद, संस्करण, आलिंगन।
- अपेक्षा– आवश्यकता, तुलना में।
- अलि – भौंरा, कोयल, सखी।
- ग्रहण- लेना, चन्द्र, सूर्यग्रहण।
- अवधि – सीमा, निर्धारित समय।
- अंबक – पिता, आँख, ताँबा।
- अंब – माता, दुर्गा, आम का वृक्ष।
- अभिनिवेश- आग्रह, संकल्प, अनुराग, दृढ़ निश्चय।
- अयोनि- अजन्मा, नित्य, मौलिक, कोख।
- अशोक- मगधराज, शोकरहित, एक वृक्ष।
- अर्य – अभिप्राय, धन, ऐश्वर्य, प्रयोजन।
- अधर – तुच्छ, ओठ, अन्तरिक्ष।
- अग्र – लक्ष्य, आगे, पहला, अगला, नोक, शिखर।
- अतः – अब से, इसलिए, इसकी अपेक्षा।
- अक्षर – ईश्वर, नष्ट न होने वाला।
- अतिथि – अपरिचित, मेहमान, अग्नि, संन्यासी।
- अमृत – सेना, अन्न, जल, मुक्ति, मृत्युरहित, सुधा, पारा, घी।
- अब्ज – कपूर, कमल, अरब की संख्या, चन्द्रमा।
- अक्ष – आँख, सर्प, तराजू की डण्डी, गाड़ी, चौसर का पासा, इन्द्रिय, धुरी।
- अहि – पृथ्वी, साँप, दुष्ट, सूर्य, राहु, वृत्रासुर।
- अरब – सौ करोड़, इन्द्र, घोड़ा।
- अनंत – शेषनाग, आकाश, विष्णु, असीम।
- अवि – मेष, बकरी, सूर्य, पहाड़, पर्वत, आक।
- अपवाद – किसी नियम के विपरीत, कलंक।
- अजया – बकरी, भाँग।
- अक्षर – नाशरहित, जल, वर्ण, मोक्ष, धर्म, सत्य, विष्णु, गगन, तपस्या, शिव।
- अशिर – सूर्य, हीरा, राक्षस, अग्नि।
- अल – बिच्छू का डंक, शक्ति, विष, भूषण, निरर्थक।
- आम- सामान्य, एक फल।
- आर्य – कुलीन, उत्तम, आचार्य, पूज्य ।
- आस्था – सहारा, विश्वास, निष्ठा, स्थित होने की अवस्था।
- आश्रम – तपोवन, साधु-संतों का निवास स्थान, ब्रह्मचर्य आदि 4अवस्थाएँ।
- ईश्वर – स्वामी, भगवान, आत्मा।
- उपचार – इलाज, उपाय, सेवा।
- उरु – श्रेष्ठ, विशाल, जाँघ।
- उत्तर – जवाब, उत्तर दिशा।
- उरगाशन – मोर, गरुड़।
- उपस्कर – फर्नीचर, अलंकार।
- ऊर्मि – पीड़ा, लहर।
- गोत्र- वंश, वज्र, पहाड़, नाम।
- उद्धरण – लेखादि से लिया अंश, मुक्ति, उद्धार करना,ऊपर उठा
- ऋजु – ईमानदार, सीधा, सरल, अनुकूल।
- कर – हाथ, करने की क्रिया, टैक्स, किरण।
- कल- बीता दिन, आने वाला दिन, मशीन, मधुर ध्वनि,
- कनक- सोना, धतूरा, गेहूँ।
- कर्ण- कर्ण (नाम), कान।
- काम- वासना, कामदेव, कार्य, पेशा, धंधा।
- कटक – सेना, शिविर, समूह, पैर का कड़ा, सैनिक।
- कर- हाथ, टैक्स, किरण, सूँड़ ।
- कोट- परिधान, किला।
- कंटक- घड़ियाल, काँटा, दोष।
- कनक- सोना, धतूरा, पलाश, गेंहूँ।
- कुंद- भोंथरा, एक मूल।
- कुल- वंश, सब।
- घट- घड़ा, देह, ह्रदय, किनारा।
- कृष्ण- काला, कन्हैया, वेदव्यास।
- कंकण- कंगन, मंगलसूत्र, विवाह-सूत्र।
- काम –वासना, कामदेव, कार्य, इच्छा।
- कुल – खानदान, समस्त, घर, गोत्र।
- खग – पक्षी, आकाश।
- गदहा- गधा, मूर्ख, वैद्य।
- कला- अंश, किसी कार्य को अच्छी तरह करने का कौशल।
- कुशल- खैरियत, चतुर ।
- कल- बीता हुआ दिन, आने वाला दिन, मशीन।
- कर्ण- कर्ण (नाम), कान।
- कोटि- श्रेणी, करोड़, गणना।
- ग्रहण- दोष, लेना, सूर्य-चंद्र ग्रहण।
- गुरु – बड़ा, भारी, शिक्षक, छंद में दो मात्राओं का वर्ण।
- चंचला- बिजली, लक्ष्मी, नवयौवना।
- जनक- पिता, सीता के पिता।
- केतु- एक ग्रह, ध्वज, श्रेष्ठ, चमक।
- कृत्स्न- जल, कोख, पेट।
- कैरव- कुमुद, कमल, शत्रु, ठग।
- केवल- एकमात्र, विशुद्ध ज्ञान।
- ठाकुर – स्वामी, एक जाति, क्षत्रिय ईश्वर।
- तंत्र – झाड़-फूंक, मशीन, धागा, शासन-प्रबंध, चमड़े की लकड़।
- तार – टेलीग्राम, उद्धार, लोहे की तार, चासनी की तार।
- दक्षिण – दाहिना, अनुकूल दक्षिण दिशा।
- ओक- पक्षी, शूद्र, मतली, घर, पनाह।
- औसत- बीच का, साधारण, दरमियानी
- दर्शन – देखना, आकृति, एक शास्त्र (दर्शन शास्त्र)।
- धर्म – कर्तव्य, पुण्य, न्यायशीलता, सदाचार, पदार्थ का गुण।
- पत्र – चिट्टी, पत्ता, पन्ना, समाचार पत्र।
- फल – नतीजा, तीर का अगला भाग, तलवार की धार।
- मंगल – शुभ, एक ग्रह, एक वार, विवाह।
- खर- दुष्ट, गधा, तिनका, कड़ा, तीक्ष्ण, मोटा, एक राक्षस।
- अंक – संख्या, अध्याय, गोद कपड़ा, सूर्य, आकाश
- मधु – शहद, मीठा, शराब, वसंत ऋतु।
- मुद्रा – भाव, मोहर, सिक्का।
- लाल – एक रंग, पुत्र।
- शेष – बाकी, शेषनाग।
- गो- बाण, आँख, वज्र, गाय, स्वर्ग, पृथ्वी, सरस्वती, सूर्य, बैल, इत्यादि।
- हार – माला, पराजय।
- गिरा- सरस्वती, गिरना, वाणी।
- आँख – नेत्र, मोरपंख, दृष्टि, सन्तान, विधेक।
- कक्ष- कमरा, काँख, लता, रनिवास, बाजू।
- कंबु- शंख, कंगन।
- गुरु- शिक्षक, ग्रहविशेष, श्रेष्ठ, बृहस्पति, भारी, बड़ा, भार।
- कलाप- समूह, तरकश, मोर की पूँछ, चाँद, व्यापार।
- कस- बल, परीक्षा, तलवार की लचक।
- कान्तार- टेढ़ा मार्ग, वन।
- घाट- नावादि से उतरने-चढ़ने का स्थान, तरफ।
- घृणा- घिन, बादल।
- कुटिल- टेढ़ा, दुष्ट, घुंघराला।
- कौपीन- लँगोटा, अकार्य, गीद्ध।
- कटाक्ष- आक्षेप, तिरछी निगाह, व्यंग्य।
- कर्क- केंकड़ा, आग, एक राशि, आईना, सफेद।
- काक- कौआ, लँगड़ा आदमी, अतिधृष्ट।
- आँक – अंश, मदार, गोद, अंक, लकीर, चिन्ह।
- आराम – विश्राम, रोग दूर होना, वाटिका।
- आत्मज – कामदेव, पुत्र।
- कक्ष- कमरा, काँख, लता, रनिवास, बाजू।
- कटाक्ष- आक्षेप, तिरछी निगाह, व्यंग्य।
- कर्क- केंकड़ा, आग, एक राशि, आईना, सफेद।
- आसुग – मन, वायु, बाण।
- खैर- कत्था, कुशल।
- कैतन- ध्वजा, घर, कार्य, आमंत्रण।
- कुरंग- हिरण, नीला, बदरंग।
- गौर- गोरा, विचार।
- घन- बादल, अधिक, घना, गणित का घन, पिण्ड, हथौड़ा ।
- कमल- हिरण, पंकज, ताम्बा, आकाश।
- कल्प- सबेरा, शराब।
- काल- समय, मृत्यु, यमराज।
- कंद- शकरकन्द, बादल, मिश्री।
- कलत्र- स्त्री, कमर।
- केलि- परिहास, खेल, पृथ्वी।कांड- गुच्छा, दुर्घटना।
- कादम्ब- कदम्ब, ईख, बाण, खट्टी मदिरा।
- काट- द्रोह, आपसी विरोध।
- खंज- खंजन, लँगड़ा
- आदित्य – वामन, सूर्य, मदार, इन्द्र, बसु, देवता।
- अलि – भ्रमरी, बाँध, सखी, सेतु, पंक्ति, बिच्छू।
- ईश्वर- परमात्मा, स्वामी, शिव, पारा, पीतल।
- उरु – श्रेष्ठ, विशाल, जाँघ।
- एकांत- तत्पर, स्वस्थचित्त।
- गुण- कौशल, शील, रस्सी, स्वभाव, लाभ, विशेषता, धनुष की डोरी।
- खल- दुष्ट, धतूरा, बेहया, धरती, सूर्य, दवा कूटने का खरल।
- एकाक्ष- काना, कौवा।
- ऐरावती- इरावती नदी, बिजली, वटपत्री।
- उत्तर – जवाब, उत्तर दिशा।
- उरगाशन – मोर, गरुड़।
- उद्योग- परिश्रम, धंधा, कारखाना।
- उदार- दाता, बड़ा, सरल, अनुकूल।
- इतर- दूसरा, साधारण, नीच।
- गति- पाल, हालत, चाल, दशा, मोक्ष, पहुँच।
- उत्तर- उत्तर दिशा, जवाब, हल, अतीत, पिछला, बाद का इत्यादि।
- उग्र- विष, प्रचंड, महादेव।
- गण- समूह, मनुष्य, भूतप्रेतादि, शिव के गण, छन्द में गिनती के पद, पिंगल के गण।
- इंगित- संकेत, अभिप्राय, हिलना-डूलना।
- इन्द्र- देवराज, राजा, रात्रि।
- ऊर्मि – पीड़ा, लहर।
- खग- पक्षी, तारा, गन्धर्व, जुगनू, बाण।
- ऋभुक्ष – स्वर्ग, वज्र, इन्द्र।
- उपस्कर – फर्नीचर, अलंकार
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